जुबिली न्यूज डेस्क
अमेरिका के डॉक्टरों ने एक बड़ी सफलता हासिल की है, जिसकी चर्चा पूरी दुनिया में हो रही है। इतना ही नहीं डॉक्टरों की इस सफलता में भविष्य के लिए बड़ी उम्मीद दिख रही है।
दुनिया भर में मानव जीवन को स्वस्थ, सुरक्षित और बेहतर बनाने के लिए वैज्ञानिक नए-नए शोध करते रहते हैं। इसी दिशा में मेडिकल साइंस के वैज्ञानिकों ने एक बड़ी कामयाबी हासिल की है।
किडनी खराब होने और उसका कोई विकल्प नहीं होने से दुनिया में लाखों लोगों की असमय मौत हो जाती है। लेकिन अब अमेरिका के डॉक्टरों ने इस मामले में बड़ी खोज करते हुए सुअर की किडनी को इंसान के शरीर में सफलतापूर्वक ट्रांसप्लांट किया है। यह बहुत बड़ी कामयाबी है।
यह भी पढ़ें : उत्तराखंड में बारिश ने मचाई तबाही, 46 लोगों की मौत
यह भी पढ़ें : ऑस्ट्रेलिया का ये पूर्व दिग्गज क्रिकेटर हुआ गिरफ्तार, जानिए क्या है मामला
यह भी पढ़ें : बैकफुट पर फैबइंडिया, सोशल मीडिया पोस्ट हटाया
डॉक्टरों द्वारा इसकी कई तरह से जांच करने के बाद यह साफ हो गया है कि सुअर की किडनी इंसान के शरीर में अच्छी तरह से काम कर रही है। डॉक्टरों का कहना है कि शरीर के इम्यून सिस्टम ने सुअर के अंग को तत्काल खारिज नहीं किया।
किडनी ट्रांसप्लांट की यह पूरी प्रक्रिया न्यूयॉर्क सिटी में एनवाईयू लैंगन हेल्थ सेंटर में की गई। डॉक्टरों के अनुसार ट्रांसप्लांट से पहले सुअर के जीन को बदला गया था, ताकि इंसान का शरीर उसके अंग को तुरंत खारिज न करे।
यह पहली बार है जब किसी इंसान के शरीर में जानवर की किडनी का सफलतापूर्वक ट्रांसप्लांट किया गया है। इससे पहले जब भी ऐसे प्रत्यारोपण की कोशिश की गई, वह असफल रही, लेकिन इस बार ऐसा नहीं हुआ।
इससे किडनी की बीमारी से जूझ रहे लोगों की जिंदगी में एक उम्मीद जगी है।
बताया जा रहा है कि एक ब्रेन डेड मरीज की किडनी काम नहीं कर रही थी। इसके बाद उसे सुअर की किडनी लगाई गई। हालांकि यह काम करने से पहले डॉक्टरों ने मरीज के परिजनों से इसकी अनुमति मांगी थी। उसके बाद ही यह प्रयोग शुरू किया गया, और यह सफल रहा।
यह भी पढ़ें : पंजाब में अटल बिहारी और साहिर लुधियानवी के नाम पर छिड़ा सियासी जंग
यह भी पढ़ें : कुमारस्वामी बोले- RSS शाखा से निकले लोग विधानसभा में देखते हैं गंदी फिल्में
इस सफलता के बाद भी अभी बहुत कुछ खोजा जाना बाकी है। डॉक्टर और शोधकर्ता चिकित्सा विज्ञानी यह पता करने की कोशिश कर रहे हैं कि लंबी अवधि में इसके क्या परिणाम होते हैं।
न्यूयार्क के जॉन्स हॉपकिन्स स्कूल ऑफ मेडिसिन में ट्रांसप्लांट सर्जरी के प्रोफेसर डॉ. डोर्री सेगेव ने कहा, “हमें अंग की लंबी उम्र के बारे में और जानने की जरूरत है।” फिर भी, उन्होंने कहा, “यह एक बड़ी सफलता है। बड़ी बात है।”