जुबिली स्पेशल डेस्क
लखनऊ। भारत की स्टार महिला तीरंदाज दीपिका कुमारी इस समय शानदार फॉर्म में है। उन्होंने पेरिस में चल रहे तीरंदाजी विश्व कप में इतिहास रच दिया है। दरअसल उन्होंने इस प्रतियोगिता में तीन सोना जीतकर हैट्रिक लगा दी है।
इसके साथ ही दीपिका कुमारी नम्बर वन तीरंदाज बन गयीं हैं। करीब नौ साल दीपिका ने यह कामयाबी हासिल की है। 27 वर्षीया दीपिका कुमारी ने साल 2012 में पहली बार तीरंदाजी में शीर्ष स्थान हासिल किया था।
दीपिका कुमारी ने दूसरी बार तीरंदाजी में यह उपलब्धि हासिल की है। ऐसे में अगले महीने होने वाले टोक्यो ओलम्पिक से पहले उन्होंने अच्छी लय पकड़ ली है।
उनके पिता ने खुशी जाहिर करते हुए कहा, हम दीपिका की इस उपलब्धि से बहुत खुश हैं, उसका अगला लक्ष्य ओलंपिक में मेडल हासिल करना है, हम उम्मीद करते हैं कि वह अपने पति के साथ ओलंपिक से स्वर्ण पदक लाएगी।
27 वर्षीया दीपिका कुमारी रांची की रहने वाली है। उन्होंने पेरिस में चल रहे तीरंदाजी विश्व कप ऐतिहासिक प्रदर्शन किया है।
जरूरी बात यह है कि दीपिका ने किसी विश्व कप में तीन स्वर्ण पदक जीतने वाली ना सिर्फ वह एकलौती भारतीय खिलाड़ी बनीं बल्कि नंबर वन रैंकिंग भी पक्की कर ली।
Archer Deepika Kumari won 3 gold medals at World Cup Stage 3 and regained World No 1 ranking in women's individual recurve.
Her father, in Ranchi, says, "We're very happy. Her next goal is Olympics, we hope that she along with her husband (Atanu Das) will bring a gold medal." pic.twitter.com/Bsi52c2cTE
— ANI (@ANI) June 28, 2021
दीपिका के बारे में …
दीपिका रांची से लगभग 12 किलोमीटर दूर रातू की रहने वाली है। शुरुआत दिनों में रातू की गलियों में वह पत्थर से निशाना लगाकर आम तोड़ा करती थी लेकिन यही शौक उनको आज एक अलग पहचान देता नजर आ रहा है।
पिता शिवनारायण आटो चालक व माता गीता देवी नर्स थीं। दीपिका कुमारी के घर वालों ने अपनी बेटी की प्रतिभा को शुरू में पहचान लिया और उन्हेंअर्जुन मुंडा की तीरंदाजी अकादमी में दाखिला करा दिया।
"Now, we have two players in the family. They feel more confident while playing together. They will definitely win a medal in Tokyo Olympics. Coaches & Arjun Munda helped her from the beginning to become a better player," says Deepika's mother Geeta Devi, in Ranchi pic.twitter.com/Yl8UDPIMLr
— ANI (@ANI) June 28, 2021
यहां से दीपिका ने अपने निशाने और अच्छा किया और खूब निखारा। इसके साथ ही अर्जुन मुंडा व उनकी पत्नी मीरा मुंडा ने उनकी प्रतिभा को निखारने को काम शुरू किया।
आखिरकार साल 2006 दीपिका को उस समय नई राह मिली जब उनका चयन टाटा तीरंदाजी अकादमी में हुआ और फिर उन्होने पीछे मुड़कर नहीं देखा।
इसके बाद 2006 में ही मेक्सिको में आयोजित विश्व चैंपियनशिप में कंपाउड सिंगल स्पर्धा में अपने करियर का पहला स्वर्ण पदक जीतकर देश का नाम रौशन किया। यही से उन्होंने तीरंदाजी में अपना लोह मनवाया और विश्व की नम्बर तीरंदाज भी बन गई।
दीपिका ने केवल 15 साल की आयु में अमेरिका में हुई 11वीं यूथ तीरंदाजी चैंपियनशिप जीत कर सबको चौंका डाला। इसके बाद 2010 में एशियन गेम्स में कांस्य पदक जीता और फिर राष्ट्रमंडल खेल 2010 में उन्होने न सिर्फ व्यक्तिगत स्पर्धा के स्वर्ण जीते बल्कि महिला रिकर्व टीम को भी स्वर्ण दिलाया।
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विश्व कप में दीपिका के प्रदर्शन पर एक नजर
- दीपिका कुमारी ने पहले अंकिता भकत और कोमालिका बारी के साथ महिला रिकर्व टीम स्पर्धा में मैक्सिको को आसानी से हराकर स्वर्ण पदक जीता।
- इसके बाद उन्होंने अपने पति अतानू दास के साथ 0-2 से पिछड़ने के बाद नीदरलैंड के सेफ वान डेन और गैब्रिएला की जोड़ी को 5-3 के अंतर से हराते हुए गोल्ड मेडल पर निशाना साधा।
- इसके बाद रांची की राजकुमारी ने रूस की 17वीं रैंक प्राप्त एलिना ओसीपोवा को 6-0 के अंतर से हराकर स्वर्ण पदक जीता।