जुबिली स्पेशल डेस्क
लखनऊ। पिछले महीने हरिद्वार धर्म संसद में मुसलमानों के खिलाफ कथित भडक़ाऊ भाषण देने वाला मामला अभी ठंडा भी नहीं पड़ा था कि अब प्रयागराज में कुछ इसी तरह का मामला सामने आया है।
हालांकि यहां पर धर्म संसद का नाम बदलकर संत सम्मेलन करना पड़ा क्योंकि प्रशासन धर्म संसद को इजाजत नहीं दे रहा था इसके बाद फिर इसका नाम बदलकर संत सम्मेलन आयोजित कर दिया गया लेकिन यहां पर भी हरिद्वार की तरह विवादित बयानों का अंबार लग गया।
संगम नगरी प्रयागराज में बह्मर्षि आश्रम में संत सम्मेलन का आयोजन हुआ। इस आयोजन में भी सैकड़ों की संख्या में साधु-संत शामिल हुए और विवादित बयानों की वजह से संत सम्मेलन को लेकर अब सवाल उठ रहा है। इस संत सम्मेलन में भारत को हिंदू राष्ट्र घोषित करने की मांग उठी है।
इतना ही नहीं मुसलमानों का अल्पसंख्यक दर्जे को खत्म करने की मांग की गई है।
इस संत सम्मेलन में मुख्य अतिथि के तौर पर जगतगुरु शंकराचार्य नरेंद्रानंद सरस्वती भी शामिल हुए थे और उन्होंने इस सम्मेलन में जो बाते कही है उसको लेकर विवाद होना तय माना जा रहा है। इसके साथ ही संत सम्मेलन पर सवाल उठना तय है। इस सम्मेलन में कहा गया है कि रोको, टोको और ना मानने पर ठोक दो। उनकी तरफ से देश का रक्ष बजट बढ़ाने की भी अपील की गई और देशद्रोहियों को गर्म तेल से स्नान करवाने की पैरवी रही। उन्होंने महात्मा गांधी को भी राष्ट्रपिता मानने से मना कर दिया और नेताजी सुभाष चंद्र बोस को भारत का पहला प्रधानमंत्री बताया।
महामंडलेश्वर प्रभुदानंद महाराज ने कहा कि ये जो जिहादी नाम की बिल्ली है। और कबूतर नाम के शख्स को आंखे खोलकर उस बिल्ली का सामना करना पड़ेगा। साथ ही कहा गया कि इसके अलावा कोई भी विकल्प नहीं है।
अगर बिल्ली की आंखे फोड़ दी। महामंडलेश्वर प्रभुदानंद महाराज ने जमकर इस्लामिक धर्म को लेकर जमकर निशाना साधा है। इस दौरान कहा गया कि जो भी देश विरोधी गतिविधियों में शामिल है और जो हिंदुओं का सम्मान नहीं कर सकते, उन्हें पाकिस्तान या फिर बांग्लादेश चले जाना चाहिए। इस दौरान नरसिंघानंद यति और जितेंद्र नारायण त्यागी की जल्द रिहाई की मांग उठी है। अगर ऐसा नहीं होता है तो उग्र आंदोलन होगा।
बता दें कि 17 से 19 दिसंबर को हरिद्वार में आयोजित धर्म संसद में हिंदुत्व को लेकर साधु-संतों के विवादित भाषण सोशल मीडिया पर वायरल हुए थे।धर्म संसद से जुड़े वीडियो में साधु-संत धर्म की रक्षा के लिए शस्त्र उठाने, मुसलमान को देश का प्रधानमंत्री न बनने देने, मुसलमान आबादी न बढऩे देने समेत धर्म की रक्षा के नाम पर विवादित भाषण देते हुए दिखाई दिए थे।