- बच्चे हैं अनमोल’ भाग-12
- कोरोना काल में बच्चों के व्यवहार के प्रति अभिभावक सजग रहें: सर्वेन्द्र विक्रम बहादुर सिंह
- तीसरी लहर को मानकर तैयारी पूरी रखें अभिभावक : डॉ. अशोक दुबे
- वयस्क बरतें सावधानी ताकि परिवार और बच्चे सुरक्षित रह सकें: दिनेश सिंह
- बच्चों की दिनचर्या और खान-पान का रखें ध्यान: दिनेश सिंह
लखनऊ। कोरोना काल में बच्चों में मानसिक और व्यवहारिक बदलाव देखने को मिल रहे हैं, जिन पर अभिभावकों को ध्यान देने और सजग रहने की जरूरत है।
स्कूल बंद होने से अभिभावकों की जिम्मेदारी और बढ़ गयी है, उन्हें बच्चों के साथ ज्यादा समय बिताना चाहिये ताकि बच्चों में किसी प्रकार का तनाव न उत्पन्न हो।
उक्त बातें विशिष्ट वक्ता उत्तर प्रदेश के बेसिक शिक्षा निदेशक श्री सर्वेन्द्र विक्रम बहादुर सिंह ने गुरुवार को सरस्वती कुंज निरालानगर स्थित प्रो. राजेन्द्र सिंह रज्जू भैया डिजिटल सूचना संवाद केंद्र में आयोजित ‘बच्चे हैं अनमोल’ कार्यक्रम के 12वें अंक में कहीं।
इस कार्यक्रम में विद्या भारती के शिक्षक, बच्चे और उनके अभिभावक सहित तमाम लोग आनलाइन जुड़े थे, जिनकी जिज्ञासाओं का समाधान भी किया गया।
विशिष्ट वक्ता उत्तर प्रदेश के बेसिक शिक्षा निदेशक सर्वेन्द्र विक्रम बहादुर सिंह ने कोरोना काल में बच्चों में हो रहे मानसिक और व्यवहारिक बदलावों पर ध्यान आकर्षित किया।
उन्होंने कहा कि अभिभावक अपने बच्चों के व्यवहार में हो रहे बदलावों पर ध्यान दें और उन्हें समझने की कोशिश करें। उन्होंने कहा कि कोरोना काल में स्कूल बंद है और अधिकतर बच्चे घरों में ही रह रहे हैं, बाहर नहीं निकल पा रहे हैं, जिस वजह से उनके अंदर तनाव, चिड़चिड़ापन, अक्रामक व्यवहार बढ़ रहा है।
ऐसे में अभिभावक अपने बच्चों को अधिक से अधिक समय दें और उन्हें छोटे-छोटे कामों में व्यस्त रखें ताकि वह तनाव मुक्त रह सकें।
उन्होंने कहा कि बच्चों को कहानी-कविताएं सुनाएं, इससे उनके अंदर सुनने और सीखने की क्षमता भी बढ़ेगी। बच्चों के साथ दोस्त की तरह व्यवहार करें और उन्हें गले लगाएं, जिससे उन्हें आनंद और प्रेम की अनुभूति हो सके।
मुख्य वक्ता आयुर्वेद विशेषज्ञ डॉ. अशोक दुबे ने कहा कि बच्चे किसी भी परिवार और भावी पीढ़ी के लिए आधार हैं, उनकी सुरक्षा और स्वास्थ्य के बारे में चिंता स्वाभाविक है।
उन्होंने कहा कि कोरोना की तीसरी लहर को लेकर सिर्फ अनुमान ही लगाया जा रहा है, हालांकि इसका आना अभी तय नहीं हैं। इसके बावजूद हमें अपनी पूरी तैयारी रखना आवश्यक है।
उन्होंने कहा कि कोरोना की पहली लहर के बाद लोगों ने अनदेखी करनी शुरू कर दी थी, जिसका खामियाजा दूसरी लहर में भुगतना पड़ा। इसलिए हमें अनदेखी नहीं करनी है, बल्कि सतर्कता के साथ डटकर मुकाबला करना है।
उन्होंने अभिभावकों और शिक्षकों से बालकों की दिनचर्या, खाना-पान और आदतों पर ध्यान देने की अपील की। साथ ही उन्होंने विद्या भारती पूर्वी उत्तर प्रदेश द्वारा चलाये जा रहे सुवर्ण प्राशन अभियान के बारे में जानकारी दी।
उन्होंने कहा कि सुवर्ण प्राशन के नियमित प्रयोग से बच्चों में बल, बुद्धि और मेधा के साथ-साथ इम्युनिटी भी बढ़ती है।
कार्यक्रम अध्यक्ष विद्या भारती पूर्वी उत्तर प्रदेश के प्रशिक्षण प्रमुख दिनेश ने कोरोना काल में स्कूली शिक्षा पर आए संकट को लेकर चर्चा की।
उन्होंने कहा कि सरकार और प्रशासन की ओर से बच्चों की शिक्षा सुचारु रूप से चल सके, इसके लिए लगातार प्रयास किये जा रहे हैं। इसके साथ अभिभावकों की भी जिम्मेदारी है कि अपने बच्चों को घर में पढ़ने के लिए प्रोत्साहित करें और खेल-खेल में उन्हें सीखने की स्वतंत्रता दें, जिससे उनका मानसिक और बौद्धिक विकास हो सके।
उन्होंने कहा कि कोरोना काल में घर में रहकर बच्चे अवसाद ग्रस्त न हो, इसके लिए उन्हें छोटी-बड़ी गतिविधियों में शामिल करें। इसके साथ ही उनकी इम्यूनिटी कैसे मजबूत हो, इसके लिए उनके खान-पान और दिनचर्या पर ध्यान दें।
बच्चों के मन में कोरोना को लेकर भय उत्पन्न न होने दें, उन्हें इससे बचाव के तरीकों बताएं और सकारात्मक रखें। उन्होंने वयस्कों से सावधानी बरतने की अपील करते हुए कहा कि अपनी जिम्मेदारी को समझें और कोरोना से बचने को लेकर बताये गये नियमों का अक्षरश: पालन करें ताकि वह संक्रमण के संवाहक न बनें एवं अपने परिवार व बच्चों को सुरिक्षत रख सकें।
कार्यक्रम का संचालन विद्या भारती पूर्वी उत्तर प्रदेश के प्रचार प्रमुख सौरभ मिश्रा जी ने किया। इस कार्यक्रम में विद्या भारती पूर्वी उत्तर प्रदेश के बालिका शिक्षा प्रमुख उमाशंकर मिश्रा जी, सह प्रचार प्रमुख भास्कर दूबे सुश्री शुभम सिंह सहित कई पदाधिकारी और कर्मचारी मौजूद रहे।