जुबिली न्यूज़ ब्यूरो
नई दिल्ली. जनप्रतिनिधियों की विशेष अदालत ने मधेपुरा के पूर्व सांसद पप्पू यादव को रिहा करने का आदेश दे दिया है. वह 12 मई से जेल में थे. पप्पू यादव को पटना से हालांकि 32 साल पुराने अपहरण के एक मामले में गिरफ्तार किया गया था लेकिन हकीकत यह है कि पप्पू यादव ने बीजेपी सांसद राजीव प्रताप रूड़ी के दरवाज़े पर खड़ी एम्बुलेंस का मामला उठाया था.
पप्पू यादव ने कहा था कि जिस दौर में कोरोना मरीजों को एम्बुलेंस नहीं मिल रही है उस दौर में बड़ी संख्या में एम्बुलेंस राजीव प्रताप रूड़ी के दरवाज़े पर कपड़ा ओढ़े खड़ी हैं. पप्पू यादव के सवाल पर सरकार की तरफ से बयान आया कि ड्राइवर न होने की वजह से एम्बुलेंस खड़ी हैं. पप्पू यादव अगले ही दिन एम्बुलेंस की दूनी संख्या में ड्राइवर लेकर फिर से रूड़ी के आवास पर जाकर प्रदर्शन करने लगे.
पप्पू यादव की वजह से सरकार और बीजेपी दोनों की काफी किरकिरी हुई. पप्पू यादव को प्रदर्शन के दौरान हिरासत में ले लिया गया. 32 साल पुराना अपहरण का मामला खोला गया और उस मामले में पप्पू यादव को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया गया.
सोमवार को अपहरण के इस मामले में अपर जिला जज निशिकांत ठाकुर ने कहा कि पप्पू यादव के खिलाफ इस मामले में पर्याप्त साक्ष्य नहीं हैं. इस मामले में 30 सितम्बर को कोर्ट में बहस हुई थी. पप्पू यादव को भी जेल से अदालत में लाया गया था. जज ने उस दिन फैसला सुरक्षित कर लिया था. आज फैसला सुनाते हुए जज निशिकांत ठाकुर ने पप्पू यादव को रिहा करने के आदेश दिए.
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उल्लेखनीय है कि 32 साल पुराने अपहरण के इस मामले में दो गवाहों की मौत हो चुकी है. पीड़ित अपने बयान से पलट गया है. पप्पू यादव खुद को बेगुनाह बता ही रहे हैं. ऐसे में पप्पू यादव को इस मामले में और जेल में नहीं रखा जा सकता. जज ने अंतिम रूप से फैसला सुनाते हुए पप्पू यादव को रिहा कर देने का आदेश दिया है.