Monday - 28 October 2024 - 9:37 PM

गलत सूचना पर अंकुश लगाने के लिए ट्विटर ने उठाया ये कदम

जुबिली न्यूज डेस्क

सोशल मीडिया पर भ्रामक व फर्जी खबरों और वीडियो पर अंकुश लगाने की लंबे समय में मांग हो रही है। इसी कड़ी में सोशल नेटवर्किंग साइट ट्विटर ने एक बड़ी पहल की है।

ट्विटर ने कहा है कि गलत सूचना के तेजी से प्रसार से लडऩे के प्रयास के तहत सोशल नेटवर्किंग साइट पर विश्वसनीय जानकारी देने के लिए वह एसोसिएटेड प्रेस और रॉयटर्स के साथ साझेदारी करेगा।

ट्विटर ने इस साल की शुरुआत में बर्डवॉच नामक कार्यक्रम लॉन्च किया था, जिसका मकसद यूजर्स को ऐसे ट्वीट्स को परखने का माध्यम देना है जो भ्रामक हैं।

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अन्य सोशल मीडिया कंपनियों की तरह ट्विटर पर भी भ्रामक या गलत सूचना को हटाने का दबाव रहता है।

ट्विटर ने कहा है कि वह ब्रेकिंग न्यूज के दौरान समाचार एजेंसियों के साथ सहयोग करेगा ताकि सटीक संदर्भ को जोड़ा जा सके। किसी घटना से जुड़े ट्रेंडिंग टॉपिक को लेकर ट्विटर एक खास लेबल लाएगा।

ट्विटर के एक प्रवक्ता के मुताबिक, यह साझेदारी पहली बार है जब ट्विटर अपनी साइट पर सटीक जानकारी बढ़ाने के लिए समाचार संगठनों के साथ औपचारिक रूप से सहयोग करेगा।

प्रवक्ता ने इसके साथ ही यह भी कहा कि ट्विटर एपी और रॉयटर्स दोनों के साथ अलग-अलग काम करेगा। सूचना सेवा कंपनी थॉमसन रॉयटर्स कॉर्प का एक विभाग और न्यूजवायर एक दूसरे के साथ संपर्क नहीं करेंगे।

रॉयटर्स में यूजीसी (यूजर-जेनरेटेड कॉन्टेंट) न्यूजगैदरिंग की वैश्विक प्रमुख हेजल बेकर के अनुसार, “विश्वास, सटीकता और निष्पक्षता हर दिन रॉयटर्स के दिल में है। वे मूल्य गलत सूचना के प्रसार को रोकने के लिए हमारी प्रतिबद्धता को भी प्रेरित करते हैं।”

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भ्रामक जानकारी पर अंकुश

सोशल मीडिया साइट ट्विटर का कहना है कि व्यापक रुचि वाले विषयों पर संदर्भ मुहैया करने में समाचार एजेंसियों को मदद करने का भी काम सौंपा जाएगा, जिनमें वे भी शामिल हैं जो संभावित रूप से भ्रामक जानकारी का कारण बनता है।

एपी के वैश्विक व्यापार विकास के उपाध्यक्ष टॉम यानुशेवस्की ने अपने एक बयान में कहा, “यह काम हमारे मिशन के लिए मूल है। ”

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उन्होंने आगे कहा, “तथ्यात्मक पत्रकारिता की पहुंच का विस्तार करने के लिए एपी का ट्विटर के साथ-साथ अन्य सोशल मीडिया मंचों के साथ मिलकर काम करने का एक लंबा इतिहास रहा है।”

सोशल मीडिया साइटों पर कई बार भ्रामक जानकारियां तेजी से वायरल हो जाती हैं और सही जानकारी यूजर्स तक पहुंचने में देर लगती है। फिलहाल अब कई ऐसी संस्थाएं हैं जो फैक्ट चेकिंग का काम करती हैं और वे बताती हैं कि जानकारी भ्रामक है या सही है।

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