जुबिली स्पेशल डेस्क
चंडीगढ़। नवजोत सिंह सिद्धू को लेकर बड़ी खबर आ रही है। जानकारी मिल रही है कि कांग्रेस पंजाब कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष नवजोत सिंह सिद्धू का अपना इस्तीफ़ा वापस लेने की तैयारी में है।
नवजोत सिंह सिद्धू को गुरुवार को दिल्ली बुलाया गया है। माना जा रहा है कि सिद्धू का अपना इस्तीफ़ा वापस ले सकते है। दिल्ली में सिद्धू पंजाब कांग्रेस के प्रभारी हरीश रावत के साथ-साथ भारतीय कांग्रेस कमेटी (एआईसीसी) महासचिव केसी वेणुगोपाल से मुलाकात करेंगे।
इससे पहले सिद्धू ने कहा,कि ” मुझे पंजाब से इश्क है और जो इसे समझते हैं वो कभी मुझ पर कोई आरोप नहीं लगाएंगे. हर जगह मेरी प्रतिभा को नजरअंदाज किया गया. राजनीति में पांच को 50 बनाया जा सकता है और 50 को शून्य में बदला जा सकता है…
सिद्धू और पार्टी के वरिष्ठ नेताओं के बीच 28 सितंबर के बाद ये पहली मुलाकात होगी. ऐसे में ये साफ है कि सिद्धू को लेकर आज कांग्रेस की तरफ से फैसला किया जा सकता है।
इसको लेकर पंजाब कांग्रेस के प्रभारी हरीश रावत ने एक ट्वीट किया और बताया है कि ‘नवजोत सिंह सिद्धू, अध्यक्ष पंजाब कांग्रेस 14 अक्टूबर को शाम 6 बजे वेणुगोपाल जी के कार्यालय में पंजाब प्रदेश कांग्रेस कमेटी से संबंधित कुछ संगठनात्मक मामलों पर चर्चा के लिए मुझसे और वेणुगोपाल जी से मुलाकात करेंगे। माना जा रहा इस बैठक में सिद्धू के इस्तीफे को लेकर कोई फैसला लिया जा सकता है।
इस वजह से सिद्धू ने दिया था इस्तीफा
सिद्धू की असल नाराजगी मुख्यमंत्री चन्नी द्वारा इकबाल प्रीत सिंह सहोटा को पंजाब के पुलिस महानिदेशक का चार्ज देना था। सिद्धू ने कहा था कि गुरुग्रंथ साहिब के अपमान मामले में सहोटा ने दो सिख युवकों को फंसाते हुए बादल परिवार को क्लीन चिट दी थी और चन्नी ने उन्हीं को पुलिस विभाग का मुखिया बना दिया। इसी के बाद सिद्धू ने इस्तीफा दे दिया था।
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पंजाब कांग्रेस में सियासी घमासान मचा हुआ है। इस बार प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष से इस्तीफा देना नवजोत सिंह सिद्धू को महंगा पड़ सकता है। सूत्रों की मानें तो पार्टी आलाकमान नवजोत सिंह सिद्धू के रवैये से सख्त नाराज है।
बता दें कि नवजोत सिंह सिद्धू ने अपना इस्तीफा देते हुए कहा था कि वह किसी तरह का समझौता नहीं कर सकते हैं। उन्होंने एक वीडियो संदेश में कहा था कि ‘प्यारे पंजाबियों, 17 साल का राजनीतिक सफर एक मकसद के साथ किया है।
पंजाब के लोगों की जिंदगी को बेहतर करना और मुद्दों की राजनीति करना। यही मेरा धर्म था और यही मेरा फर्ज है, मैंने कोई निजी लड़ाई नहीं लड़ी है। मेरी लड़ाई मुद्दों की है, पंजाब का अपना एक एजेंडा है। इस एजेंडे के साथ मैं अपने हक-सच की लड़ाई लड़ता रहा हूं, इसके लिए कोई समझौता है ही नहीं है।