कृष्णमोहन झा
कुछ माह पूर्व कोरोना की दूसरी लहर की शुरुआत के वक्त अखबारों में मेरा एक लेख प्रकाशित हुआ था जिसमें मैंने कोरोना की दूसरी लहर को उस लापरवाही का नतीजा निरूपित किया था ज़ो कोरोना की पहली लहर के मंद पड़ने पर लगभग हर कूचे में दिखाई देने लगी थी और ऐसा भी नहीं था कि यह लापरवाही केवल आम जनता की ओर से बरती जा रही थी , सरकार भी यह मान चुकी थीं कि देश से इस जानलेवा वायरस की विदाई में अब वक़्त नहीं लगेगा। तत्कालीन केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री तो विश्व स्वास्थ्य संगठन की एक बैठक में तो इस आशय की घोषणा भी कर आए थे कि हमारे देश ने कोरोना को हरा दिया है। लेकिन वह जानलेवा वायरस चंद दिनों में ही और विकराल रूप लेकर वापस लौट आया।
लगभग दो ढाई माह तक देश में हाहाकार की स्थिति निर्मित करने वाला जानलेवा वायरस यद्यपि अब काबू में आता दिख रहा है परंतु वैज्ञानिक और चिकित्सा विशेषज्ञों के द्वारा बार बार यह आशंका भी व्यक्त कर रहे हैं कि देश को एक दो माह के अंदर कोरोना की तीसरी लहर का भी सामना करना पड़ सकता है । कोरोनावायरस की दूसरी लहर का स्वरूप दूसरी लहर से किस तरह भिन्न होगा यह तो समय आने पर ही पता चलेगा परंतु इतना तो निश्चित रूप से कहा जा सकता है कि हमें अभी लंबे तक सतर्क रहने की आवश्यकता है। कोरोना संक्रमण के मामले में भले ही तेजी से कम हो रहे हों परन्तु किसी भी तरह की लापरवाही हमें फिर भारी पड़ सकती है। हां ,यह सोच कर हम अवश्य थोड़ा निश्चिंत हो सकते हैं कि देश में कोरोना टीकाकरण अभियान में तेजी से प्रगति हो रही है परंतु हमें यह नहीं भूलना चाहिए कि टीकाकरण का जो लक्ष्य सरकार ने तय कर रखा है उसे तय समय सीमा के अंदर अर्जित कर लैने के दावों पर रोजाना ही प्रश्न चिन्ह लग रहे हैं।
कुछ राज्यों में टीकों की पर्याप्त उपलब्धता न होने के कारण टीकाकरण की रफ़्तार में कभी कभी अवरोध की स्थिति भी निर्मित होने की खबरें भी सामने आती रहती हैं यद्यपि केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय का कहना है कि केंद्र की ओर से राज्यों को टीकों की आपूर्ति अबाधित रूप से की जा रही है । केंद्र शासित प्रदेशों, राज्यों और निजी टीकाकरण केंद्रों के पास टीकों की 1.5करोड़ से अधिक डोज मौजूद हैं। मोदी सरकार के नए के स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मांगलिया ने केंद्र सरकार द्वारा राज्यों को उनकी आवश्यकता के अनुरूप टीकों की आपूर्ति न किए जाने के आरोपों का खंडन करते हुए कहा है कि केंद्र शासित प्रदेशों और राज्यों को केंद्र की ओर से पहले ही यह जानकारी दे दी जाती है कि उन्हें कोरोनारोधी टीकों की कब कितनी डोज दी जाएंगी ताकि वे उनके पास टीकों की उपलब्धता देखकर जिला स्तर पर टीकाकरण की योजना तैयार करे।
टीकों की उपलब्धता के बारे में विरोधाभासी खबरों के बीच संतोष की बात यह है कि ग्रामीण अंचलों में कोरोना रोधी टीकों को लेकर जो गलतफहमियां निर्मित हो गई थी वे अब दूर होने लगी हैं जिसका प्रमाण भी ग्रामीण क्षेत्रों में टीकाकरण की तेज होती रफ्तार से मिल रहा है। ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में टीकाकरण के आंकड़ों के तुलनात्मक अध्ययन से यह चौंकाने वाला तथ्य सामने आया है कि ग्रामीण क्षेत्रों में सुविधा संपन्न शहरों की तुलना में टीकाकरण के प्रति जागरूकता बढ़ी है। निश्चित रूप से यह सुखद संकेत है। वैज्ञानिकों का हमेशा से ही मानना रहा है कि कम से कम समय में अधिक से अधिक आबादी का टीकाकरण करके कोरोना की तीसरी लहर के खतरे पर अंकुश लगाया जा सकता है।
