जुबिली न्यूज़ ब्यूरो
नई दिल्ली. भारी हंगामे के बीच कर्नाटक विधानसभा में बृहस्पतिवार को धर्मांतरण विरोधी विधेयक पारित कर दिया गया. धर्मांतरण विरोधी विधेयक पारित करने वाला कर्नाटक देश का नवां राज्य बन गया है.
कर्नाटक में बसवराज बोम्मई की सरकार ने विधानसभा में कर्नाटक धर्म की स्वतंत्रता के अधिकार का संरक्षण विधेयक-2021 सदन में पेश किया. विधेयक पर चर्चा के दौरान सरकार ने कांग्रेस को बैकफुट पर ला दिया. सरकार ने साबित किया कि इस विधेयक की ओर तो राज्य ने कांग्रेस की सिद्धारमैया सरकार के समय कदम आगे बढ़ाए थे. कांग्रेस के दौर में इस क़ानून की तरफ बढ़ने की शुरुआत हुई थी. सरकार ने कांग्रेस की कोशिशों वाले दस्तावेज़ भी सदन में रखे.
बोम्मई सरकार के दस्तावेज़ विपक्ष के नेता सिद्धारमैया ने शुरू में नकारते हुए सरकार के आरोपों का खंडन किया लेकिन बाद में रिकार्ड देखकर उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री के रूप में उन्होंने इस सम्बन्ध कैबिनेट के समक्ष रखने के लिए केवल एक मसौदा विधेयक तैयार कराया था लेकिन इस पर कोई निर्णय नहीं हुआ था.
कांग्रेस ने बिल के मौजूदा स्वरूप को अमानवीय, जनविरोधी, संविधान विरोधी और गरीब विरोधी करार दिया. कांग्रेस ने कहा कि इस विधेयक को वापस लिया जाना चाहिए.
कर्नाटक के गृहमंत्री अरागा ज्ञानेंद्र ने कहा कि यह बिल किसी धर्म के खिलाफ नहीं है. इस क़ानून को इसलिए पास करना पड़ रहा है क्योंकि धर्म परिवर्तन एक खतरा बन गया है. इसी खतरे को देखते हुए कर्नाटक से पहले आठ राज्यों ने इसे पास किया.
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