जुबिली न्यूज डेस्क
ब्रिटेन के स्कूलों में यौन उत्पीडऩ और ऑनलाइन यौन शोषण अब सामान्य बात हो गई है। लड़कियों के साथ गलत हो रहा है फिर भी वह इस बारे में बात नहीं करना चाहती है।
लड़कियों का कहना है कि वे यौन उत्पीडऩ के बारे में बात नहीं करना चाहतीं क्योंकि उन्हें बहिष्कृत होने का डर है।
ब्रिटेन में जिस तरह से स्कूली छात्राओं के साथ यौन उत्पीडऩ की घटनाएं हो रही उसका अंदाजा इससे लगाया जा सकता है कि कुछ लड़कियों से तो एक ही रात में 11 लड़कों ने सम्पर्क कर उनसे नग्न या अर्ध-नग्न तस्वीरों की मांग की।
यह खुलासा स्कूलों की निगरानी करने वाली संस्था ऑफस्टेड ने किया है। ऑफसेट ने अपनी एक रिपोर्ट में कहा कि वयस्कों की तुलना में नग्न तस्वीरें भेजने का दबाव भी कहीं अधिक देखने को मिला है।
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जिन स्कूली छात्राओं का शिक्षा निरीक्षकों नेसाक्षात्कार लिया उनमें से 10 में से 9 ने बताया कि लैंगिकवादी नाम लेकर पुकारा जाना, कामुक तस्वीरें या वीडियो भेजना उनके साथ “बहुत” बार या “कभी-कभी” हुआ।
ऑफस्टेड ने इस समस्या से निपटने के लिए तत्काल कार्रवाई करने की मांग की है। शिक्षा मानक के कार्यालय की मुख्य निरीक्षक (ऑफस्टेड) एमांडा स्पीलमैन कहती हैं कि वह इन निष्कर्षों से “हैरान” हैं।
दरअसल स्कूल इंस्पेक्टरों ने यह समीक्षा तब की जब हजारों की संख्या में स्कूली लड़कियों और कॉलेज की छात्राओं ने एक वेबसाइट पर अपनी-अपनी आपबीती बताई।
लड़कियों ने बताया कि उनके साथ कैसे यौन उत्पीडऩ हुआ। इंस्पेक्टरों ने 32 स्कूल और कॉलेजों के 900 छात्राओं से बातचीत की।
कुछ लड़कियों ने कहा कि वे अपने स्कूल की साथियों की “नग्न” तस्वीरें व्हाट्सऐप या स्नैपचैट जैसे मंचों पर साझा कीं।
दूसरी छात्रों ने भीड़-भाड़ वाले गलियारों में “छुए” जाने की सूचना दी।
ऑफस्टेड का कहना है कि स्टडेंट्स को अक्सर घटनाओं की रिपोर्ट करने का कोई मतलब नहीं दिखता था और कई शिक्षकों ने घटना की गंभीरता को कम करके आंका।
ऑफस्टेड के अनुसार सभी स्कूलों और कॉलेजों को इस पर कार्रवाई करनी चाहिए और एक ऐसा माहौल बनाए जाने की जरूरत है जिसमें यह संदेश जाए कि यौन उत्पीडऩ को बर्दाश्त नहीं किया जा सकता है।
संस्था ने सुझाया है कि यौन शिक्षा में सुधार करने की जरूरत है और मुद्दे की पहचान कर और उस पर जल्दी हस्तक्षेप करना चाहिए।
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छात्राओं द्वारा उजागर की गई अन्य समस्याओं में बताया गया है कि कैसे उनकी यौन गतिविधियों के बारे में अफवाह फैलाई जाती है और बिना उनकी सहमति के वीडियो बनाए जाते हैं।
इतना ही नहीं कुछ एलजीबीटी बच्चों ने भी लगातार मौखिक दुर्व्यवहार के बारे में बताया। यहां तक उन्होंने शारीरिक हमला भी झेला।
लड़कियों ने शिकायत न करने की कई वजह भी बताई है। उनका कहना है कि वे यौन उत्पीडऩ के बारे में इसलिए बात नहीं करना चाहतीं क्योंकि उन्हें बहिष्कृत होने का डर है। कुछ लड़कियों ने चिंता जाहिर की कि उनका विश्वास नहीं किया जाएगा और उन्हें ही दोषी ठहराया जाएगा।
लड़कियों ने कहा कि स्कूलों में सेक्स और रिश्ते की शिक्षा यह स्पष्ट नहीं करती कि क्या स्वीकार्य और अस्वीकार्य व्यवहार है। एक लड़की ने निरीक्षकों को बताया, “लड़कों को शिक्षित करना हमारी जिम्मेदारी नहीं होनी चाहिए।”
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