- पूर्व पीएम भट्टाराई ने महंत ठाकुर के नेतृत्व में सरकार गठन का प्रस्ताव
- गठबंधन बिफल हुआ तो राष्ट्रपति दे सकती है ओली को सरकार गठन का प्रस्ताव
यशोदा श्रीवास्तव
जनता समाज पार्टी के ओली के बाद बन रहे किसी गठबंधन सरकार के प्रयास से दूरी बना लेने से फिलहाल नई सरकार के गठन में पेंच फंस गया है।
बता दें जनता समाजवादी पार्टी मधेशी दलों का एक मोर्चा है जिसमें सभी मधेशी दलों के कुल 38 सांसद शामिल हैं और इसके अध्यक्ष वरिष्ठ मधेशी नेता महंत ठाकुर हैं। यदि ओली के विकल्प के रूप में कोई गठबंधन नहीं बन सका तो काफी संभावना है, ओली ही पुन: प्रधानमंत्री बन जाय।
बता दें कि नेपाली कांग्रेस हो या ओली विरोधी कम्युनिस्ट गठबंधन कोई भी सरकार बिना जनता समाज पार्टी (जसपा)के समर्थन के मुमकिन नहीं है। जसपा अध्यक्ष महंत ठाकुर के किसी भी गठबंधन से दूरी बनाए रखने के ऐलान के बाद काठमांडू में राजनीतिक हलचल तेज हो गई है।
ओली के बाद नेपाली कांग्रेस और प्रचंड समेत ओली विरोधी कम्युनिस्ट धड़ा अलग अलग सरकार बनाने की रणनीति में सक्रीय हैं लेकिन पीएम के नाम को लेकर मतैक्य नहीं है।
नेपाली कांग्रेस गठबंधन सरकार का नेतृत्व खुद करना चाहता है तो ओली विरोधी कम्युनिस्ट धड़ा खुद का नेतृत्व चाहता है। मजे की बात है कि पहली बार मधेशी दलों ने सरकार में सहभागिता का महत्व समझा है और गठबंधन सरकार से दूरी बनाने का ऐलान कर नेपाली कांग्रेस और कम्युनिस्ट दलों को बड़ा झटका दिया है। नेपाल के राजनीतिक विश्लेषकों की मानें तो इसके पीछे महंत ठाकुर की मंशा या तो खुद पीएम बनने की है या ओली को ही पीएम देखना चाहते हों।
सत्ता के लिए उठापटक के बीच पूर्व पीएम डा.बाबू राम भट्टाराई ने ओली को रोकने के लिए महंत ठाकुर को ही प्रधानमंत्री बनाने की पेश कर गठबंधन में हलचल पैदा कर दी है।
उनका कहना है कि आम चुनाव में अभी दो साल का समय शेष है, ऐसे में इस अवधि तक महंत ठाकुर को पीएम बनाने में कोई हर्ज नहीं है। ओली के बाद फिर किसी कम्युनिस्ट सरकार को आने से रोकने के लिए डा.भट्टाराई के इस सुझाव का ओली विरोधी दलों के तमाम नेताओं ने दबे जुबान सराहना भी की है। हालांकि महंत ठाकुर ने ऐसे किसी पेशकश पर हामी नही भरी है।
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नई गठबंधन सरकार को लेकर चल रही रस्साकशी के बीच महंत ठाकुर के पैतरे से हैरान नेपाली कांग्रेस और ओली विरोधी कम्युनिस्ट धड़ा महंत ठाकुर को मनाने में जुट गया है।
जानकार कहते हैं कि संभावित गठबंधन सरकार को लेकर यदि किसी लालच में जसपा सांसदो में फूट नहीं पड़ा तो नई सरकार को लेकर तीन संभावना उभरकर सामने आ सकती है जिसमें नेपाली कांग्रेस के नेतृत्व को स्वीकार कर ओली विरोधी कम्युनिस्ट धड़ा उसका समर्थन करे या असंतुष्ट कम्युनिस्ट धड़े के साथ नेपाली कांग्रेस आए या फिर दोनों दल महंत ठाकुर के नेतृत्व में सरकार गठन की प्रक्रिया को आगे बढ़ाएं। यदि ये तीनों प्रयास बिफल होते हैं तो केपी शर्मा ओली को ही राष्ट्रपति सरकार बनाने के लिए आमंत्रित करने पर विचार करें।
इधर चर्चा तेज है कि सत्ता के लिए चल रहे रस्साकशी के बीच नेपाल की राजनीति एक बार फिर अस्थिरता के मुहाने पर है।