जुबिली न्यूज डेस्क
सीबीआई कोर्ट ने इशरत जहां एनकाउंटर मामले में तीन पुलिस अधिकारियों को बरी कर दिया है। बरी होने वाले अधिकारियों में तरुण बरोट और जीएल सिंघल और एक अन्य पुलिस अफसर शामिल हैं।
इस केस में ये ही तीनों अधिकारी ही आखिरी तीन आरोपी थे, जिन्हें अब अदालत ने बरी कर दिया है। इसके अलावा अन्य कुछ अधिकारियों को पहले ही अदालत से बरी किया जा चुका है।
मालूम हो कि जून 2004 में गुजरात पुलिस पर इशरत जहां, जावेद शेख उर्फ प्राणेश पिल्लई और दो अन्य लोगों के फर्जी एनकाउंटर का आरोप लगा था।
ये भी पढ़े : एनआईए ने बताया कि अंबानी के घर के बाहर किसने खड़ी की थी स्कॉर्पियो
ये भी पढ़े : बंगाल में बीजेपी जीती तो इस नेता को बनायेगी सीएम?
इस मामले में पहले ही 4 पुलिस अधिकारियों को बरी कर दिया गया था। इसके बाद आईपीएस अधिकारी जीएल सिंघल, रिटायर्ड पुलिस अफसर तरुण बरोट और अनाजू चौधरी ने सीबीआई कोर्ट में अर्जी दाखिल कर मांग की थी कि उन्हें भी बरी किया जाए।
सीबीआई की ओर से केस में चुनौती न दिए जाने के चलते यह मामला एक तरह से समाप्त ही हो चुका था। इससे पहले 4 अधिकारियों को डिस्चार्ज किए जाने के खिलाफ सीबीआई ने अपील नहीं की थी।
इसी आधार पर तरुण बरोट और सिंघल समेत तीन अधिकारियों ने खुद को भी रिहा करने की मांग की।
इस मामले की सुनवाई करते हुए स्पेशल सीबीआई जज वीआर रावल ने कहा, ‘प्रथम दृष्ट्या जो रिकॉर्ड सामने रखा गया है, उससे यह साबित नहीं होता कि इशरत जहां समेत चारों लोग आतंकी नहीं थे।’
मालूम हो इशरतजहां, प्राणेशष पिल्लई, अमजद अली राणा और जीशान जौहर की 15 जून, 2004 को अहमदाबाद के बाहरी इलाके में गुजरात पुलिस की क्राइम ब्रांच की टीम से मुठभेड़ हुई थी। इसमें चारों मारे गए थे।
ये भी पढ़े : आईएमएम में छात्र सीखेंगे खुशी के सबक
ये भी पढ़े : पुरुषों व महिलाओं के बीच बराबरी की खाई पाटने में लग सकते हैं 135.6 साल
इस एनकाउंटर को अहमदाबाद के डिटेक्शन ऑफ क्राइम ब्रांच यूनिट के वंजारा लीड कर रहे थे। पुलिस का कहना था कि ये चारों लश्कर-ए-तैयबा से जुड़े थे और तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी की हत्या की साजिश रच रहे थे।
सीबीआई ने इस केस में साल 2013 में चार्जशीट दाखिल किया था और उसमें 7 पुलिस अधिकारियों को आरोपी बताया था। इन अफसरों में ं पीपी पांडे, वंजारा, एनके आमीन, जेजी परमार, जीएल सिंघल, तरुण बरोट शामिल थे।
इन सभी पुलिस अधिकारियों पर हत्या, मर्डर और सबूतों को मिटाने का आरोप लगाया गया था, लेकिन 8 साल बाद सभी बरी हो गए हैं।
मालूम हो कि पिछले डेढ़ दशक से इशरत जहां एनकाउंटर मामला काफी चर्चा में रहा है। राजनीतिक तौर पर भी यह मुद्दा काफी संवेदनशील रहा है।