जुबिली स्पेशल डेस्क
लखनऊ। बीते कुछ महीनों से कोरोना की दूसरी लहर से पूरा देश जूझ रहा है। ऑक्सीजन और बेड की भारी कमी से लोगों को अपनी जिंदगी गवानी पड़ी। इसके साथ ही कोरोना संकट में अवसर तलाश रहे मानवता के शत्रु कोरोना के इलाज के नाम पर निजी अस्पतालों की लूट-खसोट का मामला भी खूब प्रकाश में आया।
इतना ही नहीं जीवन रक्षक रेमडेसिविर इंजेक्शन की कालाबाजारी भी चरम पर रही है। हालांकि अब कोरोना पहले से थोड़ा कमजोर हुआ है लेकिन ब्लैक फंगस लोगों को अपने शिंकजे में कस रहा है।
ऐसे में रेडमेसिविर और ब्लैक फंगस इंजेक्शन की कालाबजारी फिर देखने को मिल रही है लेकिन बुधवार को लखनऊ में डॉक्टरों के एक गिरोह का खुलासा हुआ है।
जानकारी के मुताबिक कोरोना के इलाज में प्रयोग होने वाले रेडमेसिविर और ब्लैक फंगस इंजेक्शन की कालाबजारी राजधानी लखनऊ में ये गिरोह लगा रहता था।
बताया जा रहा है कि जो भी मरीज अस्पताल में भर्ती होता था उसे इंजेक्शन अस्पताल में नहीं मिलता था बल्कि तीमारदारों को बाहर से इंजेक्शन लाने के लिए दबाव बनाया जाता था।
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हद तब हो जाती थी कि इसके बाद खुद उन्हें इंजेक्शन मिलने वाली जगह और इसे बेचने वालों की जानकारी देते हैं। कहा तो यह भी जा रहा है कि इंजेक्शन की बिक्री का पैसा ग्राहक भेजने वाले डॉक्टर तक पहुंच जाता है।
हालांकि पुलिस ने बुधवार को वजीरगंज पुलिस ने डॉक्टर और केजीएमयू के कर्मचारियों समेत 6 आरोपियों को दबोच लिया है। पुलिस से जुड़े सूत्र बता रहे हैं कि पकड़े गए लोग रेडमेसिविर और ब्लैक फंगस इंजेक्शन की कालाबजारी कर रहे थे और इनका तार लोहिया अस्पताल और प्रदेश के सबसे प्रतिष्ठित किंग जार्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी जुड़ा होने की बात कही जा रही है।
जानकारी के अनुसार कालाबाजारी लोहिया अस्पताल और प्रदेश के सबसे प्रतिष्ठित किंग जार्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी से हो रही थी।
पुलिस कमिश्नर डीके ठाकुर ने बुधवार को पत्रकारों से बातचीत में कहा कि पुलिस काफी समय से इस गिरोह की तलाश में थी। लोहिया अस्पताल और केजीएमयू से इंजेक्शन के गायब होने की शिकायत मिल रही थी।
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इतना ही नहीं जांच में यह भी पता चला कि यही इंजेक्शन बाहर 15 से 20 हजार रुपए में बेचे जा रहे हैं। कुछ नकली इंजेक्शन भी इस गैंग ने बेचे हैं।
इसके बाद पुलिस ने सर्विलांस के सहारे लोहिया के डॉक्टर वामिक हुसैन तक पहुंची और पता चला इसमें और भी लोग शामिल है। इसमें लोहिया के डॉक्टर वामिक हुसैन के शामिल होने की पुष्टि हुई। इसकी मेडिकल विभाग से भी जांच करवाई गई तो डॉक्टर वामिक के खिलाफ और पुख्ता सबूत है और उनसे कड़ी पूछताछ की जा रही है।
डॉक्टर वामिक जूनियर रेजिडेंट है लोहिया संस्थान में। वैसे भी लोग बता रहे हैं कि इमर्जेन्सी में आने वाले मरीजों को भर्ती करने में आना कानी करता था और रेफर कर देता था। अस्पताल में इसकी दादागीरी की भी चर्चा है। बड़े अधिकारियों का संरक्षण होने की बात से इनकार नहीं किया जा सकता है।
उनसे पता चला है कि इस गिरोह में केजीएमयू के लैब टेक्नीशियन इमरान और आरिफ भी शामिल हैं। इसके बाद चिनहट ट्रामा सेंटर के फार्मासिस्ट बलवीर के शामिल होने की खबर है।
इसी तरह कड़ी से कड़ी जोड़ते हुए छह आरोपियों को गिरफ्तार किया गया। इनके पास से 18 इंजेक्शन बरामद किए गए हैं। बाकी इंजेक्शन का पता लगाया जा रहा है।