जुबिली न्यूज डेस्क
क्या आपको मालूम है कि यदि आज कोई बच्चा पैदा होता है तो वह कितने साल जिंदा रहेगा? इस सवाल का जवाब भारत में जीवन प्रत्याशा पर किए सबसे हालिया सर्वे से पता चलेगा।
जानकारी के मुताबिक यदि कोई बच्चा या बच्ची आज पैदा हुआ है तो उसके कम से कम 69 साल चार महीने जीवित रहने की सम्भावना है। वहीं वैश्विक स्तर पर जीवन प्रत्याशा के औसत को देखें तो वो 72.8 वर्ष के करीब है।
यह जानकारी सेन्सस और भारत के रजिस्ट्रार जनरल द्वारा जारी एसआरएस-आधारित एब्रीज्ड लाइफ टेबल्स 2014-18 में सामने आई है।
यदि भारत के राज्यों में देखें तो छत्तीसगढ़ में जीवन प्रत्याशा सबसे कम हैं जहां आज पैदा होने वाले बच्चे औसतन 63 वर्ष 7 महीनों तक जीवित रहेंगे, जबकि उसकी तुलना में केरल और दिल्ली में यह 75 वर्ष तीन महीना है।
वहीं उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश की बात करें तो इन राज्यों में आज जन्म लेने वाले बच्चे अपना 66 वां और 67 वां जन्मदिन मनाने के लिए जिन्दा नहीं होंगे।
जानकारों के मुताबिक देश में कम जीवन प्रत्याशा के लिए वायु प्रदूषण का बहुत बड़ा हाथ है। वायु प्रदूषण बच्चे के जीवन की गुणवत्ता पर भी असर डाल रहा है।
आंकड़ों के मुताबिक देश में लगातार जहरीली हवा में सांस लेने के कारण औसतन जीवन में दो साल छह महीने की कमी होने का अनुमान है।
दि स्टेट ऑफ ग्लोबल एयर 2020 की रिपोर्ट के मुताबिक भारत में साल 2019 के दौरान पीएम 2.5 का वार्षिक औसत दुनिया में सबसे ज्यादा था। यह स्पष्ट तौर पर दिखाता है कि देश में हवा कितनी जहरीली हो चुकी है।
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क्या है इसके पीछे की वजह
जानकारों के मुताबिक वायु प्रदूषण के अलावा इसकी कई और वजहें भी हैं। आहार में पोषण की कमी, कुपोषण, प्रदूषण और जलवायु परिवर्तन कुछ ऐसे कारण हैं जो बच्चों के स्वास्थ्य को प्रभावित कर रहे हैं।
आईक्यू एयर द्वारा जारी विश्व वायु गुणवत्ता रिपोर्ट 2020 के आंकड़ों के अनुसार दुनिया के 50 सबसे प्रदूषित शहरों में से 35 शहर सिर्फ भारत के हैं। इनमें गाजियाबाद, बुलंदशहर और दिल्ली शीर्ष 10 में शामिल थे।
इस लिहाज से एक भारतीय बच्चा औसतन केवल 66 साल और 8 महीने तक जीवित रहेगा और अप्रैल 2089 के बाद अपना 67 वां जन्मदिन नहीं मना सकेगा। जिसकी एक बड़ी वजह उसके घर के अंदर और बाहर मौजूद वायु प्रदूषण होगा।
सबसे दुखद पहलू यह है कि भारत में आज पैदा हुए 1,000 बच्चों में से कम से कम 33 बच्चे अपने पहले जन्मदिन यानी 10अप्रैल 2022 से पहले ही मर जाएंगे।
इसमें मध्य प्रदेश में स्थिति अधिक खराब है जहां हर 1,000 में से 47 बच्चे अपनी आयु के पहले 12 महीने भी जीवित नहीं रह पाएंगे। इसी तरह पूर्वोत्तर के दो राज्यों असम और अरुणाचल में भी स्थिति दयनीय है।
असम में जहां 1,000 में से 44 और अरुणाचल प्रदेश में 1,000 में से 42 बच्चों के माता-पिता अपने बच्चों को एक वर्ष से पहले ही खो देंगें, जबकि उत्तर प्रदेश में भी 1,000 में से 42 बच्चे 10 अप्रैल, 2022 तक जीवित नहीं रहेंगे।
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हां, यदि बच्चे भाग्यशाली हुए और वो अपने शुरुवाती 1000 दिनों तक जीवित रह जाने में सफल हो गए तो भी उनमें कुपोषण का खतरा लगातार बना रहेगा।
दिसंबर 2020 में जारी राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण (एनएफएचएस) – 5 के अनुसार यदि आज जन्म लेने वाले हर 10 बच्चों में से एक बच्चा 2026 में जब वो 5 वर्ष का होगा तो वो स्टंटिंग का शिकार होगा जिसका मतलब है वो अपनी उम्र के बच्चों से छोटा रह जाएगा।
मेघालय के गांवों में यह स्थिति ज्यादा बदतर है जहां करीब आधे बच्चे अपनी उम्र के बच्चों से ठिगने रह जाएंगे इसी तरह बिहार के गांवों में लगभग 44 फीसदी बच्चे ठीक से विकसित नहीं हो पाएंगें।
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इसके अलावा आज पैदा होने वाले बच्चों के लिए जलवायु परिवर्तन भी एक बड़ी समस्या होगी। सरकारी अनुमान है कि सदी के अंत तक देश में तापमान 4.4 डिग्री सेल्सियस से ज्यादा हो जाएगा। ऐसे में यदि वो बच्चे 2089 तक जीवित रहते हैं तो उन्हें बदलती जलवायु का मुकाबला करने के लिए भी तैयार रहना होगा जो उनके स्वास्थ और अर्थव्यवस्था के लिए भी बड़ा खतरा पैदा करेगी।