जुबिली स्पेशल डेस्क
लखनऊ। उत्तर प्रदेश में भी कोरोना का तांडव खूब देखने को मिल रहा है। दरअसल कोरोना की दूसरी लहर इतनी खतरनाक है कि इसमें लोगों की जाने लगातार जा रही है। दूसरी ओर लोग ऑक्सीजन और बेड की कमी की वजह से भी दम तोड़ते हुए नजर आये। इस दौरान प्राइवेट नर्सिंग होम और ड्रग माफियाओं का खेल खूब देखने को मिला।
उत्तर प्रदेश में क्या जवान क्या बुजुर्ग सभी कोरोना वायरस के हमले के शिकार हो रहे हैं। हाल ये है कि कोरोना से पीड़ित लोग जान बचाने के लिये एक ओर जहां आक्सीजन और बेड की किल्लत से जूझ रहे हैं तो वहीं दूसरी ओर प्राइवेट नर्सिंग होम और ड्रग माफियाओं के चंगुल फंसकर अपनी जमापूंजी लगाने के बाद भी कई तो जान से हाथ धो दे रहे हैं।
इंजे. रेमडेसिवीर (Remdesivir) की कालाबाजारी भी खूब हो रही है और सरकार द्वारा ड्रग माफिया पर अंकुश लगाने की बयान भी आते रहते हैं लेकिन अपने लोगों के जीवन को बचाने की जद्दोजहद में लगे परिजनों से प्रशासन खुद तय रेट से तीन गुने दर पर लोगों को इंजे. रेमिडेसिवीर बेच रहा है जिस पर सवाल उठने लगे हैं। इसके साथ ही इस इंजेक्शन की गुणवत्ता भी संदेह के घेरे में आ गई है।
इंजेक्शन रेमिडेसिवीर की गुणवत्ता पर पहले ही जुबली पोस्ट ने सवाल उठाया था जिस पर अब मुहर भी लग गई है और इंजे. रेमिडेसिवीर की कई बैच सं के प्रयोग पर रोक लग गई है।
MRP 1299 है जबकि स्वास्थ्य महकमा ले रहा है 1800 रूपये
यूपी मेडिकल सप्लाई कार्पोरेशन ने इंजे. रेमिडेसिवीर का कान्ट्रैक्ट रेट 660.80 (जीएसटी सहित) कर रखा है। इस समय यूपी मेडिकल सप्लाई कार्पोरेशन जिस इंजे. रेमिडेसिवीर की आपूर्ति कर रहा है वह है Cadila Healthcare Limited की और उसकी प्रिंटेड MRP 1299 रूपये है,लेकिन स्वास्थ्य महकमा ने जरूरतमन्दों को देने के लिये इसकी दर तय की है 1800 रूपये प्रति वायल।
इंजे. रेमिडेसिवीर की बिक्री के लिये अमित मोहन प्रसाद,अपर मुख्य सचिव,उत्तर प्रदेश शासन ने दिनांक 04मई 2021को एक शासनादेश जारी करके कहा है कि किसी निजी चिकित्सालय में भर्ती मरीज की जीवन रक्षा के लिये सीधे मरीज के परिजन को 1800/-प्रति वायल की दर से धनराशि लेकर दी जायेगी।
मेडिकल कार्पोरेशन ने इस इंजेक्शन की खरीद कैसे की है या फिर उसे कहीं से प्राप्त हुआ है यह तो वही बता पायेगा। लेकिन कोई भी सामग्री एम आर पी से अधिक दर से बढ़ाकर बेचना गैरकानूनी और सरकारी आदेशों का उल्लंघन है।
MRP से अधिक मूल्य लेने पर लोगों ने सवाल भी उठाये लेकिन अपने मरीज के जान की फिकर में वह विरोध करने के काबिल नहीं थे।
जुबली पोस्ट की पड़ताल में पाया गया कि इंजेक्शन रेमिडेसिवीर की कीमत 1800.00 ही ली जा रही है जबकि वायल पर एमआरपी 1299 अंकित था और इसकी रसीद भी रेडक्रास सोसाइटी के नाम से जारी हो रही है।
इस तरह से मेडिकल सप्लाई कार्पोरेशन के रेट कांट्रैक्ट की दर 660.80 से 1139.20अधिक वसूला जा रहा है। इस तरह से अपनों के अंतिम सांस को बचाने की आस लिये परिजनों से इस तरह अधिक पैसा लेना ठीक नहीं है।
देखा जाय तो ऐसा प्रतीत होता है कि MRP से अधिक बिक्री दर रखने में सप्लाई कार्पोरेशन ने अपर मुख्य सचिव स्वास्थ्य मेडिकल को अंधेरे में रखकर आदेश कराया है।
यदि अन्य कोई कारण हो तो अलग बात है अन्यथा कार्पोरेशन के अधिकारियों के द्वारा की गई गलती प्रतीत होती है। इस सम्बन्ध में प्रशासन को चाहिये कि वह इसकी जांच करके कार्पोरेशन के ऐसे लोगों के खिलाफ कारवाई करे जो सरकार की छवि को धूमिल कर रहे हैं