डॉ. प्रशांत कुमार राय
भारत में हर दिन कोरोना के नये वेरिएंट ओमिक्रॉन के मामले बढ़ रहे हैं। देश के अधिकांश राज्यों तक पहुंच चुका ओमिक्रॉन ने सरकार के माथे पर चिंता की लकीरे खींच दी है।
सरकार भी इसका प्रसार रोकने के लिए बैठके कर रही है और राज्यों को आवश्यक दिशा-निर्देश दे रही है। फिलहाल ओमिक्रॉन को लेकर राहत की बात यह है कि यह संक्रामक तो है लेकिन डेल्टा की तरह घातक नहीं है।
ओमिक्रॉन डेल्टा की तुलना में अधिक संक्रामक संस्करण होने के लिए रिपोर्ट किया गया (यद्यपि एक रिपोर्ट की गई मामूली बीमारी के साथ) उत्परिवर्ती ने पूरे यूरोप और अमेरिका में मामलों में वृद्धि को प्रेरित किया है।
भारत में, जिसने इस साल अप्रैल और मई में दूसरी लहर के कहर के बाद से अपने को करोना के संक्रमण की संख्या को नियंत्रित किया है, अब इस नए वेरिएंट की खोज की वजह से दिल्ली समेत कई राज्यों ने माइल्ड तालाबंदी की है, जबकि अन्य राज्यों में कर्फ्यू शुरू कर दिया गया है।
ओमिक्रॉन वेरिएंट की दहशत के बीच एक नये अध्ययन में पता चला है कि कोरोना वायरस के अन्य वेरिएंट्स की तुलना में ओमिक्रॉन वेरिएंट से संक्रमित होने वाले 50 से 70 प्रतिशित लोगों को अस्पताल में भर्ती की कम जरूरत पड़ सकती है।
ताजा विश्लेषण नवंबर से ब्रिटेन में आए ओमिक्रॉन और डेल्टा के मामलों पर आधारित है। इसमें वो 132 लोग भी शामिल हैं जिन्हें इस वेरिएंट के कारण अस्पताल में भर्ती करना पड़ा।
ओमिक्रॉन वेरिएंट से संक्रमित होने से 28 दिनों में 14 लोगों की मौत भी हुई है, लेकिन इससे ये भी पता चला है कि 31 से 45 प्रतिशत कम लोगों को आपात स्थिति में अस्पताल जाना पड़ा। इसके अलावा 50 से 70 फीसदी कम लोगों को इलाज के लिए अस्पताल में भर्ती होना पड़ा।
हालांकि, वायरस का हल्का प्रभाव भी अस्पतालों पर दबाव बढ़ा सकता है क्योंकि यह बड़ी तेजी से फैलता है। अगर बड़ी संख्या में
लोग ओमिक्रॉन से संक्रमित होंगे तो वायरस के हल्के लक्षण का फायदा भी नहीं मिलेगा। ब्रिटेन में कोरोना संक्रमण के एक दिन में एक लाख 19 हजार से अधिक मामले सामने आए हैं। यहां 28 दिनों में 147 मौतें हुई हैं।
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भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान, कानपुर के शोधकर्ताओं द्वारा किए गए एक मॉडलिंग अध्ययन के अनुसार, भारत में कोरोनावायरस महामारी की तीसरी लहर 3 फरवरी, 2020 तक चरम पर हो सकती है। पेपर की समीक्षा अभी बाकी है और यह इस धारणा पर आधारित है कि भारत उन रुझानों का पालन करेगा जो अन्य देशों में देखे गए हैं (पीटीआई ने एक रिपोर्ट में कहा)।
क्या वैरिएंट देश में तीसरी लहर पैदा करेगा, और अगर हाँ, तो कब आएगा?
नेशनल कोविड -19 सुपरमॉडल कमेटी के सदस्यों के मुताबिक कोरोना की तीसरी लहर 2022 की शुरुआत में भारत आएगी। विद्यासागर के अनुसार, जो राष्ट्रीय कोविड -19 सुपरमॉडल समिति के अध्यक्ष भी हैं, भारत ओमाइक्रोन की तीसरी लहर का अनुभव करेगा।
तीसरी लहर इस साल की शुरुआत में भारत में आने की उम्मीद है। देश की वर्तमान उच्च स्तर की प्रतिरक्षा के कारण, यह दूसरी लहर की तुलना में हल्का होना चाहिए। लगभग निश्चित रूप से एक तीसरी लहर होगी। वर्तमान में प्रति दिन आने वाले मामले निस्संदेह एक बार ओमिक्रॉन के प्रमुख संस्करण के रूप में डेल्टा की जगह लेने के बाद बढ़ जाएगा।
वहीं साउथ अफ्रीकन मेडिकल एसोसिएशन डॉ एंजेलिक कोएत्ज़ी ने कहा कि भारत में ओमिक्रॉन संचालित कोविड मामलों में वृद्धि और एक उच्च सकारात्मकता दर दिखाई देगी, लेकिन संक्रमण ज्यादातर लोगों में हल्का होगा, जैसा कि दक्षिण अफ्रीका में देखा जा रहा है।
साउथ अफ्रीकन मेडिकल एसोसिएशन के अध्यक्ष ने यह भी कहा था कि मौजूदा टीके निश्चित रूप से संक्रमण को नियंत्रित करेंगे, लेकिन जिन लोगों का टीकाकरण नहीं हुआ है, वे 100 प्रतिशत “जोखिम” पर हैं।
पूरी दुनिया में ओमिक्रॉन के मामले बढ़ रहे हैं और संक्रमण का दर 16.5 फीसदी है। इसकी चपेट में सभी आ रहे हैं। जिन्हें टीका लगा है वह भी और जिन्हें नहीं लगा है वह भी। इतना ही नहीं इससे बच्चे भी नहीं बच पा रहे हैं।
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अगर ओमिक्रॉन पर आने वाले रिसर्च का डाटा देखा जाए तो नेचुरल एंटीबॉडी बनाए हुए हैं उन लोगो पर इसके संक्रमण का प्रभाव कम पता चल रहा है। वहीं वो लोग जो वैक्सीन लिए है और जिन लोगों ने न तो वैक्सीन या फिर पहले से किसी भी कोविड संक्रामण से संक्रमित नही है तो उसमे इस वेरिएंट से संक्रमित होने का खतरा काफी अधिक है।
इस समय कई वैज्ञानिक शोध इस बात को दोहरा चुके हैं कि ओमिक्रॉन वेरिएंट पिछले वेरिएंट से कम घातक है। दक्षिण अफ्रीका में हुए एक शोध में पता चला कि ओमिक्रॉन वेरिएंट को पहचानने और उससे लडऩे में प्रतिरोधी सिस्टम की दूसरी श्रेणी की रक्षापंक्ति यानी टी-कोशिकाएं बहुत प्रभावी होती हैं इस कारण ओमिक्रॉन शरीर को गंभीर नुकसान नहीं पहुंचा पाता।
फिलहाल ओमिक्रॉन भले ही घातक नहीं है फिर भी इससे बचने की जरूरत है। लोग समय रहते सतर्क हो जाए। कोविड के सभी नियमों का पालन करें। मास्क जरूर पहने। लापरवाही छोटी से छोटी बीमारी को घातक बना देती है।