जुबिली स्पेशल डेस्क
पटना। बिहार क्रिकेट के हक के लिए अपनी आवाज बुलंद करने वाले आदित्या वर्मा एक बार फिर सुर्खियों में है। बिहार क्रिकेट से लेकर अन्य मुद्दों पर बीसीसीआई को अक्सर आदित्य वर्मा आईना दिखाते रहते हैं।
पिछले काफी समय से वो बिहार क्रिकेट की भलाई के लिए काम कर रहे हैं। आदित्य वर्मा ने एक बार फिर बीसीसीआई को अपने रडार पर लिया है।
दरअसल उन्होंने भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (बीसीसीआई) के अध्यक्ष सौरव गांगुली और अन्य पदाधिकारियों को सुप्रीम कोर्ट के आदेश के उल्लंघन के लिए कानूनी नोटिस भेजा है।
पटना हाई कोर्ट के अधिवक्ता अभिनव श्रीवास्तव की ओर से भेजे गए कानूनी नोटिस के अनुसार, नए संशोधित संविधान में बोर्ड के साथ राज्य क्रिकेट संघों के पदाधिकारियों के कार्यकाल को छह या तीन साल, उसके बाद तीन साल का कूलिंग पीरियड अनिवार्य कर दिया गया है।
सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले को सभी को मानना जरूरी है। इसके अनुरूप बीसीसीआइ का चुनाव 23 अक्टूबर 2019 को संपन्न हुआ था और सौरव गांगुली अध्यक्ष, जय शाह सचिव व अन्य पदाधिकारी चुने गए थे।
नोटिस में आगे कहा गया…
इस नोटिस में सौरव गांगुली पर सवाल खड़ा किया गया है कि क्रिकेट एसोसिएशन आफ बंगाल में 27 जुलाई 2014 को सचिव पद पर रहते हुए वह अध्यक्ष भी बने।
इसके बाद बीसीसीआइ के अध्यक्ष हुए। उनका कूलिंग पीरियड 27 जुलाई 2020 से शुरू हो गया है। इसके बावजूद टीम इंडिया के पूर्व कप्तान सुप्रीम कोर्ट के आदेश का हर रोज उल्लंघन कर रहे है।
वह आज के दिन तक बीसीसीआइ के अध्यक्ष पद पर कार्य कर रहे हैं। सौरव के साथ बोर्ड के अन्य अधिकारियों का जवाब 15 दिनों के अंदर नहीं आता है तो सीएबी सुप्रीम कोर्ट के आदेश का उल्लंघन के लिए याचिका दायर करेगा।
आदित्य वर्मा अक्सर सुर्खियों में रहते हैं
इंडियन प्रीमियर लीग (आईपीएल) स्पॉट फिक्सिंग प्रकरण के याचिकाकर्ता आदित्य वर्मा अक्सर सुर्खियों में रहते हैं। बिहार में क्रिकेट को दोबारा पटरी पर लाने के लिए अक्सर आदित्य वर्मा आगे रहते हैं।
उन्होंने कई मौकों पर बीसीसीआई को आइना दिखाया है। साल 2006 से ही बिहार क्रिकेट की पहचान के लिए बीसीसीआई से संघर्ष कर रहे हैं।