जुबिली स्पेशल डेस्क
सामान खरीद में होने वाली धांधली को रोकने के लिए शुरू हुआ जेम पोर्टल उत्तर प्रदेश के स्वास्थ्य महकमे के लिए सोने के अंडे देने वाली मुर्गी बन गया है। ज़िलों में पोर्टल पर दो गुना तीन गुना मनमाने दर पर अधिक कीमत में दवाएँ,केमिकल,सर्जिकल सामग्री व चिकित्सीय उपकरण खरीदा जा रहा है।
जबकि स्थानीय बाजार में वही चीजें काफ़ी कम कीमत पर उपलब्ध हैं। मज़ेदार बात ये है कि सरकार में बैठे अधिकारी जेम पोर्टल से हुई खरीद को पारदर्शी और भ्रष्टाचार मुक्त बता रहे हैं।
जेम पोर्टल पर कैसे हो रहा है खेल
जेम पर 5 लाख तक की ख़रीद करने के लिए L1रेट लिया जाता है।अब यहीं से खेल शुरू होता है।जेम के परचेज ऑफ़िसर वेंडर से साँठ गाँठ कर के एल 1 अधिक रेट का बना कर मनमाने तरीक़े से परचेज कर रहे हैं।
जेम पोर्टल पर शासनादेश के तहत इमरजेंसी होने पर कोटेशन के आधार पर ख़रीद की सुविधा दी गयी है।और इसी की आड़ लेकर स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी मोटे कमीशन के फेर में इमरजेंसी दिखाकर BOQ ,कस्टम बिड एवं नार्मल बिड से क्रय न कर के कोटेशन करके ख़रीद कर रहे हैं।
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हो ये रहा है कि परचेजर और सेलर मिल कर के अपनी अपनी आइ डी एक दूसरे को दे देते हैं।फिर जेम मार्केट लोवेस्ट रेट (Gem market Lowest Rate) से ना बना कर अधिक दर पर क्रय आदेश बना देते हैं।
इस प्रकार पाँच लाख तक के ऑर्डर जेम पर खेल करके किए जा रहे हैं। दूसरी बात ये कि ख़रीद टुकड़ों में बाँट कर कोटेशन पर ले कर सरकारी राजस्व को चूना लगाया जा रहा है।
जानिए जेम पोर्टल क्या है
सरकारी खरीद को पारदर्शी और भ्रष्टाचार मुक्त बनाने के लिए केंद्र सरकार ने 2016 में गवर्नमेंट ई-मार्केट पोर्टल की व्यवस्था शुरू की। योगी सरकार भी लगातार इस पर जोर दे रही है कि सरकारी विभाग इस पोर्टल के माध्यम से ही खरीद करें।
इस पर अमल भी हुआ और वित्तीय वर्ष 2020-21 में जेम पोर्टल से सर्वाधिक खरीद के लिए उत्तर प्रदेश को पहला पुरस्कार मिला है। केंद्र सरकार का यह पुरस्कार अपर मुख्य सचिव एमएसएमई डा.नवनीत सहगल ने मंगलवार को वर्चुअल कार्यक्रम में जेम की पांचवीं वर्षगांठ पर सीआइआइ के नेशनल पब्लिक प्रोक्योरमेंट-2021 के दो दिवसीय कान्क्लेव के समापन पर प्राप्त किया।
सहगल ने कहा कि राज्य सरकार सरकारी खरीद में पारदर्शिता बरतने और भ्रष्टाचार को रोकने के लिए कटिबद्ध है। जेम पोर्टल के माध्यम से खरीदारी करने के कारण भ्रष्टाचार पर बड़े पैमाने पर रोक लगी है। विभिन्न विभागों द्वारा जो खरीदारी की जा रही है, उसमें मितव्ययिता, गुणवत्ता और पारदर्शिता को प्राथमिकता दी जा रही है।
प्रदेश में जेम पोर्टल से अब तक कितनी हुई है ख़रीद
प्राप्त जानकारी के अनुसार प्रदेश के विभिन्न विभागों ने जेम पोर्टल से वित्तीय वर्ष 2017-18 में 602 करोड़ रुपये, 2018-19 में 1674 करोड़ रुपये और वित्तीय वर्ष 2019-20 में 2401 करोड़ रुपये की खरीदारी की, जो लगातार बढ़ते हुए वित्तीय वर्ष 2020-21 में कुल 4675 करोड़ रुपये हो गई है। 2021-22 में अब तक 3363 करोड़ रुपये की खरीद की गई है।
अब प्रश्न उठता है कि जेम पोर्टल के माध्यम से खरीदारी में बड़े पैमाने पर हो रहे भ्रष्टाचार पर क्या वास्तव में रोक लगी है और क्या कोई सरकारी तंत्र जेम पर सरकारी खरीद में पारदर्शिता बरतने और भ्रष्टाचार को रोकने के लिए किसी तरह की निगरानी कर रहा है।उत्तर यही होगा की इस पर सरकार ने ध्यान ही नहीं दिया।
अगर सही मायने में सरकारी अस्पतालों में जेम से ख़रीद की उच्चस्तरीय जाँच करायी जाय तो बड़ा भ्रष्टाचार सामने आयेगा। सरकार को चाहिए कि BOQ ,कस्टम बिड एवं नार्मल बिड से ही क्रय करने का सख़्त आदेश जारी करे अन्यथा जेम पोर्टल के माध्यम से खरीदारी में बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार होता रहेगा और सरकार की जेम से खरीद को पारदर्शी और भ्रष्टाचार मुक्त करने की मंशा धरी रह जाएगी।