जुबिली न्यूज डेस्क
कोरोना की दूसरी लहर से पूरा देश जूझ रहा है। कई राज्यों में महामारी जमकर तांडव मचा रही है। स्वास्थ्य व्यवस्था चरमरा गई है। बेड, ऑक्सीजन की कमी की वजह से लोग सड़कों पर दम तोड़ रहे हैं।
और महामारी की इस भयावहता के बीच 11 अप्रैल तक देश में कोरोना वैक्सीन की करीब 44 लाख डोज बर्बाद हो गई। यह जानकारी सूचना के अधिकार (आरटीआई) के तहत सामने आई है।
आरटीआई में मिली जानकारी से पता चला है कि 11 अप्रैल तक राज्यों द्वारा इस्तेमाल की गई 10 करोड़ डोज में करीब 44 लाख डोज बर्बाद/खराब हो गई।
अंग्रेजी समाचार चैनल NDTV की रिपोर्ट के अनुसार कोरोना वैक्सीन की सर्वाधिक बर्बादी तमिलनाडु में हुई है। वहां पर 12.10 फीसदी टीका बर्बाद हुआ, जबकि इसके बाद क्रमश: हरियाणा में 9.74 प्रतिशत, पंजाब में 8.12 प्रतिशत, मणिपुर में 7.8 प्रतिशत और तेलंगाना में 7.55 प्रतिशत वैक्सीन की बर्बादी हुई।
आरटीआई के जवाब में बताया गया कि देश अन्य राज्यों केरल, पश्चिम बंगाल, हिमाचल प्रदेश, मिजोरम, गोवा, दमन और दियू, अंडमान और निकोबार द्वीप में एक भी खुराक बेकार नहीं गई।
सबसे ज्यादा हैरत की बात यह है कि वैक्सीन की बर्बादी की बात तब सामने आ रही है, जब देश कोरोना की दूसरी लहर के जूझ रहा है और कई जगहों से हाल-फिलहाल के दिनों में टीका कम पडऩे की खबरें आई थीं।
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पिछले दिनों देश के कई राज्यों ने केंद्र सरकार से वैक्सीन की मांग की थी। महाराष्ट्र, पंजाब, दिल्ली और राजस्थान समेत कुछ और सूबों ने केंद्र से वैक्सीन कम पडऩे की बात कही थी।
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सोमवार को वित्त मंत्रालय के सूत्रों ने बताया कि भारत में वैक्सीन निर्माताओं को केंद्र की ओर से 4500 करोड़ रुपए की रकम एडवांस में दी जा चुकी है। सूत्रों के हवाले से अंग्रेजी चैनल ने आगे बताया- तीन हजार करोड़ रुपए Serum Institute of India को दिए गए हैं, जो कि Covishield बनाती है, जबकि 1500 करोड़ रुपए का आवंटन Covaxin बनाने वाली Bharat Biotech के लिए किया गया है, ताकि ये दोनों ही कंपनियां वैक्सीन के उत्पादन को तेजी से बढ़ा सकें।