जुबिली न्यूज़ डेस्क
लखनऊ। यूपी में पंचायत चुनाव ग्रामीणों के लिए चिंता बन चुका है, गांव की गलियों में इस बात की चिंता सताने लगी है कि कही मतदान के चक्कर में कोरोना न बढ़ जाये। लॉकडाउन का डर और ऊपर से चुनावी भीड़ में रही सही कसर प्रवासी मजदूर पूरी कर रहे है।
आज यूपी के हर गांव में यही चिंता का विषय बन गया है। गांव के तमाम लोग दिल्ली, मुंबई, हरियाणा सहित कई राज्यों में काम करने जाते हैं। कई प्रधान प्रत्याशी वोट डालने के लिए उन्हें वापस गांव बुला रहे हैं।
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जानकारों की माने तो 18 अप्रैल की शाम या 19 की सुबह को ये प्रवासी मजदूर अपने घरों तक पहुंच जाएंगे। कहीं ये मजदूर एक वोट के चक्कर में कोरोना का संक्रमण ना फैला दें। इस बात को लेकर ग्रामीणों में जबरदस्त बेचैनी है।
चिनहट, मोहनलालगंज, रहीमाबाद, बंथरा के लगभग सभी गांव के लोग कई राज्यों में परिवार सहित चले जाते हैं और वही काम करके अपनी जीविका चलाते हैं। लेकिन यह पंचायत चुनाव उन्हें फिर खींच कर अपने गांव लाने पर मजबूर कर चुका है।
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कई प्रत्याशी इन मजदूरों को एक वोट की खातिर वापस गांव बुला रहे हैं। उनके आने- जाने के किराए के खर्च का लालच भी दिया गया है, कई तो ऐसे भी है जिनके खाते में पैसे पहले ही डालकर उन्हें बुलाया जा चुका है।
कोरोनावायरस तेजी से अपना असर दिखा रहा है और अब लगभग यूपी के अधिकांश गांवों के भी तमाम लोग पॉजिटिव हो गए हैं। जिसको देखते हुए ग्रामीण डरे हुए हैं। ग्रामीणों का कहना है कहीं पूरे गांव में बीमारी ना पसार दें।
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार लगभग 1 सप्ताह पूर्व ही यूपी के कई गांव में लोग बिना जांच कराए ही अपने घरों को पहुंच गए हैं। प्रधान प्रत्याशी इस बात को दबाए बैठे हैं क्योंकि कहीं जांच हुई तो कोरोना की पुष्टि ना हो जाए जिससे उनके चुनाव का गणित बिगड़ जाए।
ऐसे में सरकार को इस तरफ ज्यादा ध्यान देने की जरुरत है क्योंकि जब शहर के अस्पतालों के बेड फुल चल रहे है तो ग्रामीणों की ज़िन्दगी बचाना बहुत बड़ी चुनौती साबित हो सकती है।
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