जुबिली न्यूज़ डेस्क
नई दिल्ली। राज्यसभा ने राष्ट्रीय राजधानी राज्यक्षेत्र शासन (संशोधन) विधेयक 2021 (एनसीटी विधेयक) को विपक्ष के भारी विरोध के बीच मंजूरी दे दी, जिसमें दिल्ली के उपराज्यपाल की कुछ भूमिकाओं और अधिकारों को बताया गया है।
इस विधेयक के पारित होने के बाद दिल्ली के उप राज्यपाल को ज्यादा ताकत मिल जाएगी। इससे पहले लोकसभा में यह बिल 22 मार्च को पारित हो चुका है। वहीं, अब राष्ट्रपति के हस्ताक्षर के बाद यह कानून की शक्ल ले लेगा। इस कानून को पेश किए जाने के बाद विपक्ष ने सदन में भारी हंगामा किया।
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विधेयक के राज्यसभा से पारित होने के बाद आम आदमी पार्टी ने इसे लोकतंत्र के लिए काला दिन बताया है। दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल ने कहा कि राज्यसभा में जीएनसीटीडी बिल पास हो गया। भारतीय लोकतंत्र के लिए काला दिन है।
हम लोगों को सत्ता वापस दिलाने के लिए अपना संघर्ष जारी रखेंगे। जो भी बाधाएं आए, हम अच्छा काम करते रहेंगे। काम न तो रुकेगा और न ही धीमा होगा।
दिल्ली के डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया ने ट्वीट कर कहा कि आज का दिन लोकतंत्र के लिए काला दिन है। दिल्ली की जनता द्वारा चुनी हुई सरकार के अधिकारों को छीन कर एलजी के हाथ में सौंप दिया गया। विडंबना देखिए कि लोकतंत्र की हत्या के लिए संसद को चुना गया जो हमारे लोकतंत्र का मंदिर है। दिल्ली की जनता इस तानाशाही के खिलाफ लड़ेगी।
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वहीं उच्च सदन में विधेयक पर हुई चर्चा का जवाब देते हुए गृह राज्य मंत्री जी किशन रेड्डी ने कहा कि संविधान के अनुसार सीमित अधिकारों वाली दिल्ली विधानसभा से युक्त एक केंद्रशासित राज्य है। सुप्रीम कोर्ट ने भी अपने फैसले में कहा है कि यह केंद्रशासित राज्य है। सभी संशोधन न्यायालय के निर्णय के अनुरूप हैं।
रेड्डी ने कहा कि संविधान के 239-ए अनुच्छेद के तहत राष्ट्रपति दिल्ली के लिए उपराज्यपाल की नियुक्ति करते हैं। उन्होंने कहा कि उपराज्यपाल और दिल्ली की चुनी हुई सरकार के बीच किसी विषय को लेकर विचारों में अंतर होता है तो उपराज्यपाल इसके बारे में राष्ट्रपति को सूचित करते हैं।
उन्होंने कहा कि वह दिल्ली की जनता को यह आश्वासन देना चाहते हैं कि दिल्ली सरकार के किसी अधिकार को कम नहीं किया गया है। उन्होंने कहा कि दिल्ली विधानसभा के पास सीमित विधायी अधिकार हैं।
मंत्री के जवाब के बाद सदन ने ध्वनिमत से राष्ट्रीय राजधानी राज्यक्षेत्र शासन (संशोधन) विधेयक 2021 (एनसीटी विधेयक) को मंजूरी प्रदान कर दी। इस दौरान, कांग्रेस, बीजद, सपा, वाईएसआर सहित कई विपक्षी दलों ने सदन से वॉकआउट किया।
नेता प्रतिपक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा कि वह इस विधेयक के बारे में सरकार के जवाब से संतुष्ट नहीं है इसलिए उनकी पार्टी सदन से बर्हिगमन कर रही है। गृह राज्य मंत्री ने कहा कि दिल्ली विधानसभा जन व्यवस्था, पुलिस और भूमि को छोड़कर राज्य एवं समवर्ती सूची के हर विषय पर कानून बना सकती है।
उन्होंने कहा \संविधान के तहत दिल्ली सरकार को जो अधिकार प्राप्त हैं, नरेंद्र मोदी सरकार उनमें से एक भी अधिकार (इस विधेयक के जरिए) नहीं ले रही है। रेड्डी ने कहा कि इस संशोधन का मकसद मूल विधेयक में जो अस्पष्टता है उसे दूर करना ताकि इसे लेकर विभिन्न अदालतों में कानून को चुनौती नहीं दी जा सके।
उन्होंने सुप्रीम कोर्ट के 2018 के एक आदेश का हवाला दिया जिसमें कहा गया है कि उपराज्यपाल को सभी निर्णयों, प्रस्तावों और एजेंडा की जानकारी देनी होगी। यदि उपराज्यपाल और मंत्री परिषद के बीच किसी मामले पर विचारों में भिन्नता है तो उपराज्यपाल उस मामले को राष्ट्रपति के पास भेज सकते हैं।
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