जुबिली न्यूज डेस्क
दो बैंकों के निजीकरण के विरोध में बैंक कर्मचारियों का दो दिन का हड़ताल तो खत्म हो गया लेकिन इस पर बहस भी खूब हुई।
इसकी शुरुआत कांग्रेस नेता राहुल गांधी के ट्वीट के बाद हुई। राहुल ने अपने ट्वीट में बैंक कर्मचारियों के हड़ताल का समर्थन करते हुए कहा कि ‘भारत सरकार लाभ का निजीकरण और हानि का राष्ट्रीयकरण कर रही है।’
कांग्रेस नेता ने लिखा, “सरकारी क्षेत्र के बैंकों को ‘मोदीक्रोनीज़’ को बेचना भारत की वित्तीय सुरक्षा से खिलवाड़ करना है। मैं हड़ताल कर रहे बैंक कर्मचारियों के साथ एकजुटता के साथ खड़ा हूँ।”
राहुल के इस बयान का जवाब देते हुए वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि राहुल गांधी विपक्षी पार्टी के नेता की तरह व्यवहार नहीं करते हैं।
मीडिया से बात करते हुए वित्त मंत्री ने कहा कि यूपीए सरकार ने एक परिवार की भलाई के लिए ‘भ्रष्टाचार का राष्ट्रीयकरण’ किया और ‘करदाताओं के पैसे का निजीकरण’ किया।
राहुल पर तंज कसते हुए निर्मला ने कहा कि वो अचानक लाभ और हानि के बारे में क्यों सोचने लगे हैं, जबकि दशकों तक उनकी सरकार ने करदाताओं के पैसों के निजीकरण की कोशिश की। आप जानते हैं कि कैसे।”
वित्त मंत्री ने कहा, “उनकी दादी ने बैंकों का राष्ट्रीयकरण किया लेकिन बैंकों में घाटे का राष्ट्रीयकरण यूपीए के समय में हुआ।”
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दो बैंकों के निजीकरण की प्रस्तावित प्रक्रिया पर निर्मला सीतारमण ने कहा कि सभी बैंकों का निजीकरण नहीं होगा और यह जब भी होगा तो कर्मचारियों के हितों की रक्षा की जाएगी।
मालूम हो कि सोमवार और मंगलवार को सरकारी बैंकों ने हड़ताल की थी जिसमें 10 लाख से अधिक कर्मचारी शामिल हुए थे।
वित्त मंत्री सीतारमण ने कहा कि ‘निजीकरण का फैसला काफी सोच-समझकर लिया गया गया है और हम चाहते हैं कि बैंकों में और अधिक इक्विटी आए। हम बैंकों को देश की आकांक्षाओं को पूरा करने वाला बनाना चाहते हैं।’
उन्होंने जोर देते हुए कहा कि जिस बैंक का निजीकरण होगा उनके कर्मचारियों के हितों को सुरक्षित रखा जायेगा। मौजूदा कर्मचारियों के हितों की रक्षा हर कीमत पर होगी। वित्त मंत्री ने कहा कि सार्वजनिक क्षेत्र के उद्यमों की नीति बिल्कुल साफ कहती है कि हम सरकारी बैंकों के साथ रहेंगे। कर्मचारियों के हितों को बिलकुल सुरक्षित रखेंगे।
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बैंकों के निजीकरण पर आरबीआई के पूर्व गवर्नर ने क्या कहा?
आरबीआई के पूर्व गवर्नर रघुराम राजन ने एक साक्षात्कार में निष्प्रभावी सरकारी बैंकों के सफल निजीकरण पर संदेह जताया है। उन्होंने कहा है कि अगर ये कॉर्पोरेट घरानों को बेच भी दिए जाते हैं तो यह एक ‘बहुत बड़ी गलती’ होगी।
बैंकों के निजीकरण की क्या प्रक्रिया हो सकती है? के सवाल के जवाब में पूर्व गवर्नर ने कहा कि इस समय सरकारी बैंकों के संचालन तंत्र को ठीक करने की जरूरत है।
राजन ने कहा, “पेशेवर लोगों को और लाइये, बोर्ड को सीईओ नियुक्त करने और हटाने का खुला अधिकार दीजिए और फिर सरकार का नियंत्रण हटा लीजिए। इस तरह से यह सरकारी कॉर्पोरेशन, जनता के हित में काम करते हुए जनता के पास होंगे न कि सरकार के पास।”