जुबिली स्पेशल डेस्क
लखनऊ। उत्तर प्रदेश में अगले साल विधान सभा चुनाव होना है लेकिन यहां पर सियासी सरगर्मी लगातार बढ़ रही है। बसपा ने कुछ दिन पूर्व कहा है कि वो अकेले चुनाव में ताल ठोंकेगी।
आलम बीजेपी से लेकर सपा अपनी तैयारी को अंतिम रूप देने में लगे हुए है। विधान सभा चुनाव को देखते हुए छोटे दलों पर सबकी नजरे हैं। इतना ही नहीं बड़े दल किसी भी बड़ी पार्टी से गठबंधन करने के लिए तैयार नहीं है लेकिन छोटे दलों को अपने साथ रखने की बात जरूर कर रहे हैं।
जहां एक ओर अखिलेश यादव ने साफ कर दिया है वो विधान सभा चुनाव में किसी भी बड़े दल के साथ गठबंधन नहीं करेंगे लेकिन छोटे दलों को साथ जरूर ले सकते हैं।
ऐसे में माना जा रहा है कि विधान सभा चुनाव के दौरान उनके चाचा शिवपाल यादव साथ आ सकते हैं। हाल में कई मौको पर इसका संकेत भी मिला है।
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अब ताजा घटनाक्रम भी इसी ओर इशारा कर रहे हैं। परिवार की खातिर चाचा और भतीजे ने मिलकर बीजेपी को जिला पंचायत अध्यक्ष को तगड़ा झटका दिया है।
दरअसल शिवपाल और अखिलेश साथ आकर इटावा में बीजेपी को रोकने में कामयाब रहे और सपा जिला पंचायत अध्यक्ष निर्विरोध कराने में सफल रही।
इससे संकेत मिल रहा है आने वाले समय में कुछ इसी तरह का चमत्कार हो सकता है और बीजेपी को रोकने के लिए सपा और प्रसपा एक साथ चुनावी दंगल में उतर सकते हैं।
उधर अखिलेश यादव ने भी बड़ा कदम उठाया है और 2022 के विधानसभा चुनाव को देखते हुए पुराने नेताओं को फिर से पार्टी में शामिल करने के लिए पूरी तरह से तैयार है। ऐसे में अटकले है कि कई नेता सपा का दामन थाम सकते हैं।
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बता दें कि उत्तर प्रदेश के 75 जिलों में से आज 53 सीटों पर मतदान हो रहा है। हालांकि 22 जिला पंचायत अध्यक्ष प्रदेश में निर्विरोध चुने जा चुके हैं, जिनमें से 21 बीजेपी के हैं, वहीं 1 जिला पंचायत अध्यक्ष सपा से निर्विरोध चुना गया है।
इन 17 जिलों में सत्ताधारी बीजेपी ने कब्जा जमाया है जबकि सपा महज इटावा में अपने उम्मीदवार को निर्विरोध जिताने में सफल रही है। फिलहाल 45 सीटों पर भाजपा और एसपी के बीच सीधा मुकाबला है।