सरकारी आंकड़ों के अनुसार देश में अब तक लगभग 25 .20 प्रतिशत आबादी को कोरोना टीके की पहली डोज और लगभग 7 प्रतिशत आबादी को टीके की दोनों डोज लग चुकी हैं। देश में एक दो माहों के अंदर कोऱोना की तीसरी लहर के दस्तक देने की आशंकाओं के बीच चौथे सीरो सर्वे के जो नतीजे सामने आए हैं वे काफी हद तक सुकून पहुंचाने वाले हैं। इन नतीजों के अनुसार देश में अब तक लगभग 86 करोड़ लोगों के शरीर में एंटीबाडी बन चुकी है जो या तो कोरोना को मात देकर स्वस्थ हो चुके हैं अथवा उनका टीकाकरण हो चुका है। इसीलिए अब यह उम्मीद बंधने लगी है कि कोरोना की तीसरी लहर का असर पहली और दूसरी लहर की तुलना में कम होगा। अब यह निश्चित रूप से माना जा सकता है कि कोरोना रोधी टीकों ने लोगों को इस जानलेवा वायरस के घातक प्रभावों से बचाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है । इस बीच यह खुशखबरी भी मिली है कि 12 वर्ष से अधिक आयु के बच्चों के लिए भी शीघ्र ही टीके उपलब्ध हो सकेंगे जिनका परीक्षण हो चुका है। गौरतलब है कि बच्चों पर तीसरी लहर का असर अपेक्षाकृत कम होने के अनुमानों ने ही अनेक राज्यों की सरकारें अपने यहां स्कूल खोलने के बारे में गंभीरता से विचार कर रही हैं।
इसमें दो राय नहीं हो सकती कि देश में चल रहे विश्व के सबसे बड़े टीका अभियान ने जानलेवा कोरोनावायरस को परास्त करने की संभावना ओं को बलवती बना दिया है परंतु एक बार कोरोना रोधी टीके लगवा लेने यह मान लेना भी उचित नहीं होगा कि कोरोनावायरस के संक्रमण के खतरे के प्रति हमें पूरी तरह निश्चिंत हो जाना चाहिए। टीकाकरण के बाद भी लोगों के संक्रमित होने के मामले सामने आए हैं लेकिन टीकाकरण से शरीर में प्रतिरोधक क्षमता विकसित हो जाने के कारण बहुत ही संक्रमितों को अस्पताल में जाकर इलाज कराने के लिए विवश होना पड़ा। जिन्हें टीका लगवाने के बाद संक्रमण हुआ उनमें से अधिकांश घर पर इलाज कराकर ही स्वस्थ हो गए।
इसलिेए टीकाकरण ही कोरोना संक्रमण के खतरे से बचने का सबसे बड़ा उपाय है। देश में कोरोना की तीसरी लहर के पहले ही टीकाकरण अभियान में आई तेजी के लिए निःसंदेह सरकार को साधुवाद दिया जाना चाहिए अगर सरकार लोगों से यह अपेक्षा करें कि दूसरी लहर मंद पड़ जाने और टीकाकरण के बावजूद भीड़ भाड़ से बचने और मास्क लगाने जैसे ऐहतियाती उपाय की अपरिहार्य अभी समाप्त नहीं हुई है तो निश्चित रूप से उस पर अमल किये जाने की आवश्यकता है।
गौरतलब है कि हाल में इंडियन मेडिकल एसोसिएशन ने लोगों को चेतावनी दी है कि देश के कुछ हिस्सों में कोरोना की दूसरी लहर अभी भी अपना असर दिखा रही है और जल्द ही तीसरी लहर आने का अंदेशा भी बना हुआ है ऐसे में कोरोना से बचाव में किसी भी तरह की लापरवाही बहुत भारी सकती है। इंडियन मेडिकल एसोसिएशन ने इस बात पर भी चिंता व्यक्त की है कि जल्द ही कोरोना की तीसरी लहर आने की आशंका के बावजूद कुछ राज्यों में तेजी से अनलाक की प्रक्रिया प्रारंभ हो चुकी है। एसोसिएशन ने सचेत किया है कि तीसरी लहर की आशंकाओं के बीच धार्मिक यात्राएं कोरोना की सुपर स्प्रेडर बन सकतीं हैं। इसीलिए उन्हें दो तीन माहों के लिए टाला जाना चाहिए।
यह भी पढ़ें : ‘मिशन 2024’ के लिए ममता ने किया ये बड़ा ऐलान
यह भी पढ़ें : पेगासस जासूसी : फ्रांस ने शुरु की जांच, सूची में राष्ट्रपति मैक्रों भी
गौरतलब है कि उत्तर प्रदेश सरकार ने श्रावण मास में निकाली जाने कांवड़ यात्रा के लिए जो अनुमति दी है उस पर अदालत ने आपत्ति जताई है। इसी तरह केरल सरकार ने बकरीद के मौके पर तीन दिनों के लिए कोरोना प्रतिबंधों में जो छूट थी उसके लिए भी सुप्रीम कोर्ट ने उसे आड़े हाथों लिया। इंडियन मेडिकल एसोसिएशन की भांति केंद्र सरकार ने राज्यों को भीड़भाड़ वाली गतिविधियों पर अंकुश लगाने का निर्देश दिए हैं। राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों की सरकारों को लिखे गए एक पत्र में केंद्रीय गृह सचिव ने कहा है कि जिन अधिकारियों पर इन गतिविधियों के नियंत्रण की जिम्मेदारी है वे अगर अपने काम में लापरवाही बरतें तो उनके विरुद्ध सख्त कार्रवाई की जाए। विगत दिनों प्रधानमंत्री मोदी ने इसी तरह की अपील की थी।
मैंने अपने लेख के प्रारंभ में ही कहा था कि कोरोना की दूसरी लहर लापरवाही का नतीजा थी।इस लेख की समाप्ति करते समय मैं पूरी दृढ़ता के साथ फिर वही बात दोहराना चाहता हूं कि हम उस लापरवाही से तौबा करने का संकल्प लें जो कोरोना की दूसरी लहर का सबसे बड़ा कारण बनी थी।
(लेखक IFWJ के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष और डिज़ियाना मीडिया समूह के सलाहकार है)