जुबिली न्यूज डेस्क
हरिद्वार में धर्म संसद में धार्मिक नेताओं द्वारा कथित नफरत भरे भाषणों पर विवाद गहराता जा रहा है। रविवार को इस मामले को लेकर सर्वोच्च न्यायालय के 76 वकीलों ने मुख्य न्यायाधीश एनवी रमण को पत्र लिख इन नफरती भाषणों पर स्वत: संज्ञान लेने का अनुरोध किया है।
वकीलों ने धार्मिक नेताओं द्वारा नरसंहार के आह्वान को गंभीर खतरा बताया है।
मुख्य न्यायाधीश को पत्र लिखने वालों में दुष्यंत दवे, प्रशांत भूषण, वृंदा ग्रोवर, सलमान खुर्शीद और पटना हाईकोर्ट की पूर्व जज अंजना प्रकाश जैसे नामचीन वकील शामिल हैं।
इन लोगों ने पूरे मामले पर चिंता जताते हुए अदालत से कहा है कि पुलिस कार्रवाई नहीं होने के कारण तुरंत न्यायिक हस्तक्षेप जरूरी हो जाता है।
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पत्र में कहा गया कि धर्म संसद में न केवल नफरती भाषण दिए गए बल्कि एक समुदाय के खिलाफ खुलकर नरसंहार का आह्वान किया गया। इस तरह के बयान भारत की एकता और अखंडता के लिए तो खतरा हैं ही साथ ही मुस्लिमों की जिंदगी को खतरे में भी डालने वाले हैं।
धार्मिक नेताओं द्वारा कथित नफरत भरे भाषणों को लेकर सोशल मीडिया पर भी खासी प्रतिक्रिया देखने को मिल रही है। मामले के तूल पकडऩे के कुछ दिनों बाद पहले मुकदमा भी दर्ज किया गया था लेकिन सिर्फ एक व्यक्ति को नामजद किया गया था, बाद में दो और लोगों के नामों को शिकायत में शामिल किया गया।
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मालूम हो कि 17 से 19 दिसंबर तक हरिद्वार में तीन दिवसीय ‘धर्म संसद’ का आयोजन किया गया था, जहां मुस्लिम समुदाय को निशाना बनाने वाले नफरत भरे भाषणों की एक पूरी फेरहिस्त देखी गई थी।
उत्तराखंड पुलिस ने घटना के संबंध में तीन लोगों के खिलाफ धारा 153 ए (विभिन्न समूहों के बीच दुश्मनी को बढ़ावा देना और सद्भाव के लिए हानिकारक कार्य करना) के तहत प्राथमिकी दर्ज की है।