जुबिली न्यूज डेस्क
देश की शीर्ष अदालत ने यूपी पंचायत चुनाव मामले में योगी सरकार को बड़ी राहत दी है। अदालत ने इस मामले में दखल देने से इनकार कर दिया है।
अदालत ने याचिकाकर्ताओं से हाईकोर्ट जाने को कहा है। अदालत की इस टिप्पणी से कुछ देर पहले ही राज्य निर्वाचन आयोग ने चुनाव की तारीखों का ऐलान कर दिया।
उच्चतम न्यायालय में याचिकाकर्ता की ओर से कहा गया था कि उच्च न्यायालय में मुख्य दलीलों को नहीं सुना गया है। याचिकाकर्ता के अधिवक्ता ने कहा कि 1995 की आरक्षण सूची के आधार पर चुनाव करना बेहतर प्रयास था लेकिन उसको बदल दिया गया।
इस याचिका पर सुनवाई करते हुए शीर्ष अदालत ने इस मामले में दखल देेने से इनकार कर दिया और याचिकाकर्ता से हाईकोर्ट जाने को कहा।
मुख्य न्यायाधीश जस्टिस एसए बोबड़े की अध्यक्षता वाली पीठ ने इस मामले की सुनवाई की।
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इस मामले में उत्तर प्रदेश सरका ने मंगलवार को ही सुप्रीम कोर्ट में कैविएट अर्जी भी दाखिल की थी। इस अर्जी में राज्य सरकार की ओर से कहा गया था कि जब पंचायत चुनाव को लेकर दाखिल याचिकाओं पर उच्च्तम न्यायालय सुनवाई करे तब अदालत में सरकार का भी पक्ष सुना जाए।
याचिकाकर्ता ने लगाई थी गुहार
उच्चतम न्यायालय में यूपी पंचायत चुनाव को लेकर पिछले शनिवार को विशेष अनुमति याचिका यानी एसएलपी दाखिल की गई थी। सीतापुर जिले के दिलीप कुमार की ओर से दाखिल 186 पन्ने की इस याचिका पर आज सुनवाई थी।
इस याचिका में इलाहाबाद उच्च न्यायालय के फैसले को चुनौती दी गई थी। याचिका में कहा गया था कि उच्च न्यायालय ने आरक्षण को लेकर जो आदेश दिया है उसे बदला जाए।
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याचिकाकर्ता दिलीप कुमार ने शीर्ष अदालत से गुहार लगाई थी कि वर्ष 1995 को ही आधार वर्ष मानकर इस चुनाव के लिए सीटों का आरक्षण किया जाए।
उनका कहना था कि राज्य सरकार ने फरवरी में ऐसा ही करने का शासनादेश जारी किया था। इसको लेकर आरक्षण हो भी गया था लेकिन बाद में हाईकोर्ट ने इसे खारिज कर दिया और 2015 को आधार वर्ष मानकर सरकार को नए सिरे से आरक्षण के आदेश दे दिए।
पंचायत चुनाव का रास्ता हुआ साफ
फिलहाल उच्चतम न्यायालय द्वारा दखल देने से इनकार के बाद यूपी के 75 जिलों में पंचायत चुनाव का रास्ता साफ हो गया है। अदालत के इस निर्णय से थोड़ी देर पहले ही राज्य निर्वाचन आयोग ने चुनाव की तारीखों का ऐलान कर दिया है। आज ही फाइनल आरक्षण सूची भी जारी हो रही है।