जुबिली न्यूज डेस्क
कुछ समय पहले कोरोना वैक्सीनेशन सर्टिफिकेट पर प्रधानमंत्री मोदी की तस्वीर होने पर विपक्षी दलों ने इसकी आलोचना की थी। अब इस पर राज्यसभा में मंगलवार को केंद्र सरकार ने सफाई दी।
केंद्र सरकार ने कहा कि कोरोना टीकाकरण के सर्टिफिकेट पर प्रधानमंत्री मोदी की तस्वीर और उनका बयान टीकाकरण के बाद भी कोविड के दिशानिर्देशों का पालन करने को मतबूत बनाने के लिए है।
विपक्षी दलों की भारी आलोचनाओं के बाद स्वास्थ्य राज्य मंत्री भारती प्रवीण पवार ने लिखित में यह जवाब दिया है।
इस साल विधानसभा चुनावों के दौरान विपक्ष ने आरोप लगाया था कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की तस्वीर ख़ुद के प्रचार करने के लिए है और यह एक राजनीतिक कदम है।
कई राज्यों ने हटाई तस्वीर
विपक्ष के आलोचना के बाद भी केंद्र सरकार ने तस्वीर नहीं हटाई लेकिन इसके बाद कई राज्यों जैसे कि पंजाब, झारखंड, छत्तीसगढ़ और पश्चिम बंगाल ने अपने सर्टिफिकेट से प्रधानमंत्री पीएम मोदी की तस्वीर को हटा दिया।
ऐसे समय में जब कई राज्य कोरोना वैक्सीन खरीद का काम देख रहे थे तब कुछ नेताओं ने यहां तक कहा था कि केंद्र राज्यों की कोशिशों का भी श्रेय ले रही है।
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इसके बाद केंद्र सरकार ने निजी अस्पतालों को छोड़कर वैक्सीन की खरीद का जिम्मेदारी ली थी। हालांकि राज्यों को अभी भी वैक्सीन के प्रबंध का काम देखना है।
मंगलवार को स्वास्थ्य मंत्रालय से पूछा गया कि कोरोना वैक्सीनेशन सर्टिफिकेट पर प्रधानमंत्री की तस्वीर छापना कितना जरूरी है?
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इस सवाल के लिखित जवाब में स्वास्थ्य राज्य मंत्री पवार ने कहा, ” कोरोना महामारी और इसकी उभरती प्रकृति को देखते हुए यह पता चलता है कि कोरोना आधारित व्यवहार बीमारी के संक्रमण को रोकने के लिए सबसे महत्वपूर्ण उपायों में से एक है। वैक्सीनेशन सर्टिफिकेट पर प्रधानमंत्री की तस्वीर और उसके साथ लिखा संदेश टीकाकरण के बाद भी जनहित में कोविड-19 आधारित व्यवहार के महत्व को लेकर जागरूकता फैलाने के लिए है।”