Saturday - 2 November 2024 - 5:51 PM

पीएम मोदी ने काशी विश्वनाथ कॉरिडोर का किया उद्घाटन, जानिए क्या है खास

जुबिली न्यूज डेस्क

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोमवार को बनारस में अपने ड्रीम प्रोजेक्ट श्री काशी विश्वनाथ धाम का लोकार्पण किया। पूरा बनारस इस लोकार्पण को लेकर खासा उत्साहित है।

प्रदेश की योगी सरकार ने भी इस कार्यक्रम को एक बड़े महोत्सव के रूप में तब्दील करने के लिए शहर को ख़ूब सजाया है।

काशी विश्वनाथ कॉरिडोर के लोकार्पण के बाद पीएम मोदी ने कहा, काशी के सभी बंधुओं के साथ बाबा विश्वनाथ के चरणों में हम नमन करते है। उन्होंने कहा, हमारे पुराणों में कहा गया है कि काशी में जैसे ही कोई आता है तो सारे बंधनों से मुक्त हो जाता है। आज आदिकाशी की अलौकिकता में एक अलग ही आभा और स्पंदन है। शाश्वत बनारस में आज अलग ही सामर्थ्य दिख रहा है।

उन्होंने कहा कि, कहा जाता है कि जब कोई अलौकिक होता है तो सारी शक्तियां काशी में बाबा के दरबार में आ जाती हैं। ऐसा लग रहा है कि हमारा पूरा चैतन्य ब्रह्मंड इससे जुड़ा हुआ है। बाबा की लीला बाबा ही जानें।

प्रधानमंत्री ने कहा, आप यहां जब आएंगे तो केवल आस्था के दर्शन नहीं करेंगे। आपको यहां अपने अतीत के गौरव का अहसास भी होगा। कैसे प्राचीनता और नवीनता एक साथ सजीव हो रही हैं, कैसे पुरातन की प्रेरणाएं भविष्य को दिशा दे रही हैं, इसके साक्षात दर्शन विश्वनाथ धाम परिसर में हम कर रहे।

जानकारों के अनुसार पीएम मोदी और योगी सरकार की कोशिश है कि काशी विश्वनाथ धाम के लोकार्पण समारोह से निकलने वाली हर तस्वीर धार्मिक माहौल के रंग से रंगी नजर आये और बनारस को पूरे देश के सामने धर्म और विकास के एक मॉडल के रूप में पेश किया जा सके, ताकि आने वाले चुनावों पर इसका सकारात्मक प्रभाव दिखायी दे।

यही कारण है कि सरकारी स्तर पर इस कार्यक्रम को बड़ा और भव्य रूप दिया गया है।

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32 महीने में तैयार हुआ काशी विश्वनाथ कॉरिडोर

अहिल्याबाई होल्कर ने सन 1669 में काशी विश्वनाथ मंदिर का पुनरोद्धार कराया था। उसके लगभग 350 साल बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मंदिर के विस्तारीकरण और पुनरोद्धार के लिये 8 मार्च, 2019 को विश्वनाथ मंदिर कॉरीडोर का शिलान्यास किया था।

शिलान्यास के लगभग 2 साल 8 महीने बाद इस ड्रीम प्रोजेक्ट के 95 प्रतिशत कार्य को पूरा कर लिया गया। बताया जा रहा है कि इस पूरे कॉरिडोर के निर्माण में 340 करोड़ रुपये खर्च हुए हैं।

वैसे पूरे खर्च को लेकर अभी तक कोई आधिकारिक जानकारी सामने नहीं आई है।

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पूरे कॉरिडोर को लगभग 50,000 वर्ग मीटर के एक बड़े परिसर में बनाया गया है। इसका मुख्य दरवाजा गंगा की तरफ ललिता घाट से होकर है।

काशी विश्वनाथ कॉरिडोर को 3 भागों में बांटा गया है। पहला, मंदिर का मुख्य भाग है जो लाल बलुआ पत्थर से बनाया गया है। इसमें 4 बड़े-बड़े गेट लगाए गए हैं। इसके चारों तरफ एक प्रदक्षिणा पथ बनाया गया है। उस प्रदक्षिणा पथ पर संगमरमर के 22 शिलालेख लगाए गए हैं जिनमें काशी की महिमा का वर्णन है।

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वहीं कॉरिडोर में 24 भवन भी बनाए जा रहे हैं। इन भवनों में मुख्य मंदिर परिसर, मंदिर चौक, मुमुक्षु भवन, तीन यात्री सुविधा केंद्र, चार शॉपिंग कॉम्प्लेक्स, मल्टीपरपस हॉल, सिटी म्यूजियम, वाराणसी गैलरी, जलपान केंद्र गंगा व्यू कैफे आदि हैं।

इसके अलावा कॉरिडोर की चमक बढ़ाने के लिए अलग-अलग तरह की 5,000 लाइटें लगायी गई हैं। ये खास तरह की लाइटें दिन, दोपहर और रात में रंग बदलती रहेंगी।

उत्सव के रंग में झूमती काशी

कॉरिडोर लोकार्पण को लेकर पूरे बनारस में उत्सव का माहौल रहा। सरकारी भवनों, चौराहों को बिजली के रंग-बिरंगे झालरों से सजाया गया है। लोगों ने भी अपने भवनों और व्यावसायिक प्रतिष्ठानों को सजाया है।

जगह-जगह सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन भी किया जा रहा है। 13 दिसंबर की शाम को दीपावली की तर्ज पर सभी से अपने घरों को दीपों से सजाने की अपील की गयी है।

प्रशासन की ओर से मैदागिन से कॉरिडोर तक जाने वाले मार्ग के हर मकान-दुकान को एक ही रंग गेरुए में रंग दिया गया है। हालांकि इस कार्य में थोड़ी अड़चन तब सामने आयी, जब इस रास्ते में पडऩे वाली एक मस्जिद को भी गेरुए रंग में रंग दिया गया।

इस पर मस्लिम समुदाय ने शांतिपूर्ण तरीके से अपनी आपत्ति दर्ज कराई। उसके बाद मस्जिद को फिर से सफेद रंग में रंग दिया गया। मुस्लिम समुदाय ने इस कार्य को बहुत ही सकारात्मक तरीके से लिया और प्रशासन की सराहना की।

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