जुबिली न्यूज
हिमाचल के किन्नौर जिले में बुधवार को बड़ा हादसा हो गया था। भूस्खलन की चपेट में एक बस व अन्य कई वाहन आ गए जिसमें
अब तक इस हादसे में 13 लोगों की मौत हो गई है।
किन्नौर लैंडस्लाइड में मरने वालों की संख्या में लगातार इजाफा हो रहा है। इस हादसे में जहां अब तक 13 लोगों की मौत हो गई है तो वहीं 13 अन्य को बचा लिया गया है।
अभी 25-30 लोग लापता बताए जा रहे हैं। फिलहाल, जिंदगी बचाने की जंग में एनडीआरएफ से लेकर आईटीबीपी के जवान जुटे हुए हैं।
दरअसल, किन्नौर जिले के निगुलसेरी में घटना स्थल पर सड़क साफ करने के बाद मलबे में सिर्फ रोडवेज बस की बॉडी का एक टुकड़ा मिला है। बस का और उसमें बैठे 25 यात्रियों का अब तक कोई पता नहीं चल पाया है।
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घटनास्थल पर अंधेरा व फिर से भूस्खलन के खतरे को देखते हुए बुधवार रात नौ बजे बचाव और खोजी अभियान बंद कर दिया गया। आज सुबह ये फिर अभियान शुरु किया गया।
माना जा रहा है कि हरिद्वार जा रही हिमाचल रोडवेज की बस सतलुज नदी में गिर गई, क्योंकि, बचाव अधिकारी इसे मलबे के नीचे नहीं ढूंढ पाए।
बुधवार दोपहर पहाड़ दरकने के बाद मलबे में रोडवेज बस समेत छह गाडिय़ा दब गई थीं। पत्थर गिरने से एक ट्रक नदी किनारे लुढ़क गया। इसके चालक का शव बरामद कर लिया गया है।
बस ड्राइवर के मुताबिक बस में 25 यात्री सवार थे। वहीं, मलबे से अब तक 13 घायलों को निकाला जा चुका है, जिनकी हालत नाजुक है। इनमें बस चालक और परिचालक शामिल हैं, जबकि 13 शव बरामद किए गए हैं।
बचाव अभियान में आईटीबीपी के साथ ही सेना, एनडीआरएफ, सीआईएसएफ के जवान जुटे हुए हैं। हिमाचल प्रदेश राज्य आपातकालीन ऑपरेशन केंद्र की ओर से जारी ताजा सूचना के मुताबिक घटनास्थल पर ड्रोन से भी सर्च अभियान चलाया जा रहा है।
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एक ट्रक व यात्री गाड़ी (टाटा सूमो) को मलबे से निकाल लिया गया है। टाटा सूमो में सवार आठ मृतकों के शवों को पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया गया है।
बेहद डरावना था वह मंजर
बस के ड्राइवर गुलाब सिंह के मुताबिक, यह अंदाजा लगाना मुश्किल था कि यहां से बस गुजर पाएगी या नहीं। ऐसे में मैं और कंडक्टर बस से उतरकर पैदल सड़क पर चल पड़े। जैसे ही थोड़े आगे निकले, चट्टानें गिरनी शुरू हो गईं। हम दोनों पीछे की तरफ भागे और सड़क किनारे एक जगह पर छिप गए। इसके बाद भारी भरकम चट्टानें और मलबा बस समेत अन्य वाहनों पर गिर गए। वो मंजर बेहद डरावना था।
बस कंडक्टर महेंद्र पाल ने बताया, बस में करीब 25 यात्री सवार थे। जैसे ही हम निगुलसेरी पहुंचे, तो उसने देखा कि सामने पहाड़ी से चट्टानें गिर रही हैं। हमने बस को 100 मीटर पीछे ही रोक दिया। यहीं पर कार और ट्रक समेत दूसरी गाडिय़ां भी रुक गईं।