जुबिली न्यूज़ डेस्क
सेना में स्थायी कमीशन के लिए सुप्रीम कोर्ट ने आज लगभग 80 महिला अधिकारियों द्वारा दायर की गई याचिकाओं पर सुनवाई की। इस दौरान सुप्रीमकोर्ट ने मामले में फैसला सुनाते हुए कहा है कि सुप्रीम कोर्ट ने याचिका पर सुनवाई करते हुए निर्देश दिया कि वह एक महीने के भीतर महिला अधिकारियों के लिए स्थायी कमीशन देने पर विचार करे और नियत प्रक्रिया का पालन करते हुए दो महीने के भीतर इन्हें स्थायी कमीशन दें।
इस मामले सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने तीखी टिप्पणी की है। जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा कि 2010 तक सीमा पार से फायरिंग का आंकड़ा 250 बार से अधिक नहीं है, इसके साथ ही जिन आंकड़ों को रिकॉर्ड में दिखाया गया, वे बेंचमार्किंग के मामले को पूरी तरह से गलत साबित करते हैं।
उन्होंने कहा कि हमारी सामाजिक व्यवस्था पुरुषों ने पुरुषों के लिए ही बनाई है, समानता की बात झूठी है। आर्मी ने मेडिकल के लिए जो नियम बनाए वो महिलाओं के खिलाफ भेदभाव दर्शातें है। महिलाओं को बराबर अवसर दिए बिना रास्ता नहीं निकाला जा सकता।
SC begins to pronounce its verdict on a batch of petitions filed by women officers for permanent commission in Indian Army & Navy, seeking a direction that contempt proceedings be initiated against those who had allegedly failed in their duty to comply with SC’s earlier judgement
— ANI (@ANI) March 25, 2021
इसके अलावा सुप्रीमकोर्ट ने ये भी माना कि सेना की वार्षिक गोपनीय रिपोर्ट (एसीआर) मूल्यांकन और देर से लागू होने पर चिकित्सा फिटनेस मानदंड महिला अधिकारियों के खिलाफ भेदभाव करता है। इस पैटर्न से एसएससी (शॉर्ट सर्विस कमीशन) महिला अधिकारियों को आर्थिक और मनोवैज्ञानिको को नुकसान होता है।
अदालत ने कहा कि महिला अधिकारी चाहती थीं कि उन लोगों के खिलाफ अवमानना कार्यवाही शुरू हो जिन्होंने कथित रूप से अदालत के पहले के फैसले का पालन नहीं किया था। महिला अधिकारियों को स्थायी कमीशन देने के लिए एसीआर मूल्यांकन मापदंड में उनके द्वारा भारतीय सेना के लिए अर्जित गौरव को नजरअंदाज किया गया है।
क्या था फरवरी 2020 में आया फैसला
गौरतलब है कि 17 फरवरी, 2020 को सुप्रीमकोर्ट ने दिए अपने फैसले में कहा था कि सभी सेवारत शॉर्ट सर्विस कमीशन महिला अधिकारियों को स्थायी कमीशन प्रदान किये जाए। साथ ही पिछले साल केंद्र सरकार को ये आदेश दिया था कि वह अपने पुरुष समकक्षों के साथ सेना की गैर-लड़ाकू सहायता इकाइयों में स्थायी आयोग में महिलाओं को भी अनुदान दे।