जुबिली न्यूज डेस्क
अप्रैल महीने में कोरोना की दूसरी लहर के दौरान दिल्ली समेत देश के कई राज्यों को ऑक्सीजन संकट का सामना करना पड़ा था। दिल्ली में ऑक्सीजन संकट को लेकर सुप्रीम कोर्ट की ऑडिट पैनल की रिपोर्ट में हैरान करने वाला खुलासा हुआ है।
शीर्ष न्यायालय द्वारा गठित ऑक्सीजन ऑडिट कमेटी ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि कोरोना की दूसरी लहर के दौरान दिल्ली सरकार ने जरूरत से चार गुना अधिक ऑक्सीजन की मांग की थी।
पैनल की ऑडिट रिपोर्ट के अनुसार दिल्ली को उस समय करीब 300 मीट्रिक टन ऑक्सीजन की जरूरत थी, लेकिन दिल्ली सरकार ने मांग बढ़ाकर 1200 मीट्रिक टन कर दी थी।
रिपोर्ट में आगे कहा गया है कि दिल्ली की अत्यधिक मांग के कारण 12 अन्य राज्यों को जीवन रक्षक ऑक्सीजन की भारी कमी का सामना करना पड़ा क्योंकि अन्य राज्यों की आपूर्ति दिल्ली की ओर मोड़ दी गई थी।
दिल्ली के अस्पतालों में ऑक्सीजन संकट के बीच सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ और एमआर शाह ने 12 सदस्यीय टास्क फोर्स का गठन किया था और ऑक्सीजन वितरण प्रणाली पर पैनल से ऑडिट रिपोर्ट मांगी थी।
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ऑडिट के दौरान ऑक्सीजन टास्क फोर्स ने पाया कि 13 मई को दिल्ली के कई अस्पतालों में ऑक्सीजन टैंकरों को नहीं उतारा जा सका, क्योंकि उनके टैंक पहले से ही 75 प्रतिशत से अधिक क्षमता पर थे। यहां तक कि एलएनजेपी और एम्स जैसे सरकारी अस्पतालों में भी ऑक्सीजन टैंक भरे पड़े थे।
अप्रैल-मई के दौरान जब कोरोना संक्रमण पीक पर था, तब दिल्ली के कई अस्पतालों को ऑक्सीजन संकट से जूझना पड़ा था। नौबत यहां तक आ गई कि ऑक्सीजन की कमी के चलते कई लोगों की जान चली गई थी। इसके बाद केजरीवाल सरकार और केंद्र सरकार के बीच ऑक्सीजन को लेकर तकरार देखने को मिली थी।
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