Friday - 25 October 2024 - 6:35 PM

व्यंग्य/ बड़े अदब से : चायखाने में वैक्सीन पर चर्चा

मुझे चाय बोले जब देर हो गयी और उसके दर्शन नहीं हुए तो मैंने याद दिलाने के लिए फिर से अपने आर्डर हो रही देरी की कम्पलेन की। वह बोला, ‘रखी वाली आप पीते नहीं, बढ़िया और ताजी पीनी हो तो समय दिया करें जनाब।” ‘ठीक है ताजी बनाओ।” तभी दो बंदे न जाने कहां से आकर मेरे सामने खाली पड़ी कुर्सियों पर आ जमें। शक्ल और सूरत से चरसी लग रहे थे।

एक बोला,’आज कुछ गर्म ज्यादा नहीं है?”
‘मेले को तो नहीं लद लही हे।” इसके डायलॉग डिलीवरी में मैन्यूफैक्चिरिंग डिफेक्ट साफ था।
‘तूने कहीं शरीर को गर्म रखने के इंजेक्शन तो नहीं लगवा लिये हैं?” उसने मजाक उड़ाने की कोशिश की।
‘आज तल इंजेक्तन तौन लदवाता है। अब तो हल चीज ती वैतीन आ दई है माल्केट में।” उसने जानकारी दी।
‘भाई यू कोविड वैक्सीन का क्या सीन है? ये बता कि लगवाई जाए कि नई?”
‘अमे तोत तो मैं भी ला हूं, पल तहीं लदवाते ही तुछ हो दया तो!!”

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‘अमा सौ करोड़ लगवा चुके हैं। जब उन्हें कुछ नहीं हुआ तो तुम्हें क्या होगा? सरकारी पिरोगिराम है। कुछ नहीं होगा। ” इसकी दूरदृष्टि स्पष्ट थी।
” तोई बता लहा था कि वैतीन ठोंकवाने के बाद तौ ते एक तौ ताल डिग्री तक टम्पलेचल में लहना पड़ेगा। वो तैसे मिनतेन तलोगे?”
‘दो तीन पुड़िया का और जुगाड़ कर लेंगे।”
‘ये तही तह लहे हो। मेले एत दोस्त के पात हैं माल। बात तलते हैं।”
‘एक नेता कह रहे हैं कि यह बीजेपी की वैक्सीन है। अमा क्या ये राजनीति छोड़कर दवाइयां बनाने लगे हैं?”
‘ये तो पता नई। पैले ये बताओ की इसता तोई साइड इफेत तो नई?”
‘इसके बारे में अफवाह तो ये है कि यह फैमिली प्लानिंग की डोज है। तभी तो नेता लोग नहीं लगवा रहे हैं। किसी आैर देश से आयी होती तो जरूर सबसे पहले ठोंकवा लेते।”
‘भाईताहब आप बताइये ती लोग त्या तहते हैं इसते बाले में?” वह मेरी तरफ मुखातिब था। जवाब के पाने के लिए मेरी आंखों में अपनी आंखें धंसाये दे रहा था।

“मैं पढ़ रहा था कि हरभजन सिंह ने ट्वीट किया कि फाइजर और बायोटेक वैक्सीन की एक्युरेसी-94 फीसदी, मोडेर्ना वैक्सीन 94.5 फीसदी, ऑक्सफोर्ड वैक्सीन-90 फीसदी और  भारतीयों का रिकवरी रेट (बिना वैक्सीन) अन्य देशों से बेहतर है।” मैंने अपना मोबाइल निकाल कर पढ़ दिया।

‘यह तो तही तहा। हम हैं ही तबते भले।
‘हमने तो सोच लिया है कि पहिरे बाबूजीको भोंकवा देंगे। ठीक रहे तो हम भी घुसवा लेंगे।” दूसरे ने अबकी सुदूर की कौड़ी फेंकी।
‘मेले तो बाबूजी पैले ही तोविद के सितार हो कुचे हैं।”
‘अबे क्यों न पहले अपनी अपनी बीबियों को लगवा दी जाए। ठीक रहीं तो अपनी भी देखरेख कर लेंगी।”
‘मेली तो अपुन तो छोल तल चली दयी है।”
‘सुना है तीसरी लहर का कहर भी आने वाला था। कोई डेल्टा प्लस वायरस भी आ गया है। इसकी मार सत्तर फीसदी ज्यादा है कोविड से। अभी इसका प्रभाव कुछ देशों में ही है। सुन तो यह भी रहे हैं कि डेंगू ने भी पंख फैलाये हैं। अमां ये हो क्या रहा है। सांस लेना भी दूभर हो गया है।”
‘ये तो दो हजाल इत्तीस है इसलिए सब तुछ इत्तीस ही होदा।

दोनों पहले बनी हुई कई बार की गर्म की हुई चाय निपटा चुके थे। चाय के पेेमेन्ट को लेकर उनमें बहसा बहसी शुरू हो गयी। एक कह रहा था कि तुम पिलाने लाये थे तो दूसरा पहले वाले को ब्लेम लगा रहा था मैंने तो पुड़िया पिला दी थी।

गाली गलौज भी शुरू हो चुकी थी। फिर मेरे बीच में आने के बाद ही मारपीट शुरू हो पायी। पता नहीं मास्क न लगाने के चलते कोई देसी वायरस उनके अंदर प्रवेश कर गया था।

अभी इसका टीका फिलहाल खाकी वर्दी के पास ही है। अभी पुलिस लिखी “एम्बुलेंस” आने में देरी है। तब तक मैं अपनी चाय खत्म कर लूं।…

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