जुबिली स्पेशल डेस्क
अफगानिस्तान में तालिबान का कब्जा हो गया है। ऐसे में बहुत जल्द वहां पर नई सरकार का गठन हो सकता है। हालांकि नई सरकार का कैसी होगी इसको लेकर कयासों का दौर शुरू हो गया है।
अब जानकारी मिल रही है कि वहां पर नई सरकार बनाने का फॉर्मूला पूरी तरह से तैयार हो गया है और बहुत जल्द तालिबान इस सरकार का गठन कर सकता है। इसको लेकर उसने अपनी तैयारी भी शुरू कर दी है। हालांकि सरकार का गठन अभी एक से तीन दिन टालने की खबर आ रही है।
मीडिया रिपोट्र्स की माने तो तालिबान अफगानिस्तान में ईरान के मॉडल की तरह नई सरकार का गठन करेगा। इसके तहत मुल्ला हिब्तुल्लाह अखुंदजादा अफगानिस्तान का नया सुप्रीम लीडर बनना तय माना जा रहा है। आइए जानते हैं तालिबान की नई सरकार में कौन-कौन होगा शामिल….
1 हिबतुल्लाह अखुंदजादा
अफगानिस्तार में इन दिनों हिबतुल्लाह अखुंदजादा का नाम सुर्खियों में बना हुआ है। जानकारी मिल रही है वो नई सरकार में अफगानिस्तान का नये सुप्रीम लीडर घोषित किया जायेगे।
मुल्ला हिब्तुल्लाह अखुंदजादा के अतीत पर गौर किया जाये तो साल 2016 से तालिबान के प्रमुख है। दरअसल 2016 में अमेरिकी ड्रोन हमले में अख्तर मोहम्मद मंसूर की मौत हो गई थी और उसके बाद अखुंदजादा तालिबान प्रमुख के तौर पर काम कर रहे हैं।
थोड़ा पीछे जाये तो अखुंदजादा सोवियत आक्रमण काल में इस्लामी प्रतिरोध में शामिल रहे हैं। हालांकि वो सैन्य कैमांडर नहीं बल्बि एक धार्मिक नेता के तौर पर उनको देखा जाता है। मीडिया रिपोट्र्स की माने तो पिछली तालिबान सरकार में वो सर्वोच्च न्यायालय के उप प्रमुख के तौर पर भी काम किया है लेकिन जब तालिबान का शासन खत्म हुआ तो वो धार्मिक नेता के तौर पर पेश होते रहे हैं।
2 मुल्ला अब्दुल गनी बरादर
सुप्रीम लीडर के बाद दूसरा बड़ा नाम आता है मुल्ला अब्दुल गनी बरादर का है। कहा जाता है नई सरकार में उसकी पकड़ सबसे ज्यादा होगी। उनको तालिबान की नई सरकार का मुखिया बनाने की तैयारी है।
जहां तक मुल्ला अब्दुल गनी बरादर के पिछले कारनामे की बात है तो अमेरिकी खुफिया एजेंसी सीआईए और पाकिस्तान ने साल 2010 में एक ऑपरेशन में दबोचा गया था और उसे जेल की हवा भी खानी पड़ी थी।
हालांकि आठ साल पाकिस्तानी जेल में गुजराने के बाद अमेरिकी दबाब में उसे छोडऩा पड़ा था। उसके बाद मुल्ला अब्दुल गनी बरादर कतर में रहने लगा और दोहा में उसे तालिबान के राजनीतिक कार्यालय के प्रमुख बना दिया गया। मीडिया रिपोट्र्स की माने तो उसी के समझौते के बाद अमेरिकी सेना को आफगानिस्तान छोडऩे पर मजबूर होना पड़ा है।
3 अनस हक्कानी
तालिबान की नई सरकार में अनस अहम भूमिका निभाता नजर आयेगा। इसके बारे में कहा जाता है कि कतर में जो समझौता हुआ है उस टीम में यह भी शामिल था।
अनस हक्कानी सिराजुद्दीन हक्कानी का भाई और कविता लिखने के लिए भी चर्चा में रहता है। साल 2014 अनस को गिरफ्तार किया गया था। हालांकि बाद में उसे छोड़ दिया गया था। तालिबान के कब्जे के बाद अनस ने अफगान क्रिकेट बोर्ड का दौरा कर क्रिकेट को जारी रखने का भरोसा दिलाया था।
