जुबिली न्यूज़ ब्यूरो
लखनऊ. मोहर्रम को लेकर गाइडलाइंस जारी हो गई हैं. अधूरी जानकारियों और गलत तथ्यों के साथ तैयार की गई इस गाइडलाइन पर प्रदेश के पुलिस महानिदेशक मुकुल गोयल ने हस्ताक्षर कर दिए हैं. सभी पुलिस आयुक्तों, वरिष्ठ पुलिस अधीक्षकों और पुलिस अधीक्षकों को भेजे गए चार पृष्ठों के इस पत्र में कई आपत्तिजनक बातें लिखी गई हैं जिसे लेकर शिया और सुन्नी धर्मगुरुओं में ज़बरदस्त गुस्सा है.
इस चिट्ठी में मोहर्रम और मदेह सहाबा को आपस में जोड़ दिया गया है जबकि मदेह सहाबा मोहर्रम के खत्म होने के चार दिन बाद होता है. इस चिट्ठी में कर्बला के शहीदों के दिनों को इस तरह से पेश किया गया है जैसे कि यह गम मनाने का नहीं जंग लड़ने का महीना हो.
शिया धर्मगुरु मौलाना आगा रूही ने इस गाइडलाइन को एडमिनिस्ट्रेशन का पॉलिटिकल बयान बताया है. उन्होंने कहा है कि बेहतर होता कि यह गाइडलाइन डॉक्टरों से जारी कराई गई होती. कोरोना की दूसरी लहर के बाद सभी लोग इतने जागरूक हो गए हैं कि यूं भी कोई भीड़ लगाने नहीं जा रहा है. बेहतर होता कि शिया और सुन्नी दोनों तरफ के जिन लोगों का पुलिस रिकार्ड अच्छा नहीं है उन्हें पाबन्द कर दिया जाता. ड्रोन के ज़रिये छतों की जांच करा ली गई होती.
मौलाना आगा रूही ने कहा कि अलविदा की नमाज़ नहीं पढ़ने दी गई. ईद और बकरीद की नमाज़ पहले की तरह से नहीं हुई मगर हमने सब्र कर लिया क्योंकि हमें लोगों की जानें बचानी हैं. जुलूस रोकने के लिए सहूलियत से कहा जा सकता था. हमने नदियों के किनारे लाशों की बेहुरमती देखी है. हमने मशीनों से कब्रें खुदते हुए देखी हैं. हालात इतने खराब हैं कि कोई भी जुलूस के लिए ज़िद करने नहीं आता लेकिन बात कहने का तरीका सही होना चाहिए था.
शिया धर्मगुरु मौलाना मीसम जैदी ने इस बात पर सख्त आपत्ति जताई है कि मोहर्रम को गोवंश और गोवध से जोड़कर हिन्दू-मुसलमान के बीच भी दीवार खड़ी करने की कोशिश की गई है. मौलाना ने कहा है कि इस चिट्ठी में साज़िश की बू आ रही है. मुसलमानों को मोहर्रम में होशियार रहना चाहिए क्योंकि ऐसा भी हो सकता है कि यही लोग गोवंश को काटकर डाल दें और साम्प्रदायिक उन्माद भड़का दें. मौलाना ने कहा है कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को इस चिट्ठी को फ़ौरन संज्ञान में लेना चाहिए क्योंकि यह चुनावी साल है और चुनाव के मद्देनज़र सूबे का माहौल बिगाड़ने की कोशिश की जा रही है. मौलाना ने इस चिट्ठी के नवें बिंदु पर सख्त एतराज़ जताया है कि आतंकवादी नागरिकों को नुक्सान पहुंचा सकते हैं.
टीले वाली मस्जिद के शाही इमाम मौलाना फजले मन्नान वायज़ी नदवी ने कहा कि यह गाइडलाइन शिया-सुन्नी इत्तेहाद को पारा-पारा करने की साज़िश है. इसे हर हाल में नाकाम किया जायेगा. शिया और सुन्नी एक प्लेटफार्म पर हैं और एक प्लेटफार्म पर रहेंगे. उन्होंने इस इल्जाम को गलत बताया कि सुन्नी मुसलमान मोहर्रम का कड़ा विरोध करते हैं.
मौलाना फजले मन्नान ने कहा कि यह महामारी का वक्त है. इसमें यूं भी एक दूसरे की लगातार खैरियत लेने की ज़रूरत है न कि ऐसे हालात बनाये जाएं कि आपस के इत्तेहाद पर असर पड़े. उन्होंने कहा कि शिया और सुन्नी आपस में मुत्तहिद हैं. दोनों धर्मगुरु साथ बैठकर सारी बातें तय कर लेंगे.
पुलिस द्वारा जारी की गई गाइडलाइन के बारे में मौलाना डॉ.कल्बे सिब्तैन नूरी ने कहा है कि इस गाइडलाइन से शिया समुदाय के धार्मिक जज़्बात को ठेस पहुंची है. मोहर्रम और शिया समुदाय पर बेबुनियाद इल्जाम लगाये गए हैं. यह मुसलमानों के बीच कटुता पैदा करने वाली चिट्ठी है. हकीकत यह है कि मोहर्रम के दस दिनों में शिया सिर्फ हज़रत इमाम हुसैन और कर्बला का ही ज़िक्र करता है. डॉ. कल्बे सिब्तैन ने कहा है कि शिया समुदाय को यह ड्राफ्ट बर्दाश्त नहीं है. हम शान्तिप्रिय समुदाय से हैं. इस ड्राफ्ट को फ़ौरन बदला जाए. उन्होंने कहा है कि अभी तो मोहर्रम शुरू भी नहीं हुआ और हमारे जज़्बात से छेड़खानी शुरू हो गई. सरकार को जांच करानी चाहिए कि यह ड्राफ्ट किसने तैयार करवाया है.
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