जुबिली स्पेशल डेस्क
लखनऊ। भले ही कोरोना की दूसरी लहर कमजोर पड़ गई हो लेकिन तीसरी लहर से अब भी इनकार नहीं किया जा सकता है। ऐसे में उत्तराखंड की पुष्कर सिंह धामी सरकार ने बड़ा कदम उठाते हुए कांवड़ यात्रा को रद्द कर दिया है लेकिन उत्तर प्रदेश सरकार ने कांवड़ यात्रा जारी रखने का फैसला किया है।
मामला सुप्रीम कोर्ट तक जा पहुंचा है। दरअसल 14 जुलाई को यूपी सरकार के इस कदम को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने कड़े सवाल पूछे थे। अब इस मामले में यूपी सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में कहा है कि प्रदेश में कांवड़ यात्रा पर पूरी तरह रोक नहीं रहेगी, सांकेतिक रूप से कांवड़ यात्रा जारी रहेगी।
हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने इस पूरे मामले में उत्तर प्रदेश सरकार से फिर से विचार करने को कहा है। अब इस मामले की अगली सुनवाई सोमवार को फिर होगी। उत्तर प्रदेश सरकार को फिर सुप्रीम कोर्ट के सवाल का जवाब देना होगा।
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इस दौरान सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि ये हर किसी के लिए काफी अहम विषय है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि किसी भी व्यक्ति का जीवन सबसे अहम हैं. धार्मिक और अन्य भावनाएं मौलिक अधिकार के अधीन ही हैं।
केंद्र ने कहा
केंद्र ने कहा कि यह सदियों पुरानी प्रथा है और धार्मिक भावनाओं को देखते हुए राज्यों को टैंकरों के माध्यम से पवित्र गंगाजल उपलब्ध कराने के लिए एक प्रणाली विकसित करनी चाहिए।
केंद्र ने कहा है कि कोरोना की वजह से हरिद्वार से गंगाजल लेकर कांवड़ियों का अपने इलाके के मंदिर तक जलाभिषेक के लिए आना से ठीक नहीं होगा, इसलिए बेहतर होगा कि टैंकर के ज़रिए गंगाजल जगह जगह उपलब्ध करवाया जाए।
उधर यूपी सरकार ने अपने अपने हलफनामे में प्रदेश में कांवड़ यात्रा पर पूरी तरह रोक नहीं है। सुप्रीम कोर्ट में यूपी सरकार ने कहा कि कांवड़ यात्रा सांकेतिक रूप से चलाई जाएगी।
साथ ही सरकार द्वारा इसको लेकर गाइडलाइन्स बनाई जा सकती हैं। उधर इस पूरे मामले में केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि राज्य सरकार को प्रोटोकॉल के तहत उचित निर्णय लेना चाहिए। उसने इस मामले में पहले ही सभी एडवाइजरी जारी की है।