4 सिराजुद्दीन हक्कानी
अफगानिस्तान में हक्कानी नेटवर्क की खूब चर्चा होती है। इसका प्रमुख कोई और नहीं है बल्कि सिराजुद्दीन हक्कानी है। माना जाता है कि इसका दबदबा अफगानिस्तान के साथ-साथ पाकिस्तान में देखने को मिलता है।
कहा तो यह भी जाता है कि तालिबान को मिलिट्री स्ट्रेटजी में इसने मदद की है। काबुल से मिली जानकारी के अनुसार तालिबान के कब्जे के बाद हक्कानी को काबुल का सुरक्षा प्रभारी बनाया गया है।
इसकी दहशत का अंदाजा केवल इस बात से लगाया जा सकता है कि कब्जे के बाद से तालिबान ने हक्कानी को काबुल का सुरक्षा प्रभारी बना दिया है। अमेरिकी खुफिया एजेंसियों ने हक्कानी को अपनी मोस्ट वांटेड लिस्ट में रखा हुआ है। इतना ही नहीं इसपर करीब36 करोड़ रुपये का इनाम भी रखा गया है।
5 मोहम्मद याकूब
तालिबान के संस्थापक मोहम्मद उमर के बेटे मोहम्मद याकूब भी नई सरकार में अहम किरदार साबित हो सकते हैं। बताया जा रहा है कि मोहम्मद याकूब सुप्रीम लीडर हिबतुल्लाह अखुंदज़ादा के दो डिप्टी में से एक हो सकता है। उसने पाकिस्तान में इस्लामिक शिक्षा हासिल की है।
उसको लेकर बड़ी जानकारी यह है कि उसे 2016 में याकूब को अफगानिस्तान के 15 प्रदेशों का मिलिट्री प्रमुख बनाया गया था। इसके बाद रहबरी शूरा में शामिल किया गया था। उसके बारे एक और बड़ी जानकारी यह ह ैकि वो सऊदी अरब राजशाही परिवार से खास नाता रखता है।
6 जबीउल्लाह मुजाहिद
जबीउल्लाह मौजूदा वक्त में तालिबान के प्रवक्ता है और अक्सर उनका बयान मीडिया में आता रहता है। इतना ही नहीं तालिबान के पक्ष पूरी दुनियामें वो प्रभावशाली तरीके से रखते हैं।
जबीउल्लाह पहली बार 17 अगस्त 2021 को सावर्जनिक रूप से पेश हुए। इसके आलावा वो अमेरिकी और अफगान सेना से लड़ चुके हैं। हालांकि उनको लेकर और कोई खास जानकारी नहीं है लेकिन उनको तालिबान का बड़ा समर्थक बताया जाता है।
7 सुहैल शाहीन
सुहैल भी मौजूदा वक्त में तालिबान के प्रवक्ता के तौर पर मीडिया में सामने आते रहे हैं। इसके आलावा कतर में तालिबान के राजनीतिक ऑफिस में प्रवक्ता के तौर पर काम करते हैं।
नई सरकार में इन्हें भी कोई बड़ी जिम्मेदारी दी जा सकती है। 1996-2001 के दौरान वो पत्रकार के तौर काबुल टाइम्स के सम्पादक की भूमिका निभा चुके हैं। उसे सुहैल पश्तो, उर्दू, इंग्लिश, हिंदी की अच्छी जानकारी है और तालिबान की नई सरकार में पढ़े लिखे होने से बड़ा फायदा हो सकता है।
8 शेर मोहम्मद अब्बास स्तनेकजई
58 साल के शेर मोहम्मद अब्बास स्तनेकजई को तालिबान नई सरकार में बड़ी भूमिका देने को तैयार है। उन्हें प्यार से शेरू पुकारा जाता है। उनका भारत से खास रिश्ता रहा है क्योंकि उन्हेांने देहरादून स्थित इंडियन मिलिट्री अकादमी में पढ़ाई की हुई है। इसके बाद उन्होंने अफगान को टे्रनिंग दी है। शेरू तालिबान के दोहा राजनीतिक कार्यालय के प्रमुख के तौर काम कर रहे हैं। पिछली तालिबान सरकार में शेरू उपविदेश मंत्री रहे हैं। ऐसे में इस बार उन्हें कोई बड़ा पद दिया जा सकता है।