जुबिली न्यूज डेस्क
उत्तराखंड में सियासी ड्रामा जारी है। मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत इस्तीफा दे चुके हैं। अगला मुख्यमंत्री कौन बनेगा इस रहस्य से भी जल्द ही पर्दा उठ जायेगा।
तीरथ सिंह रावत दिल्ली तलब किए गए थे और लौटने पर वह भूतपूर्व मुख्यमंत्री हो गए। उन्हें चार महीने पहले ही भाजपा शीर्ष नेतृत्व ने मुख्यमंत्री बनाया था। सीएम बनाया गया था। त्रिवेंद्र सिंह रावत से इस्तीफा दिलाने के बाद तीरथ की ताजपोशी कराई गई थी।
बीजेपी ने सांसद रहते हुए तीरथ सिंह रावत को मुख्यमंत्री बनाया गया था। सीएम बने रहने के लिए छह महीने के भीतर तीरथ का विधायक बनना जरूरी था, लेकिन बताया गया कि भाजपा को डर था कि सरकार के खिलाफ लोगों की नाराजगी के चलते रावत का उपचुनाव जीतना आसान नहीं है।
उत्तराखंड में बीजेपी की मौजूदा सरकार का यह आखिरी साल है। चुनावी साल में भाजपा लगातार सीएम बदल रही है। चार महीने पहले जब त्रिवेंद्र सिंह रावत ने इस्तीफा दिया था तो उनसे पूछा गया था कि आप क्यों पद छोड़ रहे हैं? इसके जवाब में रावत ने कहा था- यह दिल्ली के नेताओं से पूछिए। अब तीरथ ने भी दिल्ली में नेताओं से मीटिंग के बाद ही इस्तीफा दिया है।
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उत्तराखंड में साल 2017 में हुए विधानसभा चुनाव में बीजेपी को 70 में से 57 सीटें मिली थीं। अभी गंगोत्री और नैनीताल विधानसभा सीटें खाली हैं। वहां उपचुनाव हो सकते हैं, लेकिन कोरोना के चलते परेशान लोगों की मदद में नाकाम रहने के चलते भाजपा जीत को लेकर आश्वस्त नहीं बताई जाती है। खासकर तीरथ सिंह रावत की जीत पर।
भाजपा ने तीरथ सिंह रावत को भी सरकार के प्रति लोगों की नाराजगी के चलते ही हटाया। हालांकि उन्हें काम करने का न तो ज्यादा मौका मिला और न ही समय।
तीरथ मार्च में शपथ लिए थे। फिर कोरोना के चलते गतिविधियां सीमित हो गईं। वह खुद भी कोरोना के शिकार हो गए थे। ऐसे में उन्हें त्रिवेंद्र के काम से उपजी नाराजगी दूर करने का मौका भी नहीं मिला। अब 21 साल पुराने उत्तराखंड में अब 10वां सीएम शपथ लेगा।
तीरथ को मिली निगेटिव पब्लिसिटी
अपने छोटे से कार्यकाल में तीरथ सिंह रावत को सिर्फ निगेटिव पब्लिसिटी ही मिली। ऐसा उनके बेतुके बयानों के चलते भी हुआ। ऊपर से उत्तराखंड बीजेपी की अंदरूनी गुटबााजी भी उन पर भारी पड़ी।
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बुधवार को तीरथ को दिल्ली तलब किया गया था। शुक्रवार को वह दिल्ली से लौटे और सीधे देहरादून में सचिवालय पहुंचे और मीडिया को संबोधित किया।
इससे पहले, शुक्रवार को तीरथ की बीजेपी अध्यक्ष जे पी नड्डा से मुलाकात हुई थी। रावत, जो वर्तमान में लोकसभा सदस्य हैं, बुधवार को दिल्ली पहुंचे थे और उस रात भी नड्डा से मिले थे।
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वहीं रावत ने संवाददाताओं से अपने भाग्य के बारे में अटकलों पर टिप्पणी किए बिना, कहा था कि पार्टी राज्य में अपनी राजनीतिक रणनीति के बारे में फैसला करेगी और कहा कि उपचुनाव आयोजित करना या न करना चुनाव आयोग का विशेषाधिकार है।
मालूम हो कि तीरथ को पद पर बने रहने के लिए 10 सितंबर तक विधायक के रूप में चुने जाने की आवश्यकता थी। इस बात ने उनके लिए मामले को और अधिक जटिल बना दिया था। चुनाव आयोग ने हाल ही में covid -19 महामारी के कारण कुछ लोकसभा और विधानसभा उपचुनावों को स्थगित कर दिया है।