जुबिली न्यूज डेस्क
इस्राएली कंपनी के जासूसी सॉफ्टवेयर की मदद से विभिन्न सरकारों द्वारा पत्रकारों, मानवाधिकार कार्यकर्ताओं और नेताओं की जासूसी करने की खबरें आने के बाद से भारत समेत कई देशों का सियासी पारा चढ़ा हुआ है।
इस घटना पर बीते दिनों यूरोपीय आयोग भी चिंता जता चुका है। आयोग ने कहा था कि पेगासस जैसी घटनाएं पूरी तरह अस्वीकार्य हैं और अगर इनमें सच्चाई है तो ये यूरोपीय मूल्यों के खिलाफ हैं।
वहीं फ्रांस ने इस मामले की जांच शुरु कर दी है। रिपोर्ट के मुताबिक फ्ऱांसीसी राष्ट्रपति इमैनुएल मैंक्रों भी दुनिया के उन कई नेताओं की लिस्ट में हैं जो इसराइली स्पाईवेयर पेगासस के जरिए जासूसी के निशाने पर थे।
फिलहाल अभी यह स्पष्ट नहीं है कि यह सॉफ्टवेयर राष्ट्रपति मैक्रों के फोन में इंस्टॉल किया गया था या नहीं। लेकिन राष्ट्रपति कार्यालय ने कहा है कि अगर मीडिया रिपोर्ट्स के दावे सच हैं तो यह काफी गंभीर मसला हो सकता है।
वहीं फ्रांसीसी सरकार के अधिवक्ता कार्यालय ने एक बयान जारी कर कहा है कि उसने निजता के हनन, डेटा के गैरकानूनी इस्तेमाल और गैरकानूनी तरीके से स्पाईवेयर बेचने के आरोपों को आधार बनाकर जांच शुरू कर दी है।
इसके अलावा पूरी दुनिया में मानवाधिकारों के लिए काम करने वाली संस्था एम्नेस्टी इंटरनेशनल ने इन मीडिया रिपोर्ट्स को ‘डराने वाली’ कहा है।
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एम्नेस्टी इंटरनेशनल की महासचिव एग्नेस कैलामार्ड ने कहा, “ये अभूतपूर्व पर्दाफाश है…इससे दुनिया भर के नेताओं को चिंता होनी चाहिए।”
फ्रांस के अखबार ‘ला मोंदे’ की रिपोर्ट के मुताबिक मोरक्को की खुफिया एजेंसियों ने उस फोन की पहचान कर ली थी जिसका इस्तेमाल मैक्रों साल 2017 से कर रहे थे।
हालांकि मोरक्को का यह भी कहना है कि वो पेगासस बनाने वाली इसराइली कंपनी एनएसओ का क्लाइंट नहीं है।
वहीं, एनएसओ ने भी ला मोंदे के हवाले से कहा है कि उसके क्लाइंट्स ने एमैनुएल मैक्रो को कभी निशाना नहीं बनाया।
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सूची में किस देश के सबसे ज़्यादा लोग?
खोजी पत्रकारों के समूह का कहना है कि उन्हें दुनिया के 50 देशों में 1,000 से अधिक ऐसे नंबरों की सूची मिली है जिनके पेगासस के जरिए जासूसी का निशाना बनाए जाने की आशंका है।
इस सूची में 600 से अधिक नेता, सरकारी अधिकारी और 189 पत्रकार हैं। जिन देशों के सबसे ज़्यादा लोग इस लिस्ट में हैं, वो हैं- मेक्सिको और सऊदी अरब।
भारत से इस सूची में कांग्रेस नेता राहुल गांधी, केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव और प्रह्लाद पटेल, पूर्व चुनाव आयुक्त अशोक लवासा, चुनाव रणनीतिकार प्रशांत किशोर, ममता बनर्जी के भतीजे अभिषेक बनर्जी, भारतीय वायरॉलजिस्ट गगनदीप कंग और भारत के पूर्व चीफ जस्टिस रंजन गोगोई पर यौन उत्पीडऩ का आरोप लगाने वाली महिला समेत कई पत्रकारों के नाम भी हैं।
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