जुबिली न्यूज डेस्क
देश की शीर्ष अदालत ने सीबीएसई व सीआईएससीई 12वीं कक्षा की मूल्यांकन नीति तय करने के लिए केंद्र सरकार को दो सप्ताह का समय दिया है।
गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई के दौरान केंद्र के 12वीं की परीक्षा रद्द करने के फैसले पर खुशी जाहिर की, लेकिन पीठ ने कहा कि याचिका का निपटारा तब तक नहीं किया जा सकता जब तक केंद्र एक स्पष्ट मूल्यांकन नीति पेश नहीं करता।
अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल ने केंद्र सरकार का पक्ष रखते हुए अदालत से पहले चार सप्ताह का समय मांगा लेकिन अदालत के अनुरोध पर वह दो सप्ताह में मूल्यांकन नीति पर फैसला लेने के लिए सहमत हो गए।
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जस्टिस एएम खानविलकर और दिनेश माहेश्वरी की पीठ ने अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल और सीआईएससीई की ओर पेश हुए एडवोकेट जेके दास से कहा कि दो सप्ताह के भीतर मूल्यांकन के नियम पेश करे। अदालत मूल्यांकन नीति के हर पहलू की समीक्षा करेगा ताकि अगर किसी को किसी भी तरह की कोई आपत्ति हो तो उसका हल निकाला जा सके। यह भी परीक्षा रद्द करने जैसे फैसले जितना महत्वपूर्ण है।
पीठ ने आगे कहा कि अदालत मूल्यांकन नीति पेश करने के लिए इससे ज्यादा समय नहीं दे सकता क्योंकि विद्यार्थियों को देश विदेश के कॉलेजों में दाखिला लेना है।
वहीं याचिकाकर्ता ममता शर्मा ने अनुरोध किया कि परीक्षा रद्द करने के लिए सभी के लिए एक निर्देश दिया जाए जो कि राज्य बोर्डों पर भी लागू हो। इससे देश के 1.2 करोड़ छात्रों को राहत मिलेगी।
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याचिकाकर्ता के अनुरोध पर पीठ ने कहा कि ‘सब्र रखें। यह प्रक्रिया पूरी होने दें। इसके बाद हम अन्य मामले देख लेंगे।’
मालूम हो कि अधिवक्ता ममता शर्मा ने उच्चतम न्यायालय में याचिका दायर कर देशभर में कोरोना महामारी की मौजूदा स्थिति के बीच होने वाली 12वीं परीक्षाओं को रद्द करने की मांग की थी।
इस याचिका में केंद्र, सीबीएसई और आईएससीई को 12वीं की परीक्षा रद्द करने का निर्देश देने और निश्चित समय-सीमा में परिणाम घोषित करने के लिए वस्तुनिष्ठ प्रणाली तय करने का निर्देश देने का आग्रह किया गया है।
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इस याचिका में एक निश्चित समय सीमा में 12वीं का परिणाम घोषित करने के लिए एक कार्यप्रणाली तैयार करने का भी निर्देश दिए जाने का भी अनुरोध किया गया है।
वहीं मंगलवार को प्रधानमंत्री मोदी की अध्यक्षता में हुई बैठक में छात्रों के हित में सीबीएसई 12वीं की परीक्षा रद्द करने का फैसला लिया गया था।
मोदी ने कहा था कि छात्रों की सुरक्षा हमारी प्राथमिकता है, इससे समझौता नहीं किया जा सकता। छात्रों को कोविड-19 महामारी के इस तनावपूर्ण माहौल में परीक्षा देने के लिए बाध्य नहीं किया जा सकता। पीएम मोदी ने अधिकारियों को निर्देश दिए कि कक्षा 12वीं का रिजल्ट एक उपयुक्त व उचित क्राइटेरिया के आधार पर समयबद्ध तरीके से जारी किया जाएगा।
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