जुबिली न्यूज डेस्क
कोरोना महामारी ने सबसे ज्यादा बच्चों को प्रभावित किया है। कई राज्यों में पिछले डेढ़ साल से छोटे बच्चों के स्कूल बंद है। बच्चों कोरोना की शुरुआत से घरों में बंद है।
बच्चों की पढ़ाई-लिखाई, खेलकूद सबकुछ ऑनलाइन हो गया है। इसकी वजह से बच्चों को मानसिक परेशानी का भी सामना करना पड़ रहा है। इसी सबको लेकर एक 12 साल के बच्चे ने सुप्रीम कोर्ट से स्कूल खुलवाने की गुहार लगाई।
इस पर अदालत ने बच्चे को हिदायत देते हुए कहा कि उसे अपनी पढ़ाई पर ध्यान देने की जरूरत है। इस तरह की याचिका दाखिल करने के चक्कर में वह न पड़े।
यह भी पढ़ें : TEST नहीं बल्कि T-20 मैच की मेजबानी करेगा लखनऊ का इकाना
यह भी पढ़ें : ब्रिटेन के नये कोरोना ट्रैवल नियम पर विवाद, भारत के साथ भेदभाव का आरोप
यह भी पढ़ें : राहुल की शान में सिद्धू क्यों पढ़ रहे हैं कसीदे
सुप्रीम कोर्ट ने स्कूल खोलने को लेकर कोई आदेश देने से इनकार करते हुए कहा कि अभी तीसरी लहर का खतरा सामने मंडरा रहा है।
जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की बेंच ने बच्चे से कहा कि वह अपनी पढ़ाई पर ध्यान दें। अभी बच्चों को कोरोना की वैक्सीन नहीं लगी है। कोरोना संक्रमण का खतरा अभी टला नहीं है। जहां हालात सामान्य हो रहे हैं, वहां राज्य सरकारें स्कूल खोल रही हैं।
अदालत ने कहा कि क्या हम कह सकते हैं कि जो केरल के हालात महाराष्ट्र जैसे हैं या फिर दिल्ली के प. बंगाल जैसे। ऐसे में क्या स्कूल खोले जा सकते हैं।
बेंच ने याचिकाकर्ता बच्चे के वकील से कहा- हम ये नहीं कहते कि यह याचिका गलत है, या फिर प्रचार पाने के लिए लगाई गई है पर बच्चों को ऐसे पचड़ों में नहीं पडऩा चाहिए।
फिलहाल अदालत की हिदायत के बाद याचिकाकर्ता ने अपनी अर्जी वापस ले ली। बच्चे ने अपनी याचिका में कहा था कि ऑनलाइन पढ़ाई कारगर नहीं है। बच्चे तनाव का शिकार हो रहे हैं। उसने मिड डे मील का हवाला भी अपनी याचिका में दिया था।
बच्चे की अपील थी कि कोर्ट फिजिकल क्लासेज शुरू कराने का लिए आदेश जारी करे जिससे बच्चों को ऑनलाइन सिस्टम से निजात मिल सके।
यह भी पढ़ें : कैप्टन के बगावती सुनामी में क्या टिक पाएगी कांग्रेस
यह भी पढ़ें : छोड़ना होगी विभाजन की मानसिकता
यह भी पढ़ें : डंके की चोट पर : फोकट की सुविधाएं सिर्फ आपको ही चाहिए मंत्री जी
कोरोना महामारी की वजह से डेढ़ साल से अधिक समय से ज्यादातर स्कूल बंद हैं। ऐसे में बच्चों की पढ़ाई ऑनलाइन कराई जा रही है।
सुनवाई के दौरान अदालत ने कोरोना की दूसरी लहर का जिक्र कर कहा कि अभी हम एक भयावह खतरे से बाहर निकले हैं। तीसरी लहर आने का अंदेश दिख रहा है। हमें यह भी नहीं पता कि इसका कितना असर होगा। सरकारें अपने हिसाब से बच्चों की पढ़ाई के लिए दिशा निर्देश जारी कर रही हैं।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि दूसरे देशों में स्कूल खुलने के बाद बच्चों में कोरोना के मामले बढ़े हैं। अभी हमारे पास डेटा या वैज्ञानिक जानकारी उपलब्ध नहीं है। ऐसे में स्कूल खोलने को लेकर कोई आदेश जारी नहीं किया जा सकता है। बच्चों को अभी वैक्सीन भी नहीं लगी है।