जुबिली न्यूज डेस्क
गुजरात में शनिवार को विजय रूपाणी ने मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया । उन्होंने इस्तीफा ऐसे समय में दिया जब विधानसभा चुनाव होने में सिर्फ एक साल का समय बचा है।
पिछले दो माह वह भाजपा के तीसरे ऐसे नेता हैं जिन्होंने मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया है। इसके पहले उत्तराखंड और कर्नाटक में मुख्यमंत्री बदले गए थे।
हालांकि, इसके पीछे एक बड़ी वजह यह भी मानी जा रही है कि भाजपा को झारखंड में मिलने वाली हार के बाद अब भाजपा किसी भी राज्य में जोखिम नहीं उठाना चाहती है। इस कारण से उन मुख्यमंत्रियों की विदाई हो रही है जो अपेक्षाओं के मुताबिक प्रदर्शन करने में नाकाम रहे हैं।
दरअसल, भाजपा ने लोकसभा चुनावों में दमदार वापसी की मगर इसके छह माह बाद ही झारखंड में पार्टी को हार का सामना करना पड़ा। भाजपा को राज्य में हेमंत सोरेन की अगुवाई में हुए गठबंधन से हार मिली।
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हालांकि इस तरह के चुनाव परिणाम की पार्टी के ही अंदर कई लोगों ने भविष्यवाणी भी की थी। इसके लिए तत्कालीन मुख्यमंत्री रघुबर दास की अलोकप्रियता को कारण बताया जाता था।
ऐसा माना जा रहा है कि झारखंड में मिली इस हार से सबक लेते हुए भाजपा ने इस साल पांच मुख्यमंत्री बदल दिए हैं, जिनमें से ताजा नाम विजय रुपाणी का है। शीर्ष नेतृत्व का मानना है कि नुकसान से पहले ही नुकसान को नियंत्रित कर लिया जाए।
हरियाणा में वर्ष 2019 में चुनाव हुए थे और तब भाजपा बहुमत पाने में असफल रही। पार्टी को गठबंधन सरकार बनानी पड़ी। हालांकि, भाजपा ने मनोहर लाल खट्टर को ही मुख्यमंत्री बनाए रखा।
राजनीतिक गलियारों में इस बात की चर्चा है कि झारखंड की हार और हरियाणा में खराब प्रदर्शन के बाद भाजपा ने अब फैसला लिया है कि जो सीएम कम चर्चित या ओलकप्रिय हैं, जिनका प्रदर्शन अच्छा नहीं रहा है, उन्हें अगले चुनाव से पहले पद छोडऩा पड़ेगा।
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भाजपा ने इसकी शुरुआत इसी साल उत्तराखंड के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत से की थी। हालांकि, उनके बाद पार्टी ने तीरथ सिंह रावत को मुख्यमंत्री बनाया और उन्हें भी तकनीकी कारणों से पद छोडऩा पड़ा। अब पुष्कर सिंह धामी उत्तराखंड के मुख्यमंत्री हैं।
असम चुनाव में भी भाजपा ने सर्बानंद सोनोवाल की जगह प्रचलित चेहरा माने जाने वाले हिमंत बिस्वा सरमा को मुख्यमंत्री पद की कमान सौंपी। इसके बाद बढ़ती उम्र का हवाला देते हुए पार्टी ने कर्नाटक में बीएस येदियुरप्पा की जगह भी बसवाराज बोमई को सीएम पद सौंपा।
इससे यह भी संदेश गया कि भाजपा अब येदियुरप्पा के बिना साल 2023 विधानसभा चुनाव लडऩे की तैयारी में है।
रुपाणी की विदाई इस बात का साफ संकेत देती है कि बीजेपी किसी भी कीमत पर झारखंड की तरह गुजरात विधानसभा चुनाव में हारना नहीं चाहती है।