जुबिली न्यूज डेस्क
हमारे आस-पास ऐसे कई लोग है जो कोरोना को मात दे चुके हैं लेकिन कुछ परेशानियों से आज भी जूझ रहे हैं। कोरोना से उबरने के बाद अधिकांश लोगों को काफी समय तक कई समस्याओं से जूझना पड़ा।
कोरोना को लेकर ब्रिटिश मेडिकल जर्नल द लांसेट फ्राइडे में प्रकाशित एक शोध में कहा गया है कि कोरोना से उबरने के बाद अस्पताल से छुट्टी मिलने वाले लगभग आधे मरीज अभी भी कम से कम एक लगातार लक्षण से पीडि़त हैं। एक साल बाद भी उनमें थकान या मांसपेशियों में कमजोरी रहती है।
कोरोना महामारी के दीर्घकालिक स्वास्थ्य प्रभावों की बेहतर समझ के लिए किए गए चीनी शोध के अनुसार कोरोना संक्रमित जिन मरीजों को अस्पताल में भर्ती कराया गया था, उनमें से आधे के करीब एक साल बाद भी थकान और सांस की तकलीफ से जूझ रहे हैं।
द लांसेट फ्राइडे में प्रकाशित स्टडी में कहा गया है कि कोरोना के लगभग आधे मरीजों को अस्पताल से छुट्टी मिलने के एक साल बाद भी वे लगातार कम से कम एक लक्षण से पीडि़त हैं। स्टडी में कहा गया है कि मरीजों में सबसे अधिक बार थकान या मांसपेशियों में कमजोरी के लक्षण पाए गए।
एक साल बाद भी गंभीर असर
स्टडी में कहा गया है कि दुनिया में गंभीर कोविड इंफेक्शन होने के बाद हफ्तों या महीनों तक उसका असर झेलने वाले लाखों लोग हैं। ऐसे लोगों को सुस्ती और थकान से लेकर ध्यान भटकने या सांस लेने में तकलीफ जैसे लक्षण हो सकते हैं।
लॉन्ग कोविड के रूप में जानी जाने वाली स्थिति पर अब तक के सबसे बड़े शोध में कहा गया है कि निदान के एक साल बाद भी तीन रोगियों में से एक को सांस की तकलीफ है। बीमारी से अधिक गंभीर रूप से प्रभावित रोगियों में यह संख्या और भी अधिक है।
द लांसेट ने अध्ययन के साथ प्रकाशित एक एडिटोरियल में कहा, “बिना किसी सिद्ध उपचार या पुनर्वास मार्गदर्शन के लंबे समय तक कोविड मरीजों की सामान्य जिंदगी को यह फिर से शुरू करने और काम करने की क्षमता को प्रभावित करता है।”
एडिटोरियल में कहा गया, “स्टडी से पता चलता है कि कई मरीजों के लिए कोरोना से पूरी तरह से ठीक होने में एक साल से अधिक समय लगेगा।”
मध्य चीनी शहर वुहान में जनवरी और मई 2020 के बीच कोरोना वायरस के लिए लिए अस्पताल में भर्ती लगभग 1,300 लोगों पर यह शोध किया गया।
सबसे पहले कोरोना का मामला चीन के वुहान शहर में मिला था। यहीं से निकलकर कोरोना पूरी दुनिया में फैला और करोड़ों लोगों को अपनी चपेट में ले लिया। कोरोना संक्रमण में पूरी दुनिया में 40 लाख से अधिक लोगों की मौत हो चुकी है।
शोध के अनुसार कम से कम एक लक्षण वाले रोगियों की हिस्सेदारी छह महीने के बाद 68 प्रतिशत से घटकर 12 महीने के बाद 49 प्रतिशत हो गई।
पढ़ें : स्टडी में दावा, गुजरात में भी छिपाया गया कोरोना से मौतों का आंकड़ा
पढ़ें : कोरोना के फिर नए मामले 40 हजार के पार
पढ़ें : काबुल धमाका: 13 अमेरिकियों सहित 60 लोगों की मौत, बाइडन ने कहा- ‘हमलावर को नहीं छोड़ेंगे’
लॉन्ग कोविड एक और चुनौती
शोध में कहा गया है कि कोरोना से निदान के छह महीने के बाद 26 प्रतिशत रोगियों में सांस लेने में तकलीफ 12 महीने के बाद बढ़कर 30 प्रतिशत हो गई।
शोध में पाया गया कि प्रभावित पुरुषों की तुलना में प्रभावित महिलाओं में थकान या लगातार मांसपेशियों में कमजोरी से पीडि़त होने की संभावना 43 प्रतिशत अधिक है।
लेकिन शोध में यह भी कहा गया है कि काम करने वाले 88 प्रतिशत रोगी एक साल बाद अपनी नौकरी पर लौट आए थे।
एडिटोरियल में लिखा गया है, “लॉन्ग कोविड पहले क्रम की एक आधुनिक चिकित्सा चुनौती है।” इस स्थिति को समझने और इससे पीडि़त मरीजों की बेहतर देखभाल के लिए और अधिक शोध करने की जरूरत है।
पढ़ें : ब्याज दर बढ़ाने वाला पहला बड़ा एशियाई देश बना दक्षिण कोरिया
पढ़ें : केंद्र ने सुप्रीम कोर्ट के लिए नौ जजों की नियुक्ति का प्रस्ताव राष्ट्रपति को भेजा