जुबिली न्यूज डेस्क
कांग्रेस का दुर्दिन दूर होने का नाम नहीं ले रहा है। दिल्ली से लेकर राज्यों में कांग्रेस के भीतर खींचतान मची हुई है। एक राज्य में मामला सुलझता नहीं है कि दूसरे राज्य में रार की खबरें आने लगती है।
पंजाब का ममाला अभी सुलझा नहीं कि अब हरियाणा कांग्रेस में रार मच गया है। जहां आज पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह दिल्ली आकर सोनिया गांधी से मिलने वाले हैं तो वहीं दूसरी तरफ हरियाणा कांग्रेस के 22 भूपिंदर सिंह हुड्डा समर्थक विधायकों ने दिल्ली में डेरा डाल दिया है।
दिल्ली में डेरा डाले विधायकों का कहना है कि संगठन के मामलों में पूर्व सीएम को पूरी अहमियत को दी जानी चाहिए। संगठन के मामलों में किसी भी फैसले को लेकर हुड्डा को नजरअंदाज नहीं किया जाना चाहिए। प्रदेश में कांग्रेस की संभावनाओं के लिहाज से ऐसा करना सही नहीं होगा।
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दिल्ली में जिन विधायकों ने डेरा डाला है उनमें भारत भूषण बत्रा, रघुवीर कादियान, कुलदीप वत्स, वरुण चौधरी, बिशन लाल सैनी, आफताब अहमद, राजिंदर जून, नीरज शर्मा, मेवा सिंह और जगबीर मलिक जैसे कद्दावर नेता भी शामिल हैं।
इनमें से कई विधायकों ने कांग्रेस के महासचिव केसी वेणुगोपाल से मुलाकात भी की है। इस मुलाकात में उन्होंने मांग की है कि राज्य संगठन में किसी बदलाव को लेकर हुड्डा को अहमियत मिलनी चाहिए। दिल्ली आने से पहले सभी विधायक हुड्डा के घर जुटे थे।
पूर्व सीएम हुड्डा समर्थक विधायकों में शामिल भारत भूषण बत्रा ने कहा, ‘हमारा अजेंडा ऑल इंडिया कांग्रेस कमिटी को प्रभावित करना है कि पार्टी के मामलों में पूर्व सीएम को भी महत्व दिया जाए।’
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इस बीच हरियाणा की एक और वरिष्ठï नेता किरण चौधरी ने भी केसी वेणुगोपाल से मुलाकात की है और कुमारी शैलजा का समर्थन किया है।
दरअसल हरियाणा में प्रदेश अध्यक्ष बदलने की चर्चा है और भूपिंदर सिंह हुड्डा अपने लिए यह पद चाहते हैं। ऐसे में कुमारी शैलजा के खेमे से टकराव की नौबत आ गई है।
प्रदेश में कांग्रेस के कुल 31 विधायक हैं, जिनमें से 22 ने हुड्डा का समर्थन किया है। इस तरह से देखें तो पलड़ा हुड्डा का भारी नजर आता है।
पुरानी है शैलजा और हुड्डा की लड़ाई
भूपेंद्र सिंह हुड्डा और कुमारी शैलजा की लड़ाई काफी पुरानी है। इससे पहले भी कई बार दोनों नेता आपस में जोर आजमाइश कर चुके हैं। शैलजा के करीबी नेताओं का कहना है कि हुड्डा जानबूझकर ऐसा कर रहे हैं, क्योकि प्रदेश संगठन में परिवर्तन होने वाला है। हुड्डा को डर है कि उनकी पकड़ कमजोर पड़ सकती है। इसलिए वह पार्टी नेतृत्व पर दबाव बना रहे हैं।
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