- झुलेघाट पर अंतरराष्ट्रीय भोजपुरी सेवा न्यास की कवि गोष्ठी
जुबिली स्पेशल डेस्क
लखनऊ। अंतर्राष्ट्रीय भोजपुरी सेवा न्यास के तत्वावधान में झूलेलाल घाट पर भोजपुरी कवि सम्मेलन का आयोजन किया गया। सरस्वती वंदना डॉ. सुभाष चंद्र रसिया ने किया ।
इसके बाद उन्होंने छठ आधारित अपनी पे लेइ के दउरिया न हो पिया घाटे चली से समां बांधा। इस श्रृंखला को आगे बढ़ाते हुए सुरेशचंद्र पांडेय ने कहा कि माई छठी माई से विनती बारम्बार हो,बहुत आस लेक अइलीं माई रउ रे द्वार हो।
अपनी इस कविता के जरिए उन्होंने गोमती तट पर भक्ति की रसधारा प्रवाहित की। डॉ. सूर्य कुमार पांडेय ने गहना गुरिया पहिरि के घुसली मेला बीच।
लुच्चा पीछे परिगइल चेन ले गइल खींच के जरिए जहां व्यवस्था पर सीधी चोट की, वहीं राजेन्द्र कात्यायन ने ‘ज़र्रा ज़र्रा राम का सबके हैं प्रभु राम, सारी दुनिया मानती अवध पुरी है धाम’ सुनाकर लोगों को भावविभोर कर दिया।
सियाराम पांडेय ‘शांत’ ने अपराधिन के इहै बढ़ावैं,उन कर लुटिया इहै डुबावें।ई चाहैं त अमन-चैन बा,ई चाहैं त देस जरावैं कविता के जरिए देश की राजनीतिक व्यवस्था पर प्रहार किया।
भोजपुरी कवि और गंगा सेवक कृष्णानंद राय ने पर्यावरण संरक्षण पर आधारित गीत प्रस्तुत किया।पेड़ लगाकर हरियाली से पर्यावरण बचना है के जरिए उन्होंने पर्यावरण संरक्षण का संदेश दिया।सीमा गुप्ता की रचना घरे-घरे खुशियां बाहर आइल, देख छठी मैया के त्योहार आइल भी काफी सराही गई।
कार्यक्रम के मुख्य अतिथि डॉ. अनिल मिश्र ने अपनी प्रतिनिधि कविता के जरिए लोगों का ध्यान बरबस ही अपनी ओर खींचा।उन्होंने पढ़ा कि शांति शांति कहने से शांति नहीं होती है।
शांति धनुष की खिंची प्रत्यंचा में सोती है। इसके अतिरिक्त डॉ. अनुराधा पांडेय, लोकेश त्रिपाठी, बालेंदु द्विवेदी,साधना मिश्र विंध्य, आदि कवियों ने भी अपनी रचनाओं से श्रोताओं को भावविभोर किया।
अंतरराष्ट्रीय भोजपुरी सेवा न्यास के अध्यक्ष परमानंद पांडेय ने आगंतुक कवियों का स्वागत किया। इस अवसर पर न्यास के उपाध्यक्ष दिग्विजय मिश्र, संरक्षक हरीश कुमार श्रीवास्तव, न्यासी प्रसून पांडेय,दशरथ महतो, पुनीत निगम, श्याम सुंदर द्विवेदी, देवेंद्र दुबे आदि उपस्थित रहे।