जुबिली न्यूज डेस्क
कश्मीर में कई नेताओं को एक बार फिर नजरबंद कर दिया गया है। शनिवार की सुबह नेशनल कांफ्रेंस के नेता व जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला और पीडीपी प्रमुख महबूबा मुफ्ती को उनके आवास पर नजरबंद कर दिया गया।
दरअसल जम्मू-कश्मीर की राजनीतिक पार्टियों का समूह ‘गुपकर गठबंधन’ आज केंद्र सरकार के खिलाफ विरोध प्रदर्शन करने वाले थे, लेकिन इस प्रदर्शन के शुरू होने से पहले ही नेताओं के घरों पर ताले लगा दिए गए और आवास के सामने सुरक्षाबलों की गाडिय़ों की तैनाती कर दी गई।
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पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने गेट पर पुलिस की गाड़ी की तस्वीरें ट्वीट करते हुए लिखा, ‘सुप्रभात, 2022 में आपका स्वागत है। एक नया साल, उसी पुरानी जम्मू-कश्मीर पुलिस के साथ जो अवैध रूप से लोगों को उनके घरों में बंद कर रही है, और एक प्रशासन जो सामान्य लोकतांत्रिक गतिविधि से इतना डरा हुआ है कि शांति पूर्ण धरना प्रदर्शन रोक रहा है। प्रदर्शन रोकने के लिए गेट पर जम्मू-कश्मीर पुलिस के बड़े ट्रक खड़े कर दिए हैं। कुछ चीजें कभी नहीं बदलतीं।’
Good morning & welcome to 2022. A new year with the same J&K police illegally locking people in their homes & an administration so terrified of normal democratic activity. Trucks parked outside our gates to scuttle the peaceful @JKPAGD sit-in protest. Some things never change. pic.twitter.com/OeSNwAOVkp
— Omar Abdullah (@OmarAbdullah) January 1, 2022
इसके बाद उमर ने एक और ट्वीट किया, “पुलिस के अराजक राज की बात करें तो पुलिस ने मेरे पिता के घर को मेरी बहन के घर से जोडऩे वाले आंतरिक दरवाजे को भी बंद कर दिया है फिर हमारे नेताओं के पास इतनी हिम्मत है कि वह भारत को सबसे बड़ा लोकतंत्र कहते हैं।”
GOI trumpets scrapping Article 370 & dismembering J&K throughout the country but is deeply paranoid & intolerant when people of J&K want to protest against its disempowerment. For the umpteenth time, we’ve been placed under house arrest for trying to organise a peaceful protest
— Mehbooba Mufti (@MehboobaMufti) January 1, 2022
उमर अब्दुल्ला के अलावा पीडीपी नेता और बीजेपी के गठबंधन वाली सरकार में सीएम रहीं महबूबा मुफ्ती ने ट्वीट किया, “भारत सरकार ने अनुच्छेद 370 को खत्म करके जम्मू-कश्मीर को अलग-अलग कर दिया, लेकिन जब जम्मू-कश्मीर के लोग इसका विरोध करना चाहते हैं, तो यह सरकार डर गई है और असहिष्णु हो गई है। शांतिपूर्ण विरोध प्रदर्शन का आयोजन करने की कोशिश के लिए 15वीं बार हमें नजरबंद किया गया है।”
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दरअसल ये पार्टियां केंद्र सरकार की ओर से सात नई विधानसभा सीटों के “अस्वीकार्य विभाजन” के खिलाफ प्रदर्शन करने वाली थीं।
17 फरवरी, 2020 को, केंद्र सरकार ने जम्मू-कश्मीर में विधानसभा क्षेत्रों की परिसीमन प्रक्रिया शुरू की है, जिससे विधानसभा में सीटों की संख्या 107 से बढ़कर 114 हो जाएगी। इनमें से 24 सीटें पाकिस्तान प्रशासित कश्मीर के लिए आरक्षित हैं।
इसके कारण जम्मू क्षेत्र में 6 सीटें बढ़कर 43 हो गई हैं जबकि कश्मीर में सिर्फ एक सीट बढ़ी है और वहां पर 47 सीटें हैं।
घाटी की राजनीतिक पार्टियां जम्मू में सीटें बढ़ाने और कश्मीर में जनसंख्या के अनुपात में सीटें न बढ़ाने के खिलाफ विरोध जता रही हैं।