जुबिली न्यूज़ ब्यूरो
नई दिल्ली. राजस्थान के नागौर जिले में जालसू नानक हाल्ट रेलवे स्टेशन को स्थानीय ग्रामीण पिछले 17 साल से चंदा करके संचालित कर रहे हैं और अब यह रेलवे स्टेशन फायदे में आ गया है. ग्रामीणों ने अगर इस रेलवे स्टेशन की कमान आगे बढ़कर खुद ही न संभाल ली होती तो 2005 में यह रेलवे स्टेशन बंद हो गया होता.
रेलवे ने कम आमदनी वाले इस रेलवे स्टेशन को 2005 में बंद करने का फैसला किया था. जोधपुर रेल मंडल में सबसे कम राजस्व देने वाला था यह रेलवे स्टेशन. रेलवे स्टेशन बंद करने का फैसला हुआ तो ग्रामीण आक्रोशित हो गए. रेलवे के खिलाफ धरने पर बैठ गए. ग्यारह दिन तक धरना चला. इसके बाद रेलवे अधिकारियों ने धरना देने वालों के साथ बैठक की और रेलवे स्टेशन को बंद करने का कारण बताते हुए स्पष्ट किया कि यहाँ पर आमदनी कम और खर्च ज्यादा है.
रेलवे ने ग्रामीणों के सामने यह शर्त रखी कि वह खुद इस स्टेशन को चलाकर देखें ताकि उन्हें यह अहसास हो सके कि रेलवे ने यह फैसला क्यों लिया. ग्रामीणों ने इस चुनौती को स्वीकार करते हुए रेलवे स्टेशन का कामकाज संभाल लिया. एक ग्रामीण को टिकट कलेक्टर बना दिया गया. इस टिकट कलेक्टर को हर महीने पांच हज़ार रुपये की सैलरी भी दी जाती है. ग्रामीण आपस में चंदा करके इस स्टेशन को संचालित करते रहे और अब इसकी हर महीने 30 हज़ार रुपये आमदनी भी होने लगी है.
रेलवे स्टेशन को फायदे में लाने के बाद ग्रामीणों ने रेलवे से कहा है कि वह अब इस स्टेशन को अपने चार्ज में ले लें. ज़मीनी हकीकत को परखने के लिए वरिष्ठ रेल अधिकारी बृहस्पतिवार को इस स्टेशन के दौरे पर आ रहे हैं. बंद हो रहे रेलवे स्टेशन को ग्रामीणों ने संचालित कर बचा लिया दरअसल जिस गाँव में यह रेलवे स्टेशन है उसे फौजियों के गाँव के नाम से पहचाना जाता है. इस गाँव के 200 से ज्यादा बेटे सेना, बीएसएफ, नेवी, एयरफोर्स और सीआरपीएफ में हैं. इन्हीं फौजियों के लिए यह रेलवे स्टेशन बनाया गया था. यह बंद हो जाता तो फौजियों को अपने घर पहुँचने में तमाम दिक्कतों का सामना करना पड़ता. ग्रामीणों की सूझबूझ ने एक स्टेशन को बंद होने से बचा लिया.
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