जुबिली स्पेशल डेस्क
लखनऊ। उत्तर के बेसिक शिक्षा मंत्री डॉ. सतीश द्विवेदी के भाई अरुण द्विवेदी की सिद्धार्थ विश्वविद्यालय, कपिलवस्तु में असिस्टेंट प्रोफेसर पद पर हुई नियुक्ति को लेकर अब कई सवाल उठ रहे हैं।
बताया जा रहा है कि मंत्री के भाई का चयन विश्वविद्यालय के मनोविज्ञान विभाग में ईडब्लयूएस (आर्थिक रूप से कमजोर सामान्य अभ्यर्थी) कोटे में हुआ है जबकि मंत्री सतीश द्विवेदी जिले की इटवा सीट से विधायक हैं।
उधर इस पूरे मामले पर सिद्धार्थ विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. सुरेंद्र दुबे का बयान भी सामने आ रहा है। उन्होंने इसको लेकर कहा है कि मनोविज्ञान विभाग में करीब 150 आवेदन आए थे।
इसके बाद मेरीठ के हिसाब से दस लोगों का चयन किया गया है। इसमें अरुण कुमार द्विवेदी पुत्र अयोध्या प्रसाद द्विवेदी भी थे. इंटरव्यू में अरुण दूसरे स्थान पर रहे। इंटरव्यू, एकेडमिक व अन्य अंकों को जोडऩे पर अरुण पहले स्थान हासिल किया था। इसके चलते उनको चयन किया गया है।
इधर पूर्व आईपीएस अमिताभ ठाकुर व उनकी सोशल एक्टिविस्ट पत्नी डॉ. नूतन ठाकुर ने राज्यपाल व यूनिवर्सिटी की कुलाधिपति आनंदीबेन पटेल को शिकायती पत्र लिख अरुण द्विवेदी के ईडब्ल्यूएस सर्टिफिकेट की जांच की मांग की है।
उन्होंने कहा है कि डॉ. अरुण द्विवेदी शिक्षा मंत्री के भाई होने के साथ स्वयं भी वनस्थली विद्यापीठ, जयपुर में मनोविज्ञान के असिस्टेंट प्रोफेसर थे। ऐसे में उनका ईडब्ल्यूएस सर्टिफिकेट प्राप्त किया जाना प्रथम द्रष्टया जांच का विषय है।
अमिताभ ठाकुर व डॉ. नूतन ठाकुर ने राज्यपाल को लिखे शिकायती पत्र में कहा है कि सिद्धार्थ यूनिवर्सिटी के कुलपति डॉ. सुरेन्द्र दूबे ने भी कहा कि यदि ईडब्ल्यूएस सर्टिफिकेट फर्जी होगा तो अरुण द्विवेदी दंड के भागी होंगे।
साथ ही शिक्षा मंत्री ने इस संबंध में कोई टिप्पणी करने से इनकार कर दिया, जो पूरे प्रकरण को अत्यधिक संदिग्ध बना देता है।
हालंकि, कुलपति प्रोफेसर सुरेंद्र दुबे के मुताबिक उनके पास नियुक्ति प्रक्रिया के सारे साक्ष्य मौजूद हैं. उनका कहना है कि यदि कोई एजेंसी जांच भी करना चाहती है तो वह उसके लिए तैयार है।
उनके मुताबिक, किसी मंत्री के भाई होने की वजह से किसी की योग्यता कम नहीं हो जाती. उन्होंने अपने पास किसी भी तरह की सिफारिश आने की बात का भी खंडन किया।