जुबिली न्यूज डेस्क
बॉम्बे हाई कोर्ट ने अपने एक महत्वपूर्ण फैसले में कहा है कि सार्वजनिक छुट्टी कानूनी अधिकार नहीं है।
अदालत ने यह फैसला सिलवासा निवासी किशनभाई घुटिया (51) और आदिवासी नवजीवन जंगल आंदोलन की याचिका पर दी है।
याचिका में मांग की गई थी कि 2 अगस्त को सार्वजनिक अवकाश घोषित किया जाना चाहिए। 1954 में इसी दिन दादरा और नगर हवेली (D&NH) पुर्तगाली शासन से स्वतंत्रता प्राप्त की थी।
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याचिका पर सुनवाई के दौरान पीठ ने कहा, ‘वैसे भी, हमारे पास बहुत अधिक छुट्टियां हैं। शायद उन्हें कम करने का समय आ गया है…किसी को भी सार्वजनिक अवकाश का मौलिक अधिकार नहीं है।’
हालांकि 2 अगस्त, 2022 को सार्वजनिक अवकाश के रूप में अधिसूचित नहीं करने का कोई औचित्य नहीं बताया गया।
याचिका में सवाल किया गया है कि सरकार 15 अगस्त और 26 जनवरी को सार्वजनिक अवकाश के रूप में मना सकती है, लेकिन क्या वह दादरा और नगर हवेली के लोगों को 2 अगस्त के दिन ‘ उनका मुक्ति / स्वतंत्रता दिवस मनाने’ से रोकेगी?
जस्टिस गौतम पटेल और जस्टिस माधव जामदार की पीठ ने इस याचिका पर सवाल किया- ‘सार्वजनिक अवकाश के लिए आपका कानूनी अधिकार क्या है?’ याचिका में 2 अगस्त, 2022 को दादरा और नगर हवेली के ‘मुक्ति / स्वतंत्रता दिवस’ की तारीख के रूप में शामिल नहीं करने के लिए सार्वजनिक अवकाश पर अक्टूबर 2021 की अधिसूचना को चुनौती दी।
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वहीं किशनभाई घुटिया के वकील भावेश परमार ने 15 अप्रैल 2019 के उस आदेश का हवाला दिया, जहां हाईकोर्ट ने D&NH प्रशासक को गुड फ्राइडे को सार्वजनिक अवकाश के रूप में गैजेट करने का निर्देश दिया था।
परमार ने पूछा- ‘अगर यह गुड फ्राइडे के लिए किया जा सकता है, तो दादरा और नगर हवेली के मुक्ति दिवस के लिए क्यों नहीं?’
परमार ने कहा कि दो अगस्त को सार्वजनिक अवकाश के रूप में 2020 के बाद बंद कर दिया गया। तो जज ने कहा- ‘ सार्वजनिक अवकाश या वैकल्पिक अवकाश घोषित करना या न करना नीतिगत विषय है। इसे कानूनी स्वरूप देने का कोई तरीका नहीं है’।