जुबिली न्यूज़ ब्यूरो
नई दिल्ली. सांसदों और विधायकों के मामलों की सुनवाई के लिए मजिस्ट्रेट कोर्ट न बनाने पर सुप्रीम कोर्ट ने यूपी सरकार को फटकार लगाईं है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि सांसदों और विधायकों के मामलों की सुनवाई के लिए मजिस्ट्रेट कोर्ट के निर्माण के लिए अब वह खुद आदेश देगा.
भारत के मुख्य न्यायाधीश जस्टिस डी.वाई. चन्द्रचूड़ ने कहा कि दूसरे राज्यों ने सेशन कोर्ट भी बनाए और मजिस्ट्रेट कोर्ट भी लेकिन उत्तर प्रदेश सरकार ने ऐसा नहीं किया, जबकि हमने यूपी सरकार से मजिस्ट्रेट स्तर की विशेष अदालतें बनाने को कहा था. आज हमारे पास ऐसा कोई डेटा नहीं है जिससे यह मालूम हो जाये कि यूपी की सेशन कोर्ट में कितने मामले हैं. कितने दोषी करार हुए और कितने बरी.
चीफ जस्टिस ने इलाहाबाद हाईकोर्ट के वकील से पूछा कि यूपी में सांसदों और विधायकों के खिलाफ कितने मामले लम्बित हैं. वकील ने बताया कि 13 हज़ार मामले लंबित हैं. इनमें स्पेशल कोर्ट में 63 मामले हैं. चीफ जस्टिस ने यह जवाब सुनने के बाद कहा कि हमने सांसदों और विधायकों के मामलों के लिए स्पेशल मजिस्ट्रेट कोर्ट के लिए कहा था. वह अदालतें अब तक आखिर क्यों नहीं बनाई गईं. हमारे आदेश का गलत अर्थ न बताएं, हमें पता है कि हमारा आदेश क्या है.
चीफ जस्टिस ने कहा कि स्पेशल मजिस्ट्रेट की अदालतें नहीं बनायेंगे तो सांसदों और विधायकों के मामले कितना लम्बा खिंचेंगे. यूपी में सबसे ज्यादा मामले लंबित हैं. उन्होंने कहा कि दूसरे राज्यों की तरह से सेशन कोर्ट के साथ-साथ स्पेशल मजिस्ट्रेट कोर्ट भी ज्यादा से ज्यादा बनाने होंगे ताकि मुकदमों का निबटारा जल्दी से जल्दी किया जा सके.
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