जुबिली स्पेशल डेस्क
पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने सोमवार को मदर टेरेसा की बनाई गई संस्था को लेकर बड़ा दावा किया है। उन्होंने मदर टेरेसा की बनाई संस्था के सारे बैंक अकाउंट को लेकर बड़ा दावा करते हुए कहा है कि मदर टेरेसा की बनाई संस्था के सारे बैंक अकाउंट केंद्र सरकार ने फ्रीज कर दिए हैं।
उधर मिशनरीज का बैन भी सामने आ रहा है। मिशनरीज की माने तो उनको ऐसी कोई जानकारी नहीं है और उनके सारे बैंक अकाउंट ठीक से काम कर रहे हैं। पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने सोमवार को ट्वीट करते हुए लिखा है कि यह सुनकर हैरानी हुई कि यूनियन मिनिस्ट्री ने क्रिसमस के दिन मदर टेरेसा की मिशनरीज ऑफ चैरिटी के सारे बैंक अकाउंट भारत में फ्रीज कर दिया है।
Shocked to hear that on Christmas, Union Ministry FROZE ALL BANK ACCOUNTS of Mother Teresa’s Missionaries of Charity in India!
Their 22,000 patients & employees have been left without food & medicines.
While the law is paramount, humanitarian efforts must not be compromised.
— Mamata Banerjee (@MamataOfficial) December 27, 2021
इससे मिशनरीज के 22 हजार मरीजों और कर्मचारियों के पास न खाना बचा है, न दवा. कानून भले ही सबसे ऊपर है, लेकिन मानवीय प्रयासों से भी समझौता नहीं किया जाना चाहिए।”
मिशनरीज ऑफ चैरिटी ने क्या
वहीं ममता के इस दावा पर मिशनरीज ऑफ चैरिटी ने पल्ला झाड़ा है। मिशनरीज ऑफ चैरिटी के प्रवक्ता सुनीता कुमार ने मीडिया को बताया है कि भारत सरकार के द्वारा किसी खाते को फ्रीज किए जाने की उन्हें कोई जानकारी नहीं है।
उन्होंने दावा किया कि सारे बैंक खाते सही से काम कर रहे हैं। मिशनरीज ऑफ चैरिटी ने आगे कहा है कि नहीं, हमें इस बारे में कुछ भी नहीं बताया गया है. जहां तक मेरी बात है, मुझे ऐसी कोई जानकारी नहीं है।
भारत सरकार ने हमें ऐसा कुछ भी नहीं बताया है. हमारे बैंक ट्रांजेक्शन अच्छे से हो रहे हैं। सब ठीक है। अब देखना होगा ममता इस दावे पर केंद्र सरकार की तरफ से क्या प्रतिक्रिया आती है।
क्या है मिशनरीज ऑफ चैरिटी?
1950 में मदर टेरेसा ने कलकत्ता (अब कोलकाता) में मिशनरीज ऑफ चैरिटी की स्थापना की थी। ये एक रोमन कैथोलिक स्वयंसेवी धार्मिक संगठन है, जो दुनिया के 120 से भी ज्यादा देशों में विभिन्न मानवीय कार्यों में योगदान दे रहा है। इसकी 4500 से भी ज्यादा ईसाई मिशनरियों की मंडली है। इसमें शामिल होने के लिए 9 सालों की सेवा और परीक्षण के बाद, सारे ईसाई धार्मिक मूल्यों पर खरा उतारकर इस संगठन के विभिन्न कार्यों में अपनी सेवा देने के बाद ही शामिल किया जाता है. सदस्यों को 4 संकल्पों पर अडिग रहना होता है। पवित्रता, दरिद्रता, आज्ञाकारिता और दिल से गरीबों की सेवा में अपना जीवन व्यतीत करेंगे।