जुबिली स्पेशल डेस्क
लखनऊ। अगर कोई खिलाड़ी होता है औ रराष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपनी छाप छोड़ता है तो उसका अगला लक्ष्य होता है ओलम्पिक में देश के लिए पदक जीते।
हालांकि बहुत से ऐसे खिलाड़ी है जो पढ़ाई लिखाई के चलते अपनी प्रतिभा के साथ न्याय नहीं कर पाते हैं और खेलों की दुनिया के बजाये पढ़ाई लिखाई और नौकरी में लग जाते हैं लेकिन सरकारी और निजी मेडिकल कॉलेज में पढ़ाई करने वाले युवाओं में अगर खेलों में कुछ करने का हौंसला है तो उनके लिए ओलम्पिक में भाग लेने का सपना पूरा हो सकता है।
दरअसल सर्वोच्च न्यायालय के निर्देश और भारतीय चिकित्सा परिषद के दिशानिर्देशों को देखते हुए फरवरी में स्पोर्ट्स कमेटी बनाई गई थी। इसके साथ ही यह कमेटी मेडिकल कॉलेजों में खेलों का पूरा संचालन कर सकेगी।
जानकारी के मुताबिक कमेटी के मुखिया राज्य के चिकित्सा महानिदेशक बनाए थे। इनके अलावा शासन के प्रतिनिधि के तौर पर चिकित्सा शिक्षा विभाग के उपसचिव कुलदीप रस्तोगी एवं चिकित्सा महानिदेशालय के डॉ. बीडी सिंह को सदस्य बनाया गया ता। चिकित्सा शिक्षा विभाग के ही डॉ. विवेक सिंह को नोडल अधिकारी बनाया गया।
इसको लेकर डॉ. विवेक सिंह ने बताया कि हमलोगों के लिए खुशी की बात है कि अब मेडिकल कॉलेज के छात्र भी ओलंपिक तक खेल सकेंगे। उन्होंने कहा कि कई ऐसे मेडिकल कॉलेज के छात्र है जो खेलों में अलग प्रतिभा रखते हैं लेकिन वो किसी कारण से आगे नहीं बढ़ पाते हैं। हालांकि अब ऐसा नहीं होगा अगर मेडिकल कॉलेज के छात्र में रूची रखते होंगे तो उनको आगे बढ़ाया जायेगा। उन्होंने बताया कि साल में एक बार एक मेडिकल विद्यार्थियों का ओलंपिक होगा। चुने हुए खिलाड़ी राज्य चैंपियनशिपों में हिस्सा लेंगे।
जहां से उन्हें राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर तक चमकने का मौका मिलेगा। इस संबंध में मेडिकल कॉलेजों में खेल गतिविधियों के संचालन के लिए बनायी गई स्पोर्ट्स कमेटी की बुधवार को हुई बैठक में कई महत्वपूर्ण फैसले हुए।
नोडल अधिकारी डॉ. विवेक सिंह ने कहा कि राज्य भर में सरकारी मेडिकल कॉलेज 22 और दो डेंटल कॉलेज हैं। वहीं निजी क्षेत्र में 32 मेडिकल और 22 डेंटल कॉलेज हैं।
ऐसे में हमलोग चाह रहे थे कि पढ़ाई करने वालों छात्रों को खेलों से भी जोड़ा जाये तो इनके लिए बेहतर होगा और तनाव भी कम होगा। उन्हें स्वस्थ रखने और उन्हें स्वस्थ मनोरंजन उपलब्ध कराने के लिए खेलों की सुविधाएं उपलब्ध कराने की पूरी कोशिश की जायेगी।
उन्होंने बताया कि इस संबंध में मेडिकल कॉलेजों में खेल गतिविधियों के संचालन के लिए बनायी गई स्पोर्ट्स कमेटी की बैठक में कई महत्वपूर्ण फैसले हुए।
बैठक में तय किया गया कि हर मेडिकल कॉलेज में खेलों की सुविधा और प्रशिक्षक हों। साल में कम से कम एक बार हर खेल की प्रतियोगिताएं हों। फिर एक अंतरकॉलेज में प्रतियोगिता हो।
इसमें हर कॉलेज की टीम हिस्सा ले। इसके अलावा मेडिकल कॉलेजों में स्पोर्ट्स संचालन समिति को उत्तर प्रदेश ओलंपिक खेलों और अन्य राज्य खेल संघों से सम्बद्ध कराया जाए। इससे मेडिकल कॉलेज के प्रतिभाशाली खिलाडय़िों का राज्य, राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर चमकने का रास्ता खुलेगा।