जुबिली न्यूज डेस्क
सरकार किसी की भी हो अडानी पर सभी मेहरबान है। केंद्र की भाजपा सरकार पर अक्सर आरोप लगता है कि वह अडानी पर खास मेहरबान है।
फिलहाल भाजपा सरकार ही नहीं बल्कि छत्तीसगढ़ की कांग्रेस सरकार भी अडानी पर मेहरबान दिख रही है। कांग्रेस सरकार ने भारतीय वन्यजीव संस्थान की चेतावनी के बाद भी अडानी ग्रुप को खनन की मंजूरी दी, जबकि रिपोर्ट में छत्तीसगढ़ के उस जंगली इलाके को नो गो एरिया घोषित करने के लिए कहा गया है।
इंडियन एक्सप्रेस के द्वारा समीक्षा किए गए रिकॉर्ड के मुताबिक भारतीय वन्यजीव संस्थान ने अपनी जैव विविधता रिपोर्ट जारी की, जिसमें उन्होंने चेतावनी दी कि हसदेव अरण्य कोयला क्षेत्र को नो गो एरिया घोषित किया जाना चाहिए।
लेकिन इसके बाद भी राज्य की कांग्रेस सरकार ने उसी क्षेत्र में पीईकेबी कोयला ब्लॉक में खनन के दूसरे चरण को मंजूरी दी।
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पीईकेबी (परसा पूर्व और केटे बेसन) कोयला ब्लॉक का स्वामित्व राजस्थान राज्य विद्युत उत्पादन निगम लिमिटेड के पास है और इसे अडानी इंटरप्राइजेज द्वारा संचालित किया जाता है। इसका आधिकारिक खनन डेवलपर और ऑपरेटर अडानी इंटरप्राइजेज है।
केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय की वन सलाहकार समिति (एफएसी) की 28 अक्टूबर को हुई बैठक में राज्य सरकार ने समिति के सामने इसको तत्काल मंजूरी देने का भी अनुरोध किया था। FSC 1,136 हेक्टेयर में फैले PEKB कोल ब्लॉक के दूसरे चरण के लिए वन भूमि के डायवर्जन पर चर्चा कर रहा था।
राज्य सरकार ने बैठक में कहा कि PEKB प्रस्ताव को कानून के अनुसार माना जा सकता है क्योंकि भारतीय वानिकी अनुसंधान परिषद द्वारा प्रस्तुत जैव विविधता आकलन रिपोर्ट में जैव विविधता से संबंधित मुद्दों पर ध्यान दिया गया है।
रिकॉर्ड के मुताबिक भारतीय वानिकी अनुसंधान परिषद (आईसीएफआरई) ने हसदेव अरण्य कोयला क्षेत्र के चार कोयला ब्लॉकों में खनन के लिए हरी झंडी दिखाई।
इंडियन एक्सप्रेस की खबर के अनुसार ICFRE ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि तारा, परसा, PEKB और केटे एक्सटेंशन जो या तो पहले से ही खुले हैं या वैधानिक मंजूरी स्वीकृत होने के अंतिम चरण में हैं। इसलिए यहां खनन करने को लेकर विचार किया जा सकता है। हालांकि एफएसी ने आखिरकार इस मुद्दे पर फैसला टाल दिया।
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लेकिन बैठक के मिनट्स से यह भी पता चलता है कि आईसीएफआरई और राज्य ने WII द्वारा उठाए गए कई आपत्तियों को नजरअंदाज कर दिया, जिसे ICFRE की रिपोर्ट के दूसरे खंड के रूप में शामिल किया गया था।
WII ने कहा कि कोयला खदानों और बुनियादी ढांचे के विकास से यहां के वन्यजीवों को नुकसान पहुंचेगा। हाथी जैसे बड़े
जानवरों पर इसका और भी प्रभाव पड़ सकता है। साथ ही डब्ल्यूआईआई ने यह भी कहा कि पहले ही राज्य में कई जगहों पर हाथियों और लोगों के बीच संघर्ष देखने को मिला है और आने वाले समय में यह संघर्ष काफी बड़ा भी हो सकता